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खाली पेट, खाली जेब..नहीं कर पाए पैसों का जुगाड़ तो बच्चों संग मरने को मजबूर हुआ मजदूर

कानपुर। कोरोना वायरस के चलते देशभर में लॉकडाउन किया गया है. जिसकी वजह से लगभग सभी काम धंधे ठप हो चुके हैं. लॉकडाउन की सबसे ज्यादा मार गरीब मजदूर वर्ग के लोगों को पड़ी है. जिनके सामने खाने-पीने का बड़ा संकट खड़ा हो चुका है. कानपुर से एक ऐसी ही दर्दनाक कहानी आई है, जहां पर एक मजदूर से अपने बच्चों की भूख नहीं देखी गई और उसने आत्महत्या कर ली.

कोरोना लॉकडाउन की वजह से जहां लोगों के रोजगार जा रहे हैं, वहीं गरीब मजदूरों को दो वक्त की रोटी तक नसीब नहीं हो रही है. उत्तर प्रदेश के कानपुर से एक ऐसा ही दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है. जहां पर 40 साल के एक गरीब किसान ने खुदकुशी कर ली. क्योंकि उसके पास अपने बच्चों को देने के लिए खाना नहीं था. इस मामले पर प्रशासन की तरफ से अब तक कोई बयान नहीं आया है. पुलिस ने आत्महत्या का केस दर्ज कर लिया है. पुलिस पूरे मामले की जांच कर रही है.

लॉकडाउन में काम न मिलने से परेशान काकादेव थाना क्षेत्र के राजापुरवा निवासी विजय से जब अपने चार बच्चों की भूख नहीं देखी गई तो उसने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. भूखे परिवार का पेट भरने के लिए मजदूर ने पूरी कोशिश की, दर-दर भटका भी. लेकिन उसे कहीं काम नहीं मिला. उसके चार बच्चों को पिछले 15 दिन से भरपेट खाना नहीं मिला था. बच्चे कभी सूखी रोटी खाकर सो जाते तो कभी पानी पीकर.

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वहीं मृतक विजय की पत्नी का कहना है कि लॉकडाउन की वजह से काम बंद था. इसकी वजह से धीरे-धीरे घर पर खाना और पैसा खत्म हो गया था. जैसे- तैसे घर चलाता रहा और बच्चों का पेट भरता रहा. लेकिन कई दिनों से बच्चों की भूख विजय से देखी नहीं गई. तो उसने इस दुनिया से चले जाने का फैसला कर लिया और फांसी लगाकर जान दे दी. पड़ोसियों के मुताबिक विजय बहादुर की मदद के लिए कई लोगों ने कई बार हाथ भी बढ़ाएं. लेकिन शायद संकोच की वजह से उसने मांगना सही नहीं समझा.

मृतक की पत्नी ने कहा कि घर में कुछ जेवर भी थे जिन्हें बेचने का प्रयास भी किया गया. लेकिन दुकान ना खुली होने की वजह से जेवर नहीं बेच सका. यह कदम विजय ने तब उठाया जब पत्नी बच्चों के साथ कुछ खाने की इंतजाम के लिए घर से बाहर निकली थी. ऐसे में उसने भूखे बच्चों के दर्द को ना सहन कर पाने की वजह से फांसी का फंदा अपना लिया.

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