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कोरोना वायरस: ये है हमारे जनसेवक, लड़ने को दिया पैसा अब पीठ दिखा कर भागे, फिर दी सफाई

वाराणसी। कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ जंग और इससे बचाव के मद्देनजर विधायकों ने अपनी विधायक निधि से स्वास्थ्य सेवाओं को और सुदृढ़ बनाने के मक़सद से धनराशि दी थी। लेकिन अब जौनपुर के चार विधायकों ने अपनी पहले दी हुई धनराशि वापस मांग ली है, जिसके बाद मामला तूल पकड़ता दिख रहा है। मामला सामने आने के बाद अब इस प्रकरण में केराकत विधायक सफाई देने के लिए सामने आए हैं और इसे छवि खराब करने की कोशिश बताते हुए खुलकर हमलावर हैं।

ये है पूरा मामला

कोरोना जैसी वैश्विक महामारी से निपटने के लिए जन प्रतिनिधियों ने अपनी निधि से धनराशि जारी की थी। इसमें बदलापुर विधायक रमेश चंद्र मिश्रा ने 23 लाख, केराकत विधायक दिनेश चौधरी ने 10 लाख, मुंगराबादशाहपुर विधायक सुषमा पटेल ने 5 लाख, जफराबाद विधायक डॉ. हरेंद्र प्रसाद सिंह ने 10 लाख, शाहगंज विधायक शैलेंद्र यादव ललई ने 10 लाख, मड़ियाहूं विधायक डॉ. लीना तिवारी 11 लाख, सदर विधायक व राज्यमंत्री गिरीशचंद्र यादव ने 20 लाख, मल्हनी विधायक पारसनाथ यादव ने 15 लाख और मछलीशहर विधायक जगदीश सोनकर ने 17.94 लाख रुपए जारी किए थे।

इसी बीच प्रदेश सरकार ने वर्ष 2020-21 की विधायक निधि का इस्तेमाल कोरोना से लड़ने के लिए जांच किट, दवा, इलाज व अस्पतालों में संसाधन बढ़ाने पर करने का फैसला किया। सरकार की मंशा सामने आई तो 5 विधायक और एक एमएलसी ने दान में दी गई अपनी निधि खर्च न करने की बात ज़िला प्रशासन से की।

विधायक की सफाई, ये छवि धूमिल करने की कोशिश

केरकत विधायक ने सोशल मीडिया के ज़रिए बताया है कि एक साल की पूरी निधि मतलब तीन करोड़ रुपये व एक साल की तनख्वाह का 30 पर्सेंट उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के एक आह्वान पर दिया गया। चूँकि पहले घोषित राशि भी निधि से ही देनी थी और इसके जारी करने के संबंध में पत्र तब दिया गया था जब यह नियम और अपील नहीं आई थी।

उस समय अपनी-अपनी स्वेच्छानुसार विधायक पत्र लिख कर मुख्य विकास अधिकारी को दे रहे थे। चूँकि वह पैसा भी जनता का है और बाद में जिस निर्णय के तहत सरकार ने विधायक निधि ली वो भी। विधायक निधि को विकास कार्य में ही खर्च किया जाना है। कुछ लोग बेतुके आरोप लगाकर विधायकों की छवि धूमिल करने का प्रयास कर रहे हैं।

अधिकारी बोले

मुख्य विकास अधिकारी अनुपम शुक्ला ने बताया कि पांच जनप्रतिनिधियों ने निधि वापस करने के लिए पत्र दिया है। हालांकि इसमें से कुछ रकम स्वास्थ्य सेवाओं में खर्च हो चुकी है।

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