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सुल्तानपुर : राइस मिल रोका जा रहा है? क्या है इस कार्रवाई के पीछे का सच?

सुल्तानपुर। जिले की एक राइस मिल ने दशक भर बाद भी सैकड़ों क्विंटल चावल को दबाए रखा है। विपणन विभाग के कई निर्देशों के बाद भी मिल ने चावल नहीं लौटाया। मामले को गंभीरता से लेते हुए निदेशक ने सख्त कार्रवाई का निर्देश दिया है। विपणन विभाग की ओर से किसानों से खरीदा जाने वाला धान कई राइस मिल संचालकों को चावल बनाने के लिए दिया जाता है।

वर्ष 2011-2012 में जिले में विभाग से कई राइस मिलों को चावल बनाने के लिए संबद्ध किया गया था। संबद्ध एक राइस मिल संचालक ने विभाग से सैकड़ों क्विंटल धान ले लिया लेकिन उसका चावल बनाने के बाद अभी तक वापस नहीं किया।

दशक भर के बीच तैनात रहे विपणन अधिकारियों ने कई बार चेतावनी व नोटिस जारी किया लेकिन इसके बाद भी राइस मिल ने चावल वापस नहीं किया। सूचना पर प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए विभाग के निदेशक ने राइस मिल संचालक पर कड़ी कार्रवाई का निर्देश दिया है। जिला खाद्य एवं विपणन अधिकारी संजय पांडेय ने बताया कि प्रकरण मेरे समय का नहीं है। निदेशक के निर्देश का अनुपालन किया जाएगा।

राइस मिल संचालकों के धान को दबाए रखने की घटना सुल्तानपुर जिले में चर्चा का विषय बन गई है। विपणन विभाग के निर्देशक द्वारा दी गई कड़ी कार्रवाई के बावजूद भी, धान की वापसी में देरी हो रही है। यह स्थिति किसानों के लिए काफी परेशानीकारक है, क्योंकि उनके लिए धान ही एक मुख्य आय का स्रोत है।

किसानों की चिंता बढ़ गई है क्योंकि उन्हें उनके पैसे वापस नहीं मिल रहे हैं, जो उन्होंने धान बेचने के लिए दिए थे। इसके परिणामस्वरूप किसान अपने आय के अच्छे हिस्से को खो रहे हैं और उनका आर्थिक स्थिति बिगड़ रहा है।

इस संदर्भ में, विपणन विभाग के निदेशक की कड़ी कार्रवाई की आवश्यकता है। उनके द्वारा जारी किए गए निर्देशों का उल्लंघन बर्दाश्व नहीं करना चाहिए।

किसान अपने धान के पैसे जल्दी वापस पाना चाहते हैं, ताकि वे अपनी आवश्यकियों को पूरा कर सकें और अपने परिवार के लिए सामग्री खरीद सकें। इसलिए, विपणन विभाग के प्रति किसानों की मांगें उचित है और उन्हें उनके पैसे जल्दी वापस मिलने चाहिए।

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