लखनऊ में दो हॉटस्पॉट हुए कम, चार इलाके ऑरेंज जोन में शामिल

लखनऊ। कोरोना संक्रमण के चलते चिह्नित किए गए हॉटस्पॉट इलाकों व अति संवेदनशील क्षेत्रों के लिए राहत भरी खबर है। दो इलाकों में पिछले 28 दिनों से कोई भी कोरोना पॉजिटिव मरीज न मिलने की वजह से इन्हें हॉटस्पॉट जोन से बाहर कर दिया गया है। ये इलाके अब ग्रीन जोन में शामिल हो गए हैं।
हालांकि, अब भी वहां पर सतर्कता बरती जा रही है। वहीं चार हॉटस्पॉट इलाके ऑरेंज जोन में आ गए हैं क्योंकि यहां पर पिछले 14 दिनों से कोई भी पॉजिटिव मरीज नहीं मिला है। राजधानी के जिन दो इलाकों को हॉटस्पॉट से हटाया गया है उनमें एक इलाका डॉ. इकबाल अहमद क्लीनिक मुंशी पुलिया मेट्रो स्टेशन के पास का है जहां पिछले माह एक जगह से छह केस कोरोना पॉजिटिव मिले थे। वहीं खुर्रमनगर अलीना एन्क्लेव में छह केस सामने आए थे।
इंदिरानगर के दोनों हॉटस्पॉट इलाकों को सील कर दिया गया था। 14 दिन तक दोनों जगह पर कोई भी केस न आने पर ये इलाके ऑरेंज जोन में आ गए थे। शनिवार शाम तक दोनों हॉटस्पॉट पर 28 दिन तक कोई नया केस न आने पर उसे ग्रीन जोन में डालकर हॉटस्पॉट एरिया से बाहर कर दिया गया है।
14 दिन बाद चार इलाके और आ सकते हैं ग्रीन जोन में
गोमती नगर के विजयखंड आंशिक इलाके में 12 केस मिले थे। इसमें छह लोग बाहरी इलाके के थे। आईआईएम पावर हाउस में चार केस मिले थे। पीर बक्का मस्जिद तालकटोरा में एक मरीज, त्रिवेणी नगर खजूर वाली मस्जिद में चार केस आने पर हॉटस्पॉट में रखे गए थे। यहां 14 दिन से कोई पॉजिटिव केस नहीं आया है। स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि 28 दिन तक कोई भी पॉजिटिव केस न आने पर हॉटस्पॉट से बाहर किए जाएंगे।
जनसंख्या के घनत्व पर तय हो रहे हॉटस्पॉट कोरोना के जिला सर्विलांस अधिकारी डॉ. केपी त्रिपाठी ने बताया, दो केस सामने आने के बाद हॉटस्पॉट तय नहीं किया जा रहा है। अब एक केस भी सामने आने पर उस इलाके को हॉटस्पॉट बनाया जा रहा है। डालीगंज के मौसमगंज इलाके में एक ही केस होने पर उसे हॉटस्पॉट तय किया गया था। कहा, अब जनसंख्या का घनत्व व वायरस के फैलने की आशंका के चलते हॉटस्पॉट तय किए जा रहे हैं।
सात लाख लोगों की हो चुकी स्क्रीनिंग
सीएमओ डॉ. नरेंद्र अग्रवाल का कहना है कि कुछ विशेष हॉटस्पॉट जैसे सदर को छोड़कर बाकी सभी हॉटस्पॉट से 50 से 60 मरीजों के सैंपल लिए गए हैं। कोरोना के लिहाज से बेहद संवेदनशील सदर से करीब 300 लोगों की जांच कराई जा चुकी है। बताया कि हॉटस्पॉट इलाके में एक लाख 61 हजार 797 घरों में टीमें गईं। करीब सात लाख से अधिक लोगों की स्क्रीनिंग की जा चुकी है।
ऐसे तय होते हैं रेड, ऑरेंज और ग्रीन जोन
- हॉटस्पॉट इलाके में आखिरी मरीज मिलने के बाद 14 दिन तक रेड जोन में रहता है क्षेत्र
- अगले 14 दिन तक कोई केस न आने पर ऑरेंज जोन में किया जाता है शामिल
- इसके बाद 14 दिन तक यानी कुल 28 दिन तक केस न आने पर होगा ग्रीन जोन