उत्तर प्रदेशकानपुर

श्री राम सेवा मिशन के बाल्मीकि महोत्सव में कला, साहित्य और मनोरंजन का हुआ समागम

बाल्मीकि महोसव में स्वच्छता कर्मियों और समाजसेवियों का हुआ सम्मान, संध्वी ने कहा, हमें साम्प्रदायिक बताने वाले अब खुद धर्म की माला जप रहे। बाल्मीकि महोसव में सम्मान पाकर भाव विभोर हुए स्वच्छता कर्मी। उद्योग नगरी कानपुर में आयोजित बाल्मीकि महोत्सव में कला, साहित्य और भक्ति संगम हुआ तो सांप्रदायिक सौहार्द की बानगी भी देखने की मिली । श्री राम सेवा मिशन की ओर से आयोजित समारोह में  बच्चों ने भजन प्रस्तुत कर खूब तालियां बटोरी तो कवित्री शबीना अदीब ने राम पर आधारित भजन गाकर माहौल को भक्ति मयी कर दिया और साम्प्रदायिक सौहार्द की मिसाल भी पेश की।

मर्चेंट चेम्बर सभागार में आयोजित इस समारोह में केंद्रीय मंत्री संध्वी निरंजन ज्योति ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की । कार्यक्रम में नेशनल मीडिया क्लब के चेयरमैन रमेश अवस्थी एवं श्री राम सेवा मिशन के राष्ट्रीय संयोजक सचिन अवस्थी ने मुख्य अतिथि संध्वी निरंजन ज्योति और महापौर प्रमिला पाण्डे को प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित करने के साथ ही आए हुए अन्य अतिथियों का भी स्वागत किया । समारोह में स्वच्छता सेनानियों , चिकित्सको , कोरोना कर्मयोगियों और कलमकारों को सम्मानित किया गया । सम्मान पाकर स्वछता कर्मी भाव विभोर हो गए।

सम्मनित सफाई कर्मियों ने कहा कि यह पहला मौका है जब उन्हें इस प्रकार से मंच पर सम्मान मिला । श्री राम सेवा मिशन को सभी ने धन्यवाद ज्ञापित किया । मुख्य अतिथि संध्वी निरंजन ज्योति ने कहा की मंदिर की बात करने पर जो लोग अभी तक हमें सांप्रदायिक कहते थे , अब वह खुद भगवा ओढ़कर घूम रहे हैं । उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इच्छा का परिणाम है कि  आज देश की राजनीतिक दिशा बदल चुकी है । मुख्य अतिथि के मुताबिक 500 साल तक लगातार संघर्ष के बाद कोर्ट का फैसला आया तो मुस्लिम पक्षकार ने भी अयोध्या में श्री राम मंदिर के शिलान्यास में भूमिका निभाई।

उन्होंने कहा कि ऐसा फैसला देने वाले न्यायाधीश भी इतिहास में अमर हो गए हैं। संध्वी के मुताबिक लोग कहते हैं कि हिन्दू धर्म में छुआछूत थी अगर ऐसा होता तो प्रभु श्रीराम सबरी के जूठे बेर न खाते और ना ही कभी निषाद राज को अपने भाई भरत के समान बताते , जबकि सीता माता भी वाल्मीकि के आश्रम में रहती थी। किसी भी उपनिषद या पुराण में जातियों का कोई उल्लेख ही नहीं है, यह भेदभाव तो बाद में पैदा किया गया।

उन्होंने कहा कि महर्षि वाल्मीकि ने रामायण में प्रभु श्रीराम के पूरे जीवन को लिख दिया अगर श्री राम के आदर्श और मर्यादा को देखना है तो तुलसी कृत श्रीराम चरितमानस को पढ़ना चाहिए , तुलसी के रूप में महर्षि बाल्मीकि ही अवतरित हुए थे । श्री राम सेवा मिशन के राष्ट्रीय संयोजक सचिन अवस्थी ने कहा कि उनकी संस्था ने पूर्व में भी सामाजिक सरोकार से जुड़े कई मुहिम चलाई है, जिसमें ब्लड डोनेशन कैंप , नॉएडा में गोवर्धन मठ के जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी श्री निश्चलानंद सरस्वती का कार्यक्रम जिसमे धर्म संसद का आयोजन किया गया साथ ही कोरोना के समय में लोगों की हर सम्भव मदद श्री राम सेवा मिशन ने की और अन्य आयोजन किये है जो समाज हित में हैं । देश और समाज को ऐसे कार्यक्रम से लाभ मिलता है ऐसे आयोजन निरंतर जारी रहने चाहिए और उसी कड़ी में बाल्मीकि महोत्सव का आयोजन किया गया है।  संस्था का संकल्प है कि भविष्य में सामाजिक सरोकार से जुड़े हुए आयोजन होते रहें, ताकि आम जनता को इसका लाभ मिलता रहे।

नेशनल मीडिया क्लब के संस्थापक रमेश अवस्थी ने महर्षि बाल्मीकि के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वाल्मीकि जी का जीवन वर्तमान पीढ़ी के लिए प्रेरणा स्रोत है। कवि सम्मलेन में कवियों ने श्रोताओं का खूब मनोरंजन किया। कवि मुकेश श्रीवास्तव की ओज की कविताएं भी खूब सराही गयी। कवित्री शबीना अदीब ने विराजे मोरे मन मंदिर में राम प्रस्तुत किया तो सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। कार्यक्रम का संचालन मुकेश श्रीवास्तव ने किया इस दौरान पूर्व विधायक रघुनन्दन भदैरिया, वीरेंद्र दुबे, भूपेश अवस्थी, राजेंद्र सिंह चौहान, रमेश वर्मा मनीष सक्सेना, अमिताभ मिश्रा, मनोज शुक्ला, सरबजीत, अजय शुक्ला, प्रसून तिवारी, रिंकू शर्मा संजय सिंह, सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता शुभम अवस्थी, अनूप कुमार सहित बड़ी संख्या में बुद्धिजीवियों एवं समाजसेवियों ने शिरकत की!

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