देशबड़ी खबर

एयर इंडिया के बाद प्राइवेट हाथों में गई एक और कंपनी, सरकार ने CEL को 210 करोड़ रुपये में बेचने को दी मंजूरी

[tta_listen_btn listen_text="खबर सुनें" pause_text="Pause" resume_text="Resume" replay_text="Replay" start_text="Start" stop_text="Stop"]

सरकार ने सोमवार को सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड को नंदल फाइनेंस एंड लीजिंग को 210 करोड़ रुपये में बेचने की मंजूरी दे दी. एयर इंडिया के बाद सरकार द्वारा यह दूसरी रणनीतिक हिस्सेदारी की बिक्री है. अभी हाल में सरकार ने एयर इंडिया के संचालन का जिम्मा टाटा को दिया है और इसकी पूरी प्रक्रिया जल्द ही पूरी होने वाली है.

एक सरकारी बयान में कहा गया है, एक ऑल्टरेनेटिव मेकेनिज्म के तहत सबसे ऊंची बोली लगाने वाली कंपनी नंदल फाइनेंस एंड लीजिंग प्राइवेट लिमिटेड को सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (CEL) में सरकारी की 100 फीसदी हिस्सेदारी बेचने को मंजूरी दी गई. सीईएल एक सरकारी उपक्रम है जो डिपार्टमेंट ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च या DSIR के तहत आता है. नंदल फाइनेंस ने सबसे ज्यादा 210 करोड़ रुपये की बोली लगाई है.

स्ट्रेटजिक डिसइंवेस्टमेंट के ऑल्टरनेटिव मेकेनिज्म में सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और साइंस एंड टेक्नोलॉजी के राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह शामिल हैं. PTI की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सीईएल के लिए दो कंपनियों ने बोली लगाई थी- नंदल फाइनेंस ने 210 करोड़ रुपये और जेपीएम इंडस्ट्रीज ने 190 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी. लेकिन नंदल फाइनेंस एंड लीजिंग की बोली सबसे ऊंची रही, इसलिए सीईएल को उसके नाम पर मंजूरी देने का फैसला हुआ. नंदल फाइनेंस ने जो बोली लगाई है, वह रिजर्व प्राइस से भी ज्यादा है. सरकारी बयान में यह बात की गई है.

सरकार ने पहले ही दे दी थी जानकारी

वित्त मंत्रालय ने इस साल अक्टूबर महीने में कहा था कि उसे सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड में सरकार की 100 फीसदी हिस्सेदारी बेचने के लिए वित्तीय बोलियां प्राप्त हुई हैं. इसके बारे में DIPAM सेक्रेटरी तुहीन कांत पांडे ने एक ट्वीट के जरिये जानकारी दी थी. हालांकि उस वक्त उन्होंने यह नहीं बताया था कि कितनी कंपनियों की तरफ से बोलियां मिली थीं. सोमवार को सरकार ने बताया कि नंदल फाइनेंस ने 210 करोड़ रुपये और जेपीएम इंडस्ट्रीज ने 190 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी. इसके बाद नंदल फाइनेंस की बोली अधिक होने के चलते उसे सीईएल बेचने को मंजूरी दे दी गई.

CEL के बारे में

सीईएल की स्थापना 1974 में की गई थी. नेशनल लेबोरेटरीज एंड रिसर्च एंड डेवलपमेंट इंस्टीट्यूशन के द्वारा देश में तैयार टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल ज्यादा से ज्यादा कैसे कर सकते हैं, इसका जिम्मा सीईएल को दिया गया था. सीईएल देश में सोलर फोटोवोल्टिक (SPV) के क्षेत्र में अग्रणी है, जिसे 1977 में भारत का पहला सोलर सेल और 1978 में पहला सोलर पैनल विकसित करने के साथ-साथ 1992 में भारत का पहला सोलर प्लांट चालू करने का गौरव प्राप्त है.

इस कंपनी ने 2015 में विशेष रूप से पैसेंजर ट्रेन की छतों पर उपयोग के लिए पहला क्रिस्टलीय लचीला सौर पैनल विकसित और निर्मित किया. इसके सोलर प्रोडक्ट अंतरराष्ट्रीय मानकों के स्तर के हैं. CEL रेलवे क्षेत्र में सिग्नलिंग और दूरसंचार के लिए नए और उन्नत उत्पादों की एक श्रृंखला के विकास पर आगे काम कर रहा है.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button