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जम्मू-कश्मीर: राज्य का दर्जा बहाल होने तक जारी रहेगा हमारा संघर्ष, बोले पूर्व सीएम गुलाम नबी आजाद

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने शनिवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर के राज्य के दर्जे की बहाली के लिए संघर्ष तब तक जारी रहेगा, जब तक कि क्षेत्र के लोगों को उनकी पहचान वापस नहीं मिल जाती, भले ही इसके लिए हमें अपनी जान क्यों न कुर्बान करनी पड़े. दक्षिण कश्मीर के कुलगाम जिले के देवसर इलाके में पार्टी कार्यकर्ताओं की एक बैठक को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को निरस्त करने और तत्कालीन राज्य को केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने का केंद्र का 5 अगस्त, 2019 का फैसला कुछ ऐसा था जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी.

गुलाम नबी आजाद ने कहा कि 5 अगस्त, 2019 को जम्मू-कश्मीर में बिजली गिरी. कुछ ऐसा हुआ जिसके बारे में किसी ने सोचा या अनुमान नहीं लगाया होगा. न केवल कश्मीर या जम्मू या लद्दाख के लोगों ने बल्कि भारत के किसी भी नागरिक ने नहीं सोचा होगा कि जम्मू-कश्मीर का विभाजन हो जाएगा. इसे दो भागों में विभाजित कर दो केंद्र शासित प्रदेशों का गठन किया जाएगा. जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि आमतौर पर एक केंद्र शासित प्रदेश को एक राज्य बनाया जाता है, लेकिन शायद पहली बार किसी राज्य को केंद्र शासित प्रदेश में बनाया गया.

राज्य का दर्जा बहाल होने तक जारी रहेगा संघर्ष- आजाद

उन्होंने कहा कि चार अगस्त 2019 तक जो राज्य का दर्जा था वो बहाल होने तक हमारा संघर्ष जारी रहेगा. भले ही हमें अपनी जान की कुर्बानी क्यों न देनी पड़े, क्योंकि वो हमारी पहचान थी. कांग्रेस नेता ने कहा कि केंद्र को फरवरी तक जम्मू-कश्मीर में परिसीमन प्रक्रिया पूरी करके सर्दी के तुरंत बाद विधानसभा चुनाव कराने चाहिए. गुलाम नबी आजाद ने ये भी कहा कि सर्दी के अगले चार महीने में चुनाव कराना संभव नहीं है. उन्होंने कहा कि अगले चार महीने में चुनाव संभव नहीं हैं और अगर वो (केंद्र) चाहें तो भी हम ना कहेंगे. हम सभी ने जून में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में कहा था कि पहले राज्य का दर्जा बहाल किया जाए और फिर परिसीमन होना चाहिए.

अगले साल अप्रैल में जम्मू-कश्मीर में चुनाव होने चाहिए

गुलाब नबी आजाद ने पत्रकारों से कहा कि लेकिन सरकार ने इसे स्वीकार नहीं किया और इसलिए उन्हें फरवरी तक परिसीमन प्रक्रिया समाप्त करनी चाहिए और सर्दी खत्म होने के बाद, अप्रैल में चुनाव होने चाहिए. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा कि प्राथमिकता ये नहीं है कि कौन मुख्यमंत्री बने, बल्कि ये है जम्मू-कश्मीर में 4 अगस्त, 2019 की स्थिति को कैसे बहाल किया जाए. उन्होंने कहा कि प्राथमिकता मुख्यमंत्री को लेकर नहीं है, ये मुद्दा ही नहीं है. प्राथमिकता ये है कि 4 अगस्त 2019 की स्थिति को कैसे बहाल किया जाए. ऐसा राज्य का दर्जा बहाल करने और फिर विधानसभा चुनाव कराने से होगा.

आजाद ने कहा कि राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग कश्मीर केंद्रित नहीं है. उन्होंने कहा कि राज्य के दर्जे को लेकर कोई लड़ाई नहीं है. जम्मू में हिंदू भाई, कश्मीर में सिख, मुसलमान और यहां तक ​​कि पंडित भी राज्य का दर्जा चाहते हैं. कोई ये न समझे कि केवल कश्मीरी ही राज्य का दर्जा चाहते हैं, मैंने बार-बार कहा है और यहां तक ​​कि सर्वदलीय बैठक में भी कहा है कि बीजेपी के नेता भी राज्य का दर्जा चाहते हैं.

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