
जम्मू व कश्मीर के दौरे पर गए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को 2019 पुलवामा आतंकी हमले में शहीद हुए 40 जवानों को श्रद्धांजलि दी. उनके साथ उप राज्यपाल मनोज सिन्हा ने भी स्मारक पर श्रद्धांजलि अर्पित की. तीन दिन के दौरे पर यहां पहुंचे गृहमंत्री ने सोमवार की रात CRPF कैंप में ही गुजारी. उन्होंने कल कहा, ‘वो यहां कश्मीर के युवाओं से सीधे तौर पर बात करने आए हैं.’
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने श्रीनगर के बाहरी क्षेत्र जेवन में स्थित पुलिस ट्रेनिंग सेंटर में पुलिस शहादत दिवस के मौके पर कहा था, कई मस्जिदों से अल्पसंख्यकों की सुरक्षा का आह्वान किया जा रहा है, जो सराहनीय कदम है. प्रदेश में डर का माहौल पैदा करने वालों से निपटने में टेक्नोलॉजी का अधिक से अधिक प्रयोग किया जाएगा. उन्होंने कहा कि आंकड़ों के अनुसार आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में जम्मू-कश्मीर पुलिस के 1600 जवानों ने बलिदान दिया है. इन बलिदानियों का पूरा राष्ट्र ऋणी है.
J&K | Union Minister Amit Shah pays tribute to 40 CRPF jawans who were killed in 2019 Pulwama terror attack pic.twitter.com/YCrsu60ELD
— ANI (@ANI) October 26, 2021
सबसे पहले शहीद के घर पहुंचे अमित शाह
कश्मीर पहुंचते ही गृह मंत्री अमित शाह सबसे पहले बीते दिनों आतंकी हमले में शहीद हुए पुलिसकर्मी परवेज डार के घर पर पहुंचे और परिजनों से मुलाकात की. शहीद के परिजनों को ढांढस बंधाते हुए अमित शाह ने कहा पूरा देश आपके साथ है और आप अपने आप को कभी अकेला न समझें . देश डार और जम्मू-कश्मीर पुलिस के सर्वोच्च बलिदान को हमेशा याद रखेंगे.’ उन्होंने डार की पत्नी से उन्हें सरकारी नौकरी दिए जाने और हर संभव मदद का वादा भी किया.पूर्ववर्ती राज्य जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद केंद्र शासित प्रदेश की यह उनकी पहली यात्रा है और इस महीने कश्मीर में 11 नागरिकों की हत्या के बाद उनका यह दौरा काफी महत्वपूर्ण है.
गृह मंत्री ने की उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक की अध्यक्षता
इसके बाद गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा के गंभीर होते मुद्दों पर चर्चा के लिए एक उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक की अध्यक्षता भी की.सूत्र के हवाले से ही रिपोर्ट किया गया कि सुरक्षा एजेंसियों ने उन सवालों पर अपना पक्ष प्रस्तुत किया कि क्यों क्षेत्र में भारतीय बलों के बड़े पैमाने पर तैनाती और सरकार द्वारा व्यापक प्रयासों के बावजूद, कट्टरता और घरेलू आतंकवाद के खतरे बढ़ रहे हैं.