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बलरामपुर जमातियों की ज़द से बच गया मगर प्रवासियों के प्रकोप से नहीं

डा. हमीदुल्लाह सिद्दीकी


  • कोरोना के खिलाफ ज़िला प्रशासन की मुहिम क़ाबिल-ए-तारीफ
  • 1 दिन में दर्ज हुए डेढ़ हजार से अधिक लोगों के खिलाफ मुकदमे

बलरामपुर। कोरोना के फैलाव के चलते उत्तरप्रदेश के अधिकतर ज़िले तबलीग़ी जमात की ज़द में रहे लेकिन बलरामपुर जनपद उस से अछूता रहा । यहां की सरहदों में एक भी जमाती घुस नहीं सका । प्रदेश भर में अबतक 4605 से अधिक मरीज कोरोना पॉजिटिव मिले हैं जिनमें तबलीगी जमात और उनके संपर्क में आए कोरोना मरीजों की संख्या 1290 के करीब पहुंच चुकी है।

मगर बलरामपुर में एक भी संक्रमित व्यक्ति जमात से जुड़ा हुआ नहीं मिला। न तो जमाती होने के इल्ज़ाम में किसी के खिलाफ कोई मुक़दमा लिखा गया और न ही कोई गिरफ्तारी हुई। बलरामपुर के पुलिस अधीक्षक बताते हैं कि जनपद से जुड़ा हुआ एक ही व्यक्ति निज़ामुद्दीन मरकज़ के प्रोग्राम में शामिल होने गया था मगर उसे दिल्ली में ही क्वॉरेंटाइन कर दिया गया था। उसका कोरोना टेस्ट भी नेगेटिव आया था।

बलरामपुर ज़िला जमातियों की ज़द से तो बच गया मगर अब प्रवासी मज़दूरों की वापसी से माथे पर शिकन आ गया है । कोराना पोजीटिव मरीज़ यहां भी मिलने शुरू हो गए हैं फिर भी इत्मिनान की बात यह है उनकी संख्या अन्य जिलों के मुकाबले बहुत कम है। अभी तक 50 हज़ार से अधिक प्रवासी बलरामपुर वापस आ चुके हैं। जनपद में लगभग 700 क्वॉरेंटाइन सेंटर्स बनाए गये हैं जिनमें 15 हज़ार से अधिक व्यक्तियों को पनाह दिया गया है और उनके भोजन-पानी की व्यवस्था की जा रही है।

ज़िलाधिकारी बलरामपुर के अनुसार अन्य प्रदेशों से आने वाले लोगों,खासकर प्रवासी मज़दूरों को जनपद में घुसते ही उनका मेडिकल चेकप-अप करा कर उन्हें क्वॉरेंटाइन सेंटर्स पर पहुंचा दिया जाता है। उन सभी को तेल-साबुन,तौलिया-मग-बाल्टी,मंजन-ब्रुश-मास्क आदि समाग्री यानी निजी इस्तोमाल की वस्तुओं का एक कंप्लीट किट दे दिया जाता है ताकि वे स्वच्छता अपनाते हुए खुद को संक्रमण से बचा सकें। मिल रही सुविधाओं के बारे में क्वॉरेंटाइन किए गए लोगों से जब बात-चीत की गई तो वह प्रशासन के प्रयासों से संतुष्ट दिखे।

हालांकि जनपद के पचपेड़वा स्थित फज़ल-ए-रहमानिया इंटर कालेज और जामिया आईशा के क्वॉरेंटाइन सेंटर में चंद लोगों ने तय मानक के अनुरूप खाने पीने की व्यवस्था न होने और-साफ-सफाई की कमी की शिकायत की। उनका यह भी कहना था कि वो लोग जो कपड़े पहन का आए थे उसी  एक जोड़े कपड़े में रहने पर मजबूर हैं। उन लोगों का अग्रह था कि प्रशासन द्वारा घर वालों की इसकी इजाज़त दी जाए कि वह साफ धुले हुए कपड़े सेंटर तक पहुंचा सकें। इस आग्रह को प्रशासन ने स्वीकार कर लिया और न सिर्फ उन्हें घर से कपड़े बल्कि कई जगहों पर तो चारपाई और बिस्तर तक मिलने की सुविधा हो गई।

यहां यह बात ग़ौर करने वाली है कि खाने की शिकायत के पीछे एक वजह यह भी हो सकती है कि सेंटर में ज्यादातर गांव देहात और मेहनत-मजदूरी से जुड़े हुए लोग हैं । उनकी खुराक आम लोगों के मुकाबले कुछ ज्यादा होती है। इस लिए खाने की क्वालिटी से ज्यादा वो क्वांटिटी पर ध्यान देते हैं। सुबह जल्दी उठने के आदी होते हैं। इसलिए 11-12 बजे तक लंच मिलने के इंतज़ार में वह खुद को भूखा महसूस करने लगते हैं। वह नाश्ते में काढ़ा या चाय के साथ सिर्फ एक दो बिस्कुट से संतुष्ट नहीं हो पाते हैं।

