उत्तर प्रदेशलखनऊ

मनी लांड्रिंग केसः यूपी के पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति को SC से झटका, डिफाल्ट बेल याचिका पर सुनवाई से इनकार

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उत्तर प्रदेश के पू्र्व मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. कोर्ट ने प्रजापति की डिफाल्ट बेल याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया है. डिफाल्ट बेल याचिका पर सुनवाई से इनकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने गायत्री प्रजापति से जमानत के लिए हाई कोर्ट जाने को कहा है.

इससे पहले लखनऊ की स्पेशल प्रवर्तन निदेशालय कोर्ट ने गायत्री प्रजापति की जमानत याचिका खारिज कर दिया था. पिछले साल 26 अक्टूबर को विजिलेंस टीम ने गायत्री प्रजापति के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज किया था. इसी आधार पर इस साल की शुरुआत में 14 जनवरी प्रवर्तन निदेशालय ने भी जांच शुरू की. प्रारंभिक जांच में पता चला था कि बतौर खनन मंत्री गायत्री प्रजापति ने आय से अधिक संपति अर्जित की थी.

पिछले साल विजिलेंस ने दर्ज की थी FIR

विजिलेंस ने प्रदेश के पूर्व मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति के खिलाफ पिछले साल जुलाई में आय से अधिक संपत्ति के मामले में एफआईआर दर्ज की थी. विजिलेंस की खुली जांच में उनके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के सुबूत मिले थे, जिसके बाद उसने जांच की रिपोर्ट शासन को सौंप दी थी. शासन की ओर से हरी झंडी मिलने के बाद विजिलेंस ने लखनऊ में उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी.

विजिलेंस ने गायत्री प्रजापति के खिलाफ 3 साल पहले खुली जांच शुरू की थी. गायत्री 2007 से 2012 तक मंत्री पद पर रहे थे. इस दौरान उनकी संपत्ति करीब 3.50 करोड़ रुपये पहुंच गई, जिसका जांच में खुलासा हुआ. जांच में यह बात सामने आई कि गायत्री प्रजापति की संपत्ति 3 करोड़ रुपये ज्यादा निकली है. साथ ही साथ जांच में विजिलेंस को ऐसी 21 बेनामी संपत्तियों की भी जानकारी मिली जो पूर्व मंत्री से संबंधित थीं.

गैंगरेप मामले में कोर्ट ने सुनाई उम्रकैद-जुर्माना

यही नहीं गायत्री प्रजापति को चित्रकूट की रहने वाली नाबालिग लड़की के साथ गैंगरेप के मामले में सजा सुनाई जा चुकी है. इस मामले में पूर्व मंत्री को उम्रकैद की सजा दी गई है. साथ ही 2 लाख रुपये का जुर्माना भी लगा है. पिछले दिनों एमपी-एमएलए कोर्ट के विशेष जज पवन कुमार राय ने गायत्री समेत तीन आरोपियों को मामले में दोषी करार देते हुए उम्रकैद और जु्र्माना दोनों लगाया था. जबकि इसी मामले के चार अन्य अभियुक्तों को बड़ी राहत देते हुए उन्हें कोर्ट ने मामले से बरी कर दिया.

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 18 फरवरी, 2017 को गायत्री प्रजापति और अन्य छह अभियुक्तों के खिलाफ गैंगरेप, जानमाल की धमकी और पॉक्सो ऐक्ट के तहत केस दर्ज हुआ था. सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश पीड़िता की याचिका पर सुनाया था. पीड़िता ने गायत्री और उनके साथियों पर गैंगेरप का आरोप लगाते हुए, अपनी नाबालिग बेटी के साथ भी जबरन शारीरिक संबध बनाने का आरोप लगाया था.

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