इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड यानी IMF ने चालू वित्त वर्ष के लिए भारत के ग्रोथ रेट के अनुमान को 9.5 फीसदी पर बरकरार रखा है. जबकि अगले साल 2022 के लिए अनुमान लगाया गया है कि यह दुनिया की सबसे तेज अर्थव्यवस्था रहेगी. भारत में सबसे तेज आर्थिक वृद्धि दर होगी और यह 8.5 फीसदी तक पहुंच सकती है. जबकि अमेरिका से यह दर 5.2 फीसदी तक रह सकती है. रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय अर्थव्यवस्था वित्त वर्ष 2026-27 तक 6.1 फीसदी की दर से विकास करता रहेगा.
महंगाई को लेकर भी IMF ने बड़ा बयान दिया है. मॉनिटरी फंड के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष में भारत का रिटेल इंफ्लेशन या खुदरा महंगाई 5.6 फीसदी और वित्त वर्ष 2022-23 में 4.9 फीसदी रहेगी. रिजर्व बैंक ने मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी की बैठक में चालू वित्त वर्ष के लिए महंगाई दर का अनुमान 5.3 फीसदी रखा है. RBI ने चालू वित्त वर्ष के लिए ग्रोथ रेट का अनुमान 9.5 फीसदी पर बरकरार रखा है.
भारत ने वैक्सिनेशन के मोर्चे पर कमाल कर दिखाया है
इंडियन इकोनॉमी को लेकर IMF की चीफ इकोनॉमिस्ट गीता गोपीनाथ ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था ने कोरोना की दूसरी लहर से बहुत शानदार रिकवरी की है. दूसरी लहर के कारण जुलाई में ग्रोथ रेट के अनुमान को घटा दिया गया था, लेकिन अब अनुमान क जस का तस रखा गया है. इसके अलावा उन्होंने वैक्सिनेशन की स्पीड को लेकर भारत की तारीफ भी की.
इस साल के लिए ग्लोबल इकोनॉमी ग्रोथ रेट को 10bps से घटाया
IMF ने 2021 के लिए ग्लोबल ग्रोथ रेट के अनुमान को 10 बेसिस प्वाइंट्स से घटाया है, जबकि 2022 के लिए ग्रोथ रेट के अनुमान को 4.9 फीसदी पर बरकरार रखा है. मॉनिटरी फंड के मुताबिक इस कैलेंडर वर्ष ग्लोबल इकोनॉमिक ग्रोथ रेट 5.9 फीसदी रहेगा. इससे पहले जुलाई में इसने ग्लोबल ग्रोथ रेट के अनुमान को 6 फीसदी रखा था.
रिकवरी लेकिन रफ्तार घट गई है
इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड ने कहा कि ग्लोबल इकोनॉमी मीडियम टर्म में मॉडरेट रेट से ग्रोथ करेगी. यह धीरे-धीरे घटकर 3.3 फीसदी की दर पर पहुंच जाएगी. उसका कहना है कि ग्लोबल इकोनॉमी में रिकवरी जरूर आई है, लेकिन इसकी रफ्तार घट गई है.
ग्लोबल इकोनॉमी का आकार 5.3 ट्रिलियन डॉलर से घट जाएगा
रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना महामारी के कारण ग्लोबल इकोनॉमी को काफी नुकसान पहुंचा है. लंबी अवधि तक इसका असर रहने के कारण अगले पांच सालों में ग्लोबल इकोनॉमी का आकार 5.3 लाख करोड़ डॉलर (5.3 ट्रिलियन डॉलर) घट जाएगा.
2021 के अंत तक हर देश में पूरा हो 40 फीसदी वैक्सिनेशन
IMF ने कहा कि आर्थिक सुधार के लिए बड़े पैमाने पर वैक्सिनेशन जरूरी है. कम इनकम वाले गरीब देश की 96 फीसदी आबादी अभी तक वैक्सीन की पहुंच से दूर है. वर्तमान में सबसे जरूरी ये है कि 2021 के अंत तक हर देश की 40 फीसदी आबादी वैक्सिनेटेड हो. 2022 के मध्य तक हर देश की 70 फीसदी आबादी को वैक्सीन लग जाना बेहद जरूरी है.