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भ्रष्टाचार के तथ्यों को छिपा रहे हैं सीएमओ

हरदोई। विवादित फार्मासिस्ट जे एन तिवारी द्वारा सीएम और क्रय समिति की मिलीभगत से की गई अनियमितता पूर्ण खरीदारी के खुलासे के उपरांत अब सीएमओ पूरी तरह विवादित फार्मासिस्ट और दागियों को बचाने की मुहिम में लग गए हैं। हैंड वॉश खरीद को लेकर जिस प्रकार सीएमओ द्वारा तथ्यों को छिपाने का प्रयास किया जा रहा है उससे इस पूरे भ्रष्टाचार में कहीं ना कहीं उनकी साझेदारी की आशंका भी उत्पन्न हो रही है।

चर्चा है कि विवादित फार्मासिस्ट सीएमओ का बेहद करीबी है एवं उसके द्वारा केंद्रीय औषधि भंडार के माध्यम से तमाम चिकित्सा उपकरणों और सामग्रियों की खरीद में जो भ्रष्टाचार और गड़बडिय़ां की जाती है उन्हें पूरी तरह सीएमओ एवं क्रय समिति का सहयोग और संरक्षण प्राप्त है। इस पूरे खेल में उसके खास सहयोगी की भूमिका निभाने वाले संविदा कर्मी गौरव सोनी की कार्यशैली एवं इमानदारी पर भी सवालिया निशान लग रहे हैं।

चर्चा है कि गौरव सोनी ही वह व्यक्ति है जिसके माध्यम से जेम पोर्टल पर उक्त फार्मासिस्ट अपनी मनमानी फरमा की निविदाओं को वरीयता दिलवाकर बेहद शातिराना ढंग से भ्रष्टाचार को अंजाम देता। विदित हो कि गत दिनों केंद्रीय औषधि भंडार में तैनात विवादित फार्मासिस्ट जे एन तिवारी उस समय सुर्खियों में आ गया था जब उसके द्वारा बैंडेज खरीद में नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए जेम पोर्टल की जगह 9 लाख 28 हजार रूपए की सीधी खरीद कर ली गई थी।

इस खुलासे के बाद जिला अधिकारी द्वारा प्रकरण को संज्ञान में लेते हुए उक्त फार्मासिस्ट से समस्त चार्ज लेकर उसके निलंबन की संस्तुति की गई थी। इसी बीच केंद्रीय औषधि भंडार द्वारा की गई हैंडवाश की खरीद और आपूर्ति को लेकर भी एक नया खुलासा हो गया जहां मार्च 2020 में विभिन्न सीएचसी पर बड़ी मात्रा में भेजे गए हैंड वॉश इसी माह मार्च 2020 में ही एक्सपायर डेटेड हो गए।

मामला खुलते ही स्वास्थ विभाग में एक बार फिर हडक़ंप मच गया तो वहीं दूसरी ओर इस प्रकरण में अपनी गर्दन फसती देख सीएमओ तथ्यों को छुपाने के प्रयास में लग गए। बार-बार यह पूछने के बाद भी सीएमओ एस के रावत यह जानकारी नहीं दे रहे हैं कि आखिर आपूर्ति के एक माह में ही जिस हैंडवाश की वैधता तिथि समाप्त हो गई हो आखिर उसकी खरीद कब की गई?

वह यह भी नहीं बता रहे कि यह खरीद जेम पोर्टल के द्वारा हुई है अथवा बैंडेज की तरह हैंडवाश की भी खरीद सीधे कर ली गई। सिर्फ यही नहीं वह इस बात का भी उत्तर नहीं दे रहे हैं कि आखिर यह हैंड वास किस मूल्य पर खरीदा गया और किस से खरीदा गया? उनके द्वारा जिस प्रकार से तथ्यों को छुपाया जा रहा है उससे यह आशंका और प्रबल हो रही है की हैंड वास की खरीद में भी कोई बड़ी गड़बड़ी हो सकती है।

 