ज्यादातर लोग खुले मैदान या खेतों में शौच के लिए जाने के आदी होते हैं ,इसलिए क्वॉरेंटाइन सेंटर्स में सिर्फ एक- दो शौचालय का उपलब्ध होना और लोगों की संख्या ज़्यादा होना, उनके लिए जैसे भय का वातावरण पैदा करता हो । उनके इस प्राकृतिक स्वभाव  के अनुसार हर जगह सुविधाऐं उपलब्ध करा पाना प्रशासन के लिए भी आसान काम नहीं है। फिर भी गांव स्तर पर या गांव से करीब क्वॉरेंटाइन सेंटर की सुविधा हो जाने से सभी लोग बहुत खुश हैं।

कोरोना के खिलाफ जंग में जनता का सहयोग कितना मिला और उनकी भूमिका कितनी अहम है, इस सवाल के जवाब में पुलिस अधीक्षक देव रंजन वर्मा का कहना है कि बलरामपुर की जनता का बहुत ही सहयोग मिला। बलरामपुर एक ग्रामीण और पिछड़ा हुआ जिला है इसके बावजूद भी यहां के निवासियों में कोरोना को लेकर के जागरूकता बहुत ही अच्छे स्तर की है। यदि किसी गांव या मोहल्ले में कोई ऐसा व्यक्ति आ जाता है जोकि बिना पुलिस या प्रशासन की जानकारी के छिपाकर गांव में आया है तो उसकी सूचना स्थानीय निवासियों द्वारा तत्काल पुलिस प्रशासन को दे दी जाती है।

लॉकडाउन के दौरान पुलिस द्वारा काफी गहनता से चेकिंग लगातार की जा रही है। इसमें कई लोगों के खिलाफ जुर्माने भी हुए हैं, मुकदमे लिखे गए हैं और कई लोगों की गाड़ियां भी सीज हुई है। यहां तक मात्र एक ही दिन में होम क्वॉरेंटाइन के नियमों के उल्लंधन के आरोप में डेढ़ हज़ार से अधिक लोगों के खिलाफ मुकदमा लिखकर एक एतिहासिक कार्रवाई की गई है जिस से लोगों में कानून का भय पैदा हुआ है। एसपी बलरामपुर के अनुसार एक सुखद पहलू यह भी है कि इनमें से किसी भी एक केस के लिए किसी भी प्रभावशाली व्यक्ति ने पैरवी नहीं की है।

कहने का तात्पर्य यह है कि कोरोना के खिलाफ जंग में जो भी व्यक्ति थोड़ी भी लापरवाही बरत रहा है उसके समर्थन में किसी भी प्रकार का जन सहयोग लगभग नगण्य है। यही वजह है कि  इस महामारी से निपटने के लिए जिला प्रशासन को किसी खास दिक्कत का सामना करना नहीं पड़ रहा है। लाक डाऊन और ला & आर्डर को सफल बनाऐ रखने में किसी भी प्रकार की कोई कोताही या मुरव्वत नहीं बरती जा रही है। अधिक संवेदनशील वाले क्षेत्रों में थानों की पुलिस के अतिरिक्त भी फोर्स लगाई गई है।

जिलाधिकारी कृष्णा करूणेश ने भी बताया कि जनपद में ज़रूरत के मुताबिक संसाधन व अन्य आवश्यक वस्तुओं की कोई कमी नहीं है। प्रयाप्त मात्रा में मास्क और पीपीई किट आदि उपलब्ध करा दिए गए हैं । मास्क,फेस-शील्ड और सेनिटाईजर आदि वस्तुऐं खुद से तैयार करके जिला प्रशासन पहले से ही आत्म निर्भर बन चुका है । पुलिस कर्मियों व अन्य कर्मचारियों की सुरक्षा लिए समय-समय पर जांच व  प्रशिक्षण की वयवस्था कर के उनके अंदर आत्म विश्वास भरा गया है।

दूसरी तरफ जनपद की आम जनता से जब कोरोना बीमारी और प्रशासन की कार्य-प्रणाली के बारे में बात की गई तो अधिकतर लोगों ने प्रशासन की तारीफ की और सरकारी व्यवस्था से ज़्यादा, खुद से सावधानी बरतने पर ज़ोर दिया । उनका मानना है कि प्रशासन हर जगह कैमरा लगा कर निगरानी नहीं कर सकता। लोगों को खुद भी जागरूक हो कर समाज हित में सोचना चाहिए और प्रशासन के दिशा-निर्देशों का पालन करना चाहिए।

कोरोना ड्यूटी पर लगे प्रदेश के कई जिलों से राजस्व कर्मियों और पुलिस कर्मियों के बीच आपसी मतभेद की शिकायतें मिल रही हैं और दोनों एक-दूसरे पर सहयोग व सम्मान न करने का इल्ज़ाम लगा रहे हैं मगर बलरामपुर में ऐसी कोई नज़ीर नहीं मिलती। यहां बेहतर व्यवस्था होने की एक वजह यह भी है कि यहां के डीएम और एसपी एक ही बैच के हैं और दोनों ही मेहनती और रिजल्ट ओरेंटेड अफसर हैं, मातहत अफसरान के साथ टीम-वर्क की भावना से काम करते हैं, जिसके सबब पुलिस और जिला प्रशासन के बीच आपसी सामंजस बहुत अच्छा है और व्यवस्थाओं का संचालन में भी कोई दुश्वारी नहीं होती है। यही वजह है कि जनपद में कोरोना के खिलाफ जंग,जनता के सहयोग से  जी-जान लगा कर लड़ी जा रही है ताकि इस महामारी को हर हाल में हराया जा सके।

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