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नौकरीपेशा लोगों को बड़ा झटका ,लॉकडाउन में पूरी सैलरी देने का कंपनी पर दबाव हुआ खत्म

मोदी सरकार ने लॉकडाउन के दौरान वर्कर्स को पूरी सैलरी देने का अपना पुराना निर्देश वापस ले लिया है. यानी अब कंपनियां इसके लिए बाध्य नहीं होंगी कि लॉकडाउन के दौरान कर्मचारियों को पूरा वेतन दें. इस कदम से कंपनियों और उद्योग जगत को कुछ राहत जरूर मिली है, लेकिन नौकरीपेशा लोगों को बड़ा झटका लगा है.

उल्लेखनीय है कि गृह सचिव अजय भल्ला ने लॉकडाउन लागू किए जाने के कुछ ही दिन बाद 29 मार्च को जारी दिशानिर्देश में सभी कंपनियों व अन्य नियोक्ताओं को कहा था कि वे प्रतिष्ठान बंद रहने की स्थिति में भी महीना पूरा होने पर तमाम कर्मचारियों को बगैर किसी कटौती के पूरी सैलरी दें. कोरोना महामारी की रोकथाम के लिए पूरे देश में 25 मार्च से लॉकडाउन घोषित है. अब 18 मई से लॉकडाउन-4 लागू हो चुका है.

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गृह मंत्रालय ने तब यह भी निर्देश दिया था कि उन मकान मालिकों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी जो लॉकडाउन के दौरान किराया न दे पाने वाले छात्रों या प्रवासी कामगारों को मकान खाली करने के लिए दबाव दाल रहे हों. अब शीर्ष अदालत ने शुक्रवार को अपने एक आदेश में कहा था कि सरकार लॉकडाउन के दौरान पूरा वेतन न दे पाने वाली कंपनियों पर किसी किस्म की दंडात्मक कार्रवाई न करे. कर्नाटक की कंपनी फिकस पैक्स प्राइवेट लिमिटेड ने सरकार के इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट चुनौती दी थी, जिस पर अदालत ने यह आदेश दिया.

 

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