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पेट्रोल-डीजल पर टैक्स से सरकार को हुई 8.02 लाख करोड़ की कमाई, संसद में सरकार ने दिया 3 साल का हिसाब

पेट्रोल-डीजल की महंगाई जोरों पर है. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को संसद में बताया कि पेट्रोल-डीजल से सरकार को कितनी कमाई हुई है. वित्त मंत्री के मुताबिक पिछले तीन वित्तीय वर्ष में सरकार ने पेट्रोल-डीजल के टैक्स से 8.02 लाख करोड़ रुपये की कमाई की है. सीतारमण ने कहा, वित्तीय वर्ष 2021 में ही सरकार को टैक्स से 3.71 लाख करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ है. संसद में दिए एक जवाब में केंद्रीय वित्त मंत्री ने यह बात कही.

संसद में कुछ सांसदों ने पेट्रोल-डीजल की महंगाई का सवाल उठाया और सरकार से पूछा कि इसे कम करने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं. सासंदों ने यह भी पूछा कि सरकार को ईंधन बेचकर टैक्स के रूप में कितने रुपये की कमाई हुई है. एक सांसद ने पिछले तीन वित्तीय वर्ष में टैक्स और एक्साइज ड्यूटी से हुई कमाई के बारे में सवाल पूछा. इस पर केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा कि पिछले तीन वित्तीय वर्ष में सरकार को टैक्स से 8.02 लाख करोड़ रुपये की कमाई हुई है जबकि केवल इसी वित्तीय वर्ष में 3.71 लाख करोड़ से ज्यादा का राजस्व प्राप्त हुआ है.

कितना घटा-बढ़ा टैक्स

5 अक्टूबर 2018 को पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी 19.48 पैसे थी जिसे 4 नवंबर 2021 को बढ़ाकर 27.90 रुपया कर दिया गया. इसी अवधि में डीजल पर ड्यूटी को 15.33 रुपये से बढ़ाकर 21.80 रुपये कर दिया गया. निर्मला सीतारमण ने संसद में एक लिखित जवाब में यह जानकारी दी. इस दौरान कुछ समय के लिए पेट्रोल पर एक्साइज को कम किया गया और यह 5 अक्टूबर 2018 को 19.48 रुपये से घटकर 6 जुलाई 2019 को 17.98 रुपये पर आ गया. इसी तरह डीजल पर एक्साइज को 15.33 रुपये से घटाकर 13.83 रुपये पर लाया गया.

2 फरवरी 2021 तक पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी में बढ़ोतरी देखी गई और पेट्रोल और डीजल के लिए यह क्रमशः 32.98 और 31.83 रुपये दर्ज किया गया. इस अवधि के बाद गिरावट शुरू हुई और 4 नवंबर, 2021 को पेट्रोल का एक्साइज 27.90 रुपये और डीजल का एक्साइज 21.80 रुपये दर्ज किया गया. ”पिछले तीन वर्षों के दौरान पेट्रोल और डीजल से जुटाए गए सेस सहित केंद्रीय उत्पाद शुल्क हैं: 2018-19 में 2,10,282 करोड़ रुपये, 2019-20 में 2,19,750 करोड़ रुपये और 2020-21 में 3,71,908 करोड़ रुपये”. सीतारमण ने संसद में यह बात कही.

दिवाली से पहले मिली राहत

इस साल 4 नवंबर को दिवाली से ठीक पहले, सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में क्रमशः 5 रुपये और 10 रुपये प्रति लीटर की कमी की. इसके बाद कई राज्यों ने दोनों ईंधन पर मूल्य वर्धित कर (वैट) में कटौती की घोषणा की. इसके बाद तेलों के दाम में हल्की सी गिरावट देखी जा रही है, लेकिन अब भी पहले की तुलना में महंगाई बहुत अधिक है. विपक्षी दल इसका लगातार विरोध कर रहे हैं. इसके बारे में सरकार का कहना है कि वैश्विक बाजारों में कच्चे तेल की महंगाई के चलते घरेलू बाजार में भी महंगाई देखी जा रही है.

सरकार का संसद में बयान

सरकार ने सोमवार को संसद में कहा कि तेल निर्यात करने वाले देश मांग से कम सप्लाई कर रहे हैं जिससे कि तेल की एक कृत्रिम कमी पैदा हुई है. डिमांड और सप्लाई के चलते ही तेलों के दाम में वृद्धि देखी जा रही है. अभी हाल में सरकार ने तेल की कीमतों पर नियंत्रण रखने के लिए 50 लाख टन तेल जारी किया था. ये तेल स्ट्रेटजिक रिजर्व से जारी किए गए. उसके पहले अमेरिका ने भारत और जापान सहित कई देशों से आग्रह किया था कि तेलों के दाम काबू में रखने के लिए रिजर्व से तेल निकाले जाएं. इस काम में चीन, जापान, अमेरिका और कोरिया साथ आए और सभी देशों ने अपने रिजर्व से इमरजेंसी तेल जारी किया.

रिजर्व से तेल इसलिए निकाले गए ताकि बाजार में तेल की सप्लाई बढ़े और कीमतों पर काबू रखा जाए. भारत में ऐसा पहली बार हुआ कि 50 लाख टन या 380 लाख बैरल तेल रिजर्व से निकाले गए. ये कच्चे तेल भारत के पूर्वी और पश्चिमी तट पर बने तेल भंडारों से निकाले गए. इसी तरह अमेरिका भी 500 लाख बैरल कच्चा तेल अपने रिजर्व से जारी कर रहा है.

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