सस्ते स्वास्थ्य बीमा उत्पादों के अभाव में देश की कम से कम 30 फीसदी आबादी यानी 40 करोड़ व्यक्ति के पास बीमा के रूप में कोई वित्तीय सुरक्षा नहीं हैं. नीति आयोग की एक रिपोर्ट में यह कहा गया है. ‘हेल्थ इंश्योरेंस फॉर इंडियाज मिसिंग मिडल’ शीर्षक से जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि स्वास्थ्य बीमा दायरे का विस्तार सार्वभौमिक स्वास्थ्य दायरा (Universal health coverage) प्राप्त करने के भारत के प्रयास में एक आवश्यक कदम है.
रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘कम से कम 30 फीसदी आबादी यानी 40 करोड़ व्यक्ति स्वास्थ्य के लिए किसी भी वित्तीय सुरक्षा से वंचित हैं. रिपोर्ट में इन्हें ‘मिसिंग मिडल’ कहा गया है. कम लागत वाले स्वास्थ्य बीमा उत्पाद के अभाव में, सस्ते प्रीमियम का भुगतान करने की क्षमता के बावजूद इन लोगों के पास स्वास्थ्य बीमा नहीं है.’’ रिपोर्ट के अनुसार, ‘मिसिंग मिडल’ एक व्यापक श्रेणी है जिसमें स्वास्थ्य बीमा की कमी है. ये वंचित गरीब वर्गों और अपेक्षाकृत संपन्न संगठित क्षेत्र के बीच वाले लोग हैं.
2018 में योजना की शुरुआत
रिपोर्ट में कहा गया है कि आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (AB-PMJAY) सितंबर 2018 में शुरू की गई थी और राज्य सरकार की योजनाएं 50 फीसदी गरीब आबादी यानी लगभग 70 करोड़ व्यक्तियों को अस्पताल में इलाज के लिए व्यापक कवर प्रदान करती है.
25 करोड़ लोग आयुष्मान भारत योजना से इंश्योर्ड
लगभग 20 फीसदी आबादी या 25 करोड़ व्यक्ति सामाजिक स्वास्थ्य बीमा, और निजी स्वास्थ्य बीमा के माध्यम से कवर किए गए हैं. इसमें कहा गया है, ‘‘शेष 30 फीसदी आबादी स्वास्थ्य बीमा से वंचित हैं. पीएमजेएवाई में मौजूदा कवरेज अंतराल और योजनाओं के बीच दोहराव होने के कारण बीमा से वंचित वास्तविक आबादी अधिक है.’’
PMJAY जैसी नई स्कीम लाने पर विचार कर रही है सरकार
पिछले दिनों एक रिपोर्ट आई थी जिसके मुताबिक, केंद्र सरकार प्रधानमंत्री जनआरोग्य योजना (PMJAY) जैसी कोई और स्कीम ला सकती है. सरकार का ध्यान देश के उन 40 करोड़ लोगों पर है जिनका कोई बीमा नहीं है. इस नई स्कीम में इन लोगों को इंश्योरेंस का लाभ दिया जा सकता है. सरकार ने इसके लिए 21 इंश्योरेंस कंपनियों पर विचार किया है जो बेहद सस्ती दर पर (सब्सिडी रेट पर) लोगों का बीमा कराएंगे. यह प्रोग्राम पहले पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया जा सकता है.
मिडिल क्लास पर ध्यान
40 करोड़ लोग ऐसे हैं जिनके पास मेडिकल इंश्योरेंस कवर नहीं है. ऐसे लोगों को ‘मिसिंग मिडिल’ का नाम दिया जाता है. यानी कि अमीर और निर्धन लोगों के बीच 40 करोड़ लोग बिना इंश्योरेंस के हैं जिनके लिए सरकार नई योजना शुरू कर सकती है. सरकार का मानना है कि इन लोगों को इंश्योरेंस का लाभ न दिया जाए और कोरोना महामारी की चपेट में आ जाएं तो आपात स्थिति में ऐसे लोग गरीबी में जा सकते हैं. कोई गंभीर बीमारी हो जाए तो इन लोगों का अत्यधिक पैसा इलाज पर खर्च होगा और जमा पूंजी जाती रहेगी.