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लखनऊ विश्वविद्यालय: शिक्षाशास्त्र विभाग ने प्राइवेट कोचिंग का ई-कंटेंट वेबसाइट पर डाला, मचा बवाल तो हटाया

लखनऊ। लॉकडाउन के दौरान लखनऊ विश्वविद्यालय अपने ई-लर्निंग पद्धति व वेबसाइट पर अपलोड किए गए ई-कंटेंट (e-content) से योगी सरकार और राजभवन से खूब वाहवाही बटोर रहा है। लेकिन एलयू का शिक्षा शास्त्र विभाग ही यूनिवर्सिटी की शानदार पहल पर पलीता लगा रहा है। हाल ही में शिक्षा विभाग द्वारा यूनविर्सिटी की वेबसाइट पर जो ई-कंटेट अपलोड किया गया, उस पर सवाल उठने लगे। पता चला कि ये पूरा कंटेट एक निजी कोचिंग की वेबसाइट हूबहू मेल खाता है। मामला खुला तो आनन-फानन में यूनिवर्सिटी की वेबसाइट से कंटेंट को हटा दिया गया है।

आरोप है कि शिक्षा शास्त्र विभाग की प्रोफेसर और एलयू से सम्बद्ध निजी महाविद्यालय बलराम कृष्ण अकादमी की प्रबंधक डॉ तृप्ता त्रिवेदी ने नेट की प्राइवेट कोचिंग चला रहे इंस्टीट्यूट की का हूबहू कंटेंट लखनऊ विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर अपलोड कर दिया।इसके बाद मामला खुलता देख एलयू की वेबसाइट से ई कंटेंट को डिलीट कर दिया।

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खबरी अड्डा ने इस संबंध में विभागाध्यक्ष अमिता बाजपेई से सवाल किया तो उन्होंने कहा कि उनके पास अपलोड किए गए ई-कंटेंट के कहीं से चुराए हुए होने की कोई लिखित शिकायत नहीं आई है। यदि शिकायत आती है तो देखा जाएगा। हालांकि ई-कंटेंट में डॉ तृप्ता त्रिवेदी ने अपने नाम के साथ विमल सिंह का भी नाम डाला था. जो प्राइवेट कोचिंग की वेबसाइट पर हुबहू अपलोड है। गौरतलब है कि कंटेंट अपलोड करने की पूरी जिम्मेदारी सिर्फ प्रोफेसर की ही होती है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या वेबसाइट पर प्रोफेसर द्वारा डाले जाने वाले ई-कंटेंट की विभागाध्यक्ष द्वारा मॉनिटरिंग नहीं की जानी चाहिए?

ऐसे खुला मामला

दरअसल विमल सिंह अनअकेडमी नाम से निजी कोचिंग चलाते हैं. एलयू के शिक्षा शास्त्र विभाग में सीनियर रिसर्च फेलो व बलराम कृष्ण अकादमी में शिक्षक विमल सिंह एक छात्र से अपने निजी कोचिंग संस्थान में नेट की कोचिंग करने के लिए दबाव बना रहे थे। उस छात्र के यह कहने पर कि एलयू ने भी अब ई-कंटेंट अपलोड कर दिया है, ऐसे में कोचिंग की जरूरत नहीं है। इसके बाद विमल सिंह ने खुलासा किया कि एलयू ने उन्हीं का कंटेंट हूबहू कॉपी करके अपलोड किया है।

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क्या कहते हैं जिम्मेदार

मामले में लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो आलोक राय से जब इस मामले में बात की गई तो उन्होंने  स्पष्ट किया कि ई-कंटेंट अपलोड करते समय शिक्षकों को नैतिकता का पालन करना चाहिए। विश्वविद्यालय की छवि को धूमिल करने का हक किसी को नहीं है। ऐसे मामले को संज्ञान में लेकर कार्रवाई की जाएगी।

वहीं यूडीआरसी के निदेशक प्रो अनिल मिश्रा ने कहा कि मामला संज्ञान में आते ही निजी प्राइवेट कोचिंग की वेबसाइट के और एलयू की वेबसाइट पर अपलोड ई-कंटेंट के साथ मिलान किया गया। विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर अपलोड किया गया कंटेंट हूबहू प्राइवेट कोचिंग का था। मामले में विभागाध्यक्ष अमिता बाजपेई  को प्रोफेसर तृप्ता त्रिवेदी का एक्सप्लेनेशन कॉल कर प्रशासन को इस प्रकरण की वस्तुस्थिति से अवगत कराने के लिए निर्देशित कर दिया गया है। साथ ही ई-कंटेंट को एलयू की वेबसाइट से भी हटा दिया गया है।

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