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ओम प्रकाश राजभर की NDA में ‘घर वापसी’ तय, केंद्रीय BJP नेतृत्व कुछ शर्तें मानने के लिए तैयार

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यूपी विधानसभा चुनावों से ठीक पहले सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर की NDA में वापसी अब अलाग्भाग तय मानी जा रही है. मिली जानकारी के मुताबिक बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व राजभर की कुछ मांगे मानने के लिए सहमत हो गया है. राजभर को वापस एनडीए में लाने की जिम्मेदारी केंद्रीय मंत्री व प्रदेश भाजपा के चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान को दी गई है. धर्मेंद्र प्रधान और ओम प्रकाश राजभर की एक दिन पहले इस मुद्दे पर बात हुई जिसके बाद से राजभर ने कुछ शर्तों के साथ 2022 में एनडीए के साथ जाने के संकेत दे रहे हैं.

मिली जानकारी के मुताबिक धर्मेंद्र प्रधान ने राजभर को मिलकर चुनाव लड़ने को कहा है, जिस पर राजभर ने सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट लागू करने के साथ ही बिजली और शिक्षा जैसे पार्टी के मुद्दों को मानने की बात की है. धर्मेंद्र प्रधान ने राजभर की तमाम मागों पर सकारात्मकता दिखाई है और बहुत जल्द दोनों नेता बैठ कर इस मुद्दे पर बात करते नज़र आ सकते हैं. धर्मेंद्र प्रधान से पूर्व वाराणसी से भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने ओम प्रकाश राजभर से इस मुद्दे पर बात की थी. बीजेपी सूत्रों के मुताबिक राजभर का फिर से बीजेपी के साथ आना तय है. उनकी मांगों पर पार्टी विचार करेगी और सीटों को लेकर कोई बहुत दिक्कत नहीं आएगी. हालंकि ओम प्रकाश राजभर ने ये कहा है कि फिलहाल बीजेपी के साथ जाने का उनका कोई इरादा नहीं है लेकिन 27 अक्टूबर को आखिरी घोषणा करने का ऐलान भी किया है.

AIMIM के लिए बड़ा झटका

राजभर के बीजेपी की तरफ बढ़ते झुकाव से भागीदारी संकल्प मोर्चा में शामिल असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम की चिंता बढ़ गई है. एमआईएम के प्रवक्ता असीम वकार ने कहा कि उनकी पार्टी कभी भी बीजेपी के साथ नही जा सकती फिर चाहे उसके लिए उसे खुद को भागीदारी मोर्चे से अलग ही क्यों न करना पड़े? ओमप्रकाश राजभर ने मई 2019 में बीजेपी से नाता तोड़ने के बाद AIMIM के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी सहित कई छोटी पार्टियों के साथ मिलकर जनाधिकार संकल्प मोर्चा का गठन कर रखा है. हालांकि ओवैसी के चलते कोई भी बड़ी पार्टी राजभर के भागीदारी मोर्चा में शामिल होने को तैयार नहीं है, ऐसे में राजभर भविष्य की सियासी राह तलाशने में जुट गए हैं.

ओमप्रकाश राजभर ने शुक्रवार को गठबंधन से पहले बीजेपी से मांग रखी है कि देश में पिछड़ों की जातिगत जनगणना, रोहिणी आयोग की रिपोर्ट को लागू करने, उत्तर प्रदेश में सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट लागू किया जाए. यूपी में घरेलू बिजली का बिल माफ किया जाए. एक समान अनिवार्य और मुफ्त शिक्षा दी जाए. राजभर ने पुलिस कर्मचारियों की बॉर्डर सीमा समाप्त हो इन्हें अपने जिले में तैनाती की छूट हो. साथ ही पुलिस ड्यूटी 8 घंटे की सीमा निर्धारित हो और साप्ताहिक अवकाश दी जाए. पुरानी पेंशन बहाल की जाए. होमगार्ड, पीआरडी और चौकीदार दोनों पुलिस के समान सुविधाएं मिलें. बीजेपी अगर इन शर्तों को मानती है तो वो गठबंधन के लिए तैयार है तो असदुद्दीन ओवैसी अब अलग सियासी राह तलाशेंगे.

राजभर लगातार दे रहे हैं संकेत

ओम प्रकाश राजभर ने शुक्रवार को कहा था वे विधानसभा चुनाव में बीजेपी के साथ सशर्त गठबंधन करने को तैयार है. उन्होंने प्रदेश में सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट लागू करने और पूर्ण शराब बंदी सहित सात सूत्री मांग रखी है. राजभर ने कहा कि 27 अक्तूबर को मऊ के हलधरपुर में होने वाली भागीदारी संकल्प मोर्चा की महापंचायत  रैली में गठबंधन की घोषणा की जाएगी. उन्होंने कहा कि सबका साथ-सबका विकास का दावा क रने वाली भाजपा, सपा, कांग्रेस और बसपा में से जो भी दल उनकी शर्तें स्वीकार करने को तैयार होगा उसके साथ गठबंधन की घोषणा रैली में की जाएगी. बीजेपी, कांग्रेस, सपा और बसपा सहित जो भी दल सत्ता में रहे उन्होंने पिछड़े और अति पिछड़े वर्ग की जातियो औरं गरीबों को उनका अधिकार नहीं दिया.

हालांकि राजभर ने ये भी कहा कि कुछ लोग भ्रांति फैला रहे हैं कि मोर्चा टूट गया है, लेकिन 27 अक्तूबर की रैली में बाबू सिंह कुशवाहा,बाबूराम पाल, प्रेमचंद प्रजापति, रामसागर बिंद, कृष्णा पटेल सहित लोग एक मंच पर नजर आएंगे. उन्होंने कहा कि अब तक मोर्चा से जुड़े संगठन अलग-अलग काम कर रहे थे लेकिन 27 अक्तूबर से सभी एक साथ मिलकर एक साथ काम करेंगे. ओमप्रकाश राजभर ने सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और प्रसपा अध्यक्ष शिवपाल यादव के बीच गठबंधन के सवाल पर कहा कि राजनीति में संभावना हमेशा बनी रहती है. उन्होंने कहा कि कोई सपने में भी नहीं सोच सकता था कि बसपा सुप्रीमो मायावती और सपा संरक्षक गठबंधन करेंगे लेकिन देश की जनता ने लोकसभा चुनाव 2019 में मायावती और मुलायम सिंह को एक मंच पर देखा.

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