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कोविड-19: दिल्ली में सीआरपीएफ की एक ही बटालियन के 135 जवान कोरोना वायरस से संक्रमित

नई दिल्ली। देश के सबसे बड़े अर्द्धसैन्य बल केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की दिल्ली स्थित एक बटालियन में कोविड-19 से संक्रमित जवानों की संख्या बढ़कर 135 हो गई है। अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी। ये जवान राष्ट्रीय राजधानी के मयूर विहार फेस-3 इलाके में स्थित अर्द्धसैन्य बल की 31वीं बटालियन के हैं। पिछले कुछ दिनों में यहां कोरोना वायरस के मामले बड़ी संख्या में सामने आने के बाद पूरे इलाके को सील कर दिया गया है।

इस संबंध में एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ”इस बटालियन के कुल 135 जवान विषाणु से संक्रमित पाए गए हैं।” यूनिट से कुल 480 नमूने लिए गए थे, जिनमें से 458 की रिपोर्ट आ चुकी है और 22 का इंतजार किया जा रहा है। नमूनों के त्वरित संग्रह को सुनिश्चित करने के लिए बटालियन के परिसर में एक सचल कोरोना वायरस जांच प्रयोगशाला तैनात किया गया है।

अधिकारियों ने बताया कि परिसर में और इसके आसपास एक विशेष संक्रमण-मुक्त अभियान चलाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि ज्यादातर संक्रमित कर्मियों में इस जानलेवा बीमारी के कोई लक्षण दिखाई नहीं दिए। इन्हें मंडोली में दिल्ली सरकार के एक पृथक केंद्र में भर्ती कराया गया है। इस यूनिट के 12 कर्मी शुक्रवार को संक्रमित पाए गए थे और 55 वर्षीय एक उपनिरीक्षक की इस हफ्ते की शुरुआत में मौत हो गई थी।

किसी एक ही बटालियन में इतनी अधिक संख्या में कर्मियों के संक्रमित पाए जाने से अर्द्धसैन्य बल में चिंता पैदा हो गई है। इस बटालियन में एक हजार से अधिक जवान हैं। सीआरपीएफ ने सामान्य आदेश जारी किया था कि छुट्टी से लौटने वाले या कोविड​​-19 संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने वाले किसी भी जवान को 14 दिनों के लिए अनिवार्य रूप से क्वारंटाइन रहना होगा।

अधिकारियों ने बताया कि हाल ही में यह बात सामने आई कि अर्धसैनिक बल की चिकित्सा शाखा ने अप्रैल में एक अलग आदेश जारी किया था। इसमें कहा गया था कि जिस कर्मचारी में इस महामारी के लक्षण नहीं दिख रहे हैं, वे पांच दिनों के क्वारंटाइन के बाद काम पर लौट सकते हैं।

अधिकारियों ने संकेत दिया कि इस यूनिट में कोविड-19 संक्रमण का प्राथमिक स्रोत वह कांस्टेबल (नर्सिंग सहायक) हो सकता है जो एनसीआर में अपने घर छुट्टी बिताने के बाद काम पर इस यूनिट में लौटा था। यह जवान जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा में सीआरपीएफ की एक अन्य बटालियन में तैनात है और यह अभी साफ नहीं है कि वह कैसे संक्रमण की चपेट में आया।

इस जवान के परिवार के सदस्य संक्रमित नहीं पाए गए। 31वीं बटालियन के कुछ अन्य बिना लक्षण वाले कर्मी भी यूनिट में संक्रमण का प्राथमिक स्रोत हो सकते हैं। अर्द्धसैन्य बल सभी पहलुओं की जांच कर रहा है। साथ ही वह इस दावे की भी जांच कर रहा है कि नर्सिंग सहायक को बटालियन के शिविर में पृथक रखते समय सख्त नियमों का पालन नहीं किया गया जिससे संक्रमण फैला।

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