भारत से बाहर पहली बार ‘मॉरिशस’ में आज धनतेरस पर शुरू होगा ‘भोजपुरी’ में टेलीविजन समाचार
2 नवंबर यानी मंगलवार को धनतेरस के दिन भोजपुरी भाषा के लिए ऐतिहासिक दिन होगा. भारत से सात समुद्र पार छोटा भारत कहे जाने वाले देश, मॉरिशस के सरकारी टीवी चैनेल MBC (मॉरीशस ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन) टीवी पर आज से यानी मंगलवार से भोजपुरी में समाचार प्रसारण की शुरुआत होगी. मॉरिशस के प्रधानमंत्री प्रविंद जगन्नाथ ने एक कार्यक्रम में इसकी घोषणा करते हुए कहा कि यह मॉरिशस के लोगों को दिवाली की सौगात है. उन्होंने कहा कि यह हमारे पूर्वजों को सच्ची श्रद्धांजलि होगी, जिन्होंने गिरमिटिया मजदुर के तौर पर अंग्रेजों के जुल्मों-सितम को सहकर मॉरिशस को सोना बनाया और सनातन एवं भारतीय सभ्यता-संस्कृति को बचा कर रखा. यह उनलोगों को समर्पित है. गौरतलब है की भोजपुरी में समाचार प्रसारण की मांग लम्बे समय से मॉरिशस में की जा रही थी.
मंगलवार को मॉरिशस में भारतीय गिरमिटिया आगमन की 187 वीं सालगिरह भी है. आज ही के दिन 2 नवंबर 1834 में पहली बार भारतीय लोग गिरमिटिया मजदूर के तौर पर मॉरिशस पहुंचे थे. बिहार राज्य से गिरमिटियों का पहला खेप पोर्ट लुईस के बंदरगाह में उतारा गया था. वह दीवाली का ही दिन था, पर यहां दीप नहीं जले थे. वे यहां स्वयं दीया बनकर आए थे. आज उन के त्याग के चिराग जलने का ही फल है जो आज मॉरिशस सफल और विकसित देश है. 2 नवंबर को आम छुट्टी का दिन है और यह पहले से ही राष्ट्रीय उत्सव घोषित हो चुका है.
भोजपुरी भाषा में समाचार प्रसारण के फैसले को सराहा
सरकार के इस फैसले पर ख़ुशी जाहिर करते हुए मॉरिशस में हिंदी के बड़े साहित्कार जिन्होंने कई पत्र-पत्रिकाओं का संपादन भी किया है. राज हिरामन ने कहा कि इस दिन का इंतजार पूरे जीवन भर था और आज यह पूरा हो रहा है. इस खुशी को व्यक्त करने के लिए कोई शब्द नहीं है, सिर्फ इतना ही कहूंगा माई भाषा भोजपुरी में टीवी पर समाचार देखना बेहद खुशी और सुकून देने वाला पल होगा. उन्होंने कहा कि लगभग 200 वर्षों की दास प्रथा की दारुण गाथा मॉरिशस का हिंदू युवा पीढ़ी हमेशा याद रखना चाहती है, जिससे इस को संबल मिलता है.
भोजपुरी भाषा के गिरमिटिया मजदूर गए थे मॉरिशस
राज हिरामन ने गिरमिटिया इतिहास पर बात करते हुए कहा कि बाद के खेपों में 1920 तक उत्तर प्रदेश से भी लोग आए. सब ने मिलकर दो महा उपनिवेशी शक्ति- मालिकों (अंग्रेज और फ्रेंच) का सामना किया और 12 मार्च 1968 को देश को आज़ाद कराया तथा व्यवस्था संभाली थी. राज ने आगे जानकारी देते हुए बताया कि 1968 से अब तक न हिंदुओं के हाथ से ना सत्ता ढीली हुई और ना ही विकास रुका. हमारे देवतुल्य महान पूर्वजों की संस्कृति और भाषा ही हमारी स्वतंत्रता, शक्ति तथा एकता का प्रेरक श्रोत रहीं. कई सालों से भारत में गिरमिटिया पर काम कर रहे गिरमिटिया फाउंडेशन के अध्यक्ष दिलीप गिरी ने कहा कि यह सिर्फ मॉरिशस के लोगों का ही सपना पूरा नहीं हुआ बल्कि दुनियां भर के लगभग बीस करोड़ भोजपुरी बोलने वालों के लिए भी गर्व कि बात है.
गिरमिटिया की दास्तां पर बनी हैं लघु फिल्म
गौरतलब है कि दिलीप गिरी ने कई सालों से गिरमिटिया परिवारों को भारत में उनकों पूर्वजों के गावं तक पहुचाने का काम कर रहे है. साथ ही गिरमिटिया एक करुण कथा नमक लघु फिल्म भी बनाई है. उन्होंने कहा कि गिरमिटिया फाउंडेशन का स्थापना ही भोजपुरी के विस्तार के साथ ही भारत और गिरमिटिया देशों के बीच सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करने के लिए हुई है, आज हमारे प्रयास को एक बड़ी सफलता एम् बी सी टीवी पर भोजपुरी में समाचार प्रसारण के रूप में मिली है. गौरतलब है कि 1975 से 2018 तक मॉरिशस ने तीन विश्व हिंदी सम्मेलन आयोजित किए गए थे. विश्व हिंदी-प्रचार का केन्द्र ‘विश्व हिन्दी सचिवालय भी यहीं स्थापित कराया. 1968 से ही सरकारी प्राथमिक तथा माध्यमिक स्कूलों में सरकारी तंत्र में हिंदी पठन-पाठन ने जोर पकड़ा. कुछ दशकों से मॉरिशस में शिक्षा निःशुल्क है. अर्थात् बच्चा 5 वर्ष से विश्व विद्यालयीय स्तर तक हिंदी का अध्ययन मुफ्त में कर सकता है, क्योंकि हिंदी में मॉरिशस विश्व विद्यालय तक डि लिट का प्रावधान है.