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कोरोना वायरस पॉजिटिव मरीज ढूंढने में कारगर रही हैं सर्विलांस टीमें

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में कोरोना वायरस के पॉजिटिव मरीज पाए जाने के कंटेन्मेंट क्षेत्रों में स्वास्थ्य विभाग की टीमों ने घर-घर घूमकर बड़ी तादाद में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों को घर से निकाल कर अस्पताल के आइसोलेशन बेड तक पहुंचाया है। अब तक 72 हजार टीमों ने 60 लाख घरों तक पहुंचकर करीब तीन करोड़ लोगों का हालचाल लिया है।

तीन सदस्यीय इस टीम में एक आशा बहू, एक हेल्थ वर्कर व एक अन्य गांव में ग्राम प्रधान व शहर में पार्षद द्वारा नामित व्यक्ति होता है। सर्विलांस टीम कही जाने वाली इस टीम की प्रमुख आशा बहू होती है। सर्विलांस करने के लिए करीब डेढ़ लाख आशा बहुओं को प्रशिक्षित किया गया है।

पल्स पोलियो अभियान के तहत घर-घर जाने वाली टीम की तर्ज पर यह टीम उन कंटेन्मेंट क्षेत्रों में जाती है, जहां कोरोना पॉजिटिव मरीज मिलते हैं। किसी कन्टेनमेंट क्षेत्र में एक पॉजिटिव केस पाए जाने पर यह टीम एक किलोमीटर के क्षेत्र में आने वाले घरों में पहुंचती है। अगर एक से ज़्यादा केस मिलते हैं तोह यही सर्विलांस का क्षेत्र 3 किलोमीटर तक बढ़ा दिया जाता है।

संक्रमित मिले हैं प्रवासी श्रमिक

कोरोना वायरस से संक्रमित मरीज़ों को ढूंढ़ने में यह टीमें बड़ी कारगर साबित हो रही हैं। पहले चरण में जब 11 लाख श्रमिक जब बसों से अपने घरों तक पहुंचाए गए थे, उस समय छह हज़ार श्रमिकों में कोरोना वायरस के लक्षण पाए गए थे। सर्विलांस टीम ने अपने अपने जि़लों के सीएमओ को सूचना दी तब इन सभी 6000 श्रमिकों की जांच की गई। इनमें 394 श्रमिक कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए। अभी दूसरे चरण में ट्रेनों से 91 हज़ार श्रमिकों के आने की जानकारी स्वास्थ्य विभाग के पास है।

इन श्रमिकों के घर पहुंची सर्विलांस टीम ने पाया कि 91000 श्रमिकों में 118 मज़दूरों में कोरोना वायरस की बीमारी के लक्षण पाए गए। इन मरीज़ों के भी नमूने ले लिए गए हैं। इन्हें क्वारंटीन कर दिया गया है। अभी इनकी जांच की रिपोर्ट आना बाकी है। चिकित्सा व स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव अमित मोहन प्रसाद ने भी इस बात को स्वीकार किया है कि बाहर से आए श्रमिकों में कुछ श्रमिक संक्रमित पाए गए हैं।

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