देशबड़ी खबर

Bihar Train accident: जब बिहार में हुआ था बड़ा रेल हादसा, चली गई थी 800 लोगों की जान, पुल तोड़कर नदी में समा गए ट्रेन के 7 डिब्बे

पटना : बिहार के बक्सर में रेल हादसा हुआ, जिसमें नॉर्थ ईस्ट एक्सप्रेस की सभी 21 बोगियां पटरी से उतर गईं. जब ये हादसा हुआ तो ट्रेन बक्सर से 40 किलोमीटर की दूरी तय कर चुकी थी.

तक नॉर्थ ईस्ट एक्सप्रेस रफ्तार पकड़ चुकी थी. 100 किलोमीटर प्रतिघंटे की गति पर आते ही ये हादसा हो गया. बिहार में जब भी बड़े रेल हादसे की बात आती है तो याद आता है साल 1981 का वो हादसा, जिसमें सैकड़ों जानें मौत के आगोश में चलीं गईं थीं.

उस हादसे को सोचकर लोग आज भी सिहर उठते हैं. 42 साल पहले हुए इस हादसे ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था.

7 बोगियों की नदी में जल समाधि :

दरअसल, एशिया के दूसरे बड़े रेल नेटवर्क वाले देश में ये रेल हादसा हुआ था. इस हादसे के पहले माना जाता था कि रेल सबसे सुरक्षित आवागमन का जरिया है. लेकिन 1981 के इस हादसे ने लोगों को झकझोर कर रख दिया. सहरसा जा रही पैसेंजर ट्रेन की 7 बोगियां बागमती नदी में समा गईं. ये खबर उस देश में किसी सदमे से कम नहीं थी, जिस देश की आस्ट्रेलिया जितनी आबादी ट्रेन में रहती है.

यहां लगभग ढाई करोड़ यात्री रोजाना ट्रेनों से सफर करते हैं.

800 लोगों की हुई थी मौत :

कोई भी रेल हादसा होता है तो लोगों के सामने 42 साल पहले वाले रेल हादसे की तस्वीर घूम जाती है. वह खौफनाक मंजर याद आता है जब यात्रियों से खचाखच भरी 416 डाउन पैसेंजर ट्रेन जो कि खगड़िया से सहरसा तक जाती थी, बागमती नदी में ट्रेन की बोगियां समा गई. तब आज की तरह यात्रियों की लिस्ट नहीं बना करती थी.

उफान मारती बागमती नदी में 7 बोगियों के लोग पानी में समा गए. जो किस्मत वाले थे, तैरना भी जानते थे वो तो निकल गए लेकिन 800 लोग (300 की मौत का आंकड़ा औपचारिक) इतने सौभाग्यशाली नहीं थे. उनकी बोगी में ही जलसमाधि बन गई.

Bihar train disaster, North-East Express, Railway accident, Bakhtiyarpur rail crash, 21 coaches derailed, Bihar rail tragedy, Terrifying incident, North-East Express disaster, 1981 rail tragedy, Rail safety, Train derailment, Bihar railway incident, Horrific train crash, Bakhtiyarpur accident, Historical rail disaster, Passenger train crash, Railway chaos, 1981 Bihar accident, Rail safety measures, Railway emergency, Survivors' stories, 1981 train disaster, Recent rail incident, Railway horror, Safety precautions, Train catastrophe, Shocking rail event, Bihar transportation, Safety awareness, North-East Express news, Disaster aftermath, Unveiling the tragedy, Emergency response, Rail incident history, Passenger safety,

6 जून 1981 का वो काला दिन :

दरअसल, मानसी से सहरसा के लिए एकमात्र पैसेंजर ट्रेन होने की वजह से इसकी छतों पर बैठकर लोग यात्रा करते थे. 6 जून 1981 को भी कुछ ऐसा ही था. लोग इस ट्रेन में बैठकर अपने ठिकानों की ओर बढ़ रहे थे. रास्ते में जोरदार बारिश और मौसम बिगड़ने के चलते ट्रेन जैसे ही पुल पर चढ़ ही रही थी कि तभी ड्राइवर ने इमरजेंसी ब्रेक लगा दिया.

9 डिब्बों वाली पैसेंजर ट्रेन के 7 डिब्बे अलग होकर बागमती नदी में गोता लगा दिया. कई यात्री तब बाहर निकलने में कामयाब रहे. लेकिन सैकड़ों लोग बोगियों में ही फंसे रहे.

याद है ये मंजर ? : ये तस्वीर उसी साल की है जब ये हादसा हुआ था. लोग बोगी में से निकलकर बोगी के ऊपर खड़े थे. लाशें बोगियों में फंसी थी. कुछ लोग क्षति ग्रस्त पुल पर चढ़े हुए थे.

जब तक मदद नहीं पहुंची लोग वैसे ही अटके रहे. ये भयानक हादसा हर किसी के जेहन में है. जब भी कोई रेल हादसा होता है तो इस दर्दनाक हादसे का जिक्र आ ही जाता है.

हादसों से कब लेंगे सबक ? :

आज रेलवे काफी हाईटेक हो चुका है. संसाधनों के बावजूद हादसों पर कंट्रोल नहीं रह पा रहा है. सवाल ये है कि अक्सर आए दिन रेल हादसे क्यों होते हैं. ट्रेन के सिस्टम को मजबूत बनाना होगा.

ताकि कोई हादसा न हो. हर किसी को ट्रेन अपनी मंजिल पर सही सलामत पहुंचाए. लेकिन एक चूक से सबकी उम्मीदों पर पानी फिर जाता है. सरकार किसी की भी रही हो, रेल हादसा कॉमन हो गया है. बिहार ने कई रेल मंत्री दिए लेकिन ये प्रदेश भी हादसों का गवाह बना, जो कि दुखद है.

Related Articles

Back to top button