स्वास्थ्य विभाग में यह आम चर्चा है कि चीफ फार्मासिस्ट जे एन तिवारी बेहद पहुंच वाला व्यक्ति है एवं उसकी विभाग एवं राजनैतिक क्षेत्र में मजबूत पकड़ है। यही कारण है कि बार-बार कार्यवाही के आदेश के बाद भी कोई उसका कुछ नहीं बिगाड़ पा रहा। चर्चा तो यह भी है कि वर्तमान सीएमओ एस के रावत की तैनाती के पीछे भी इसी फार्मासिस्ट का महत्वपूर्ण योगदान है।

जिस प्रकार सीएमओ इस विवादित फार्मासिस्ट के समक्ष कमजोर नजर आते हैं उससे इन चर्चाओं को बेहद बल मिल रहा है। फिलहाल एक्सपायर डेटेड हैंड वास की सीएचसी पर सप्लाई कहीं ना कहीं इन भ्रष्टाचारियों के गले की फांस बनती जा रही है। इस प्रकरण की यदि गहराई से जांच कराई जाए तो निश्चित रूप से भ्रष्टाचार के और भी बड़े एवं गभीर कारनामों का खुलासा हो सकता है।

हैंडवॉश खरीद के सम्बन्ध मे सीएमओ एस के रावत से कई वार बात करने का प्रयास किया गया मगर पहले तो वह इस प्रकरण में जानकारी के आभाव की बात कहते रहे एवं वाद में उन्होंने संवाददाता का फोन ही उठाना बन्द कर दिया। ना जाने उनकी क्या मजबूरी है कि वह इस खरीद के सम्बनध में बात करने से वचने का प्रयास कर रहे हैं।

फर्म ने किया हैंड वास की सीधी सप्लाई से इनकार

विभिन्न सीएचसी पर मार्च 2020 में भेजी गई भाव्या हैंड वॉच की 500 मिलीलीटर की बोतलों की वैधता तिथि मार्च 2020 में ही समाप्त होने के बाद हैंड वॉश खरीद को लेकर जो विवाद शुरू हुआ है उसमें कंपनी द्वारा किए गए दावे के बाद मामला और भी गहरा गया है। हापुड़ स्थित भाग गया हैंड वास इंडस्ट्रीज के मालिक भाव्या गर्ग द्वारा हमें जानकारी दी गई कि उन्हें इस एक्सपायर डेटेड हैंड वास की खरीद की कोई जानकारी ही नहीं है।

उन्होंने स्वयं कभी जेम पोर्टल के माध्यम से अपनी फर्म का हैंड वॉच स्वास्थ्य विभाग हरदोई अथवा केंद्रीय औषधि भंडार को बेचा ही नहीं। यहां प्रश्न उठता है कि यदि फार्म से इस हैंडवाश की खरीद नहीं की गई तो भला यह हैंड वास आया कहां से? इस संबंध में फार्मासिस्ट जे एन तिवारी ने बताया कि यह हैंड वास फर्म द्वारा नहीं बल्कि किसी आपूर्तिकर्ता द्वारा खरीदा गया है। परंतु इस खरीद की प्रक्रिया और तिथि के विषय में जानकारी देने से वादी मुकर गए। भाव्या हैंड वास इंडस्ट्रीज के मालिक ने जिस प्रकार इस खरीद के प्रति अनभिज्ञता जताई है उससे हैंड वॉश खरीद में किसी बड़ी गड़बड़ी के संकेत मिल रहे हैं।

गौरव सोनी भी संदेह के घेरे में

संविदा के आधार पर कार्यरत गौरव सोनी की कार्यशैली भी संदेह के घेरे में आ गई है। चर्चा है कि केंद्रीय औषधि भंडार एवं स्वास्थ्य विभाग से जुड़ी विभिन्न खरीददारियों में जेम पोर्टल पर गड़बड़ी करने का कार्य गौरव सोनी द्वारा ही अंजाम दिया जाता रहा है। कंप्यूटर और इंटरनेट की अच्छी जानकारी रखने वाले गौरव की मदद से ही जेम पोर्टल पर होने वाली ई-टेंडरिंग में गड़बड़ी करके जे एन तिवारी अपनी मनचाही फर्मों से खरीदारी करने में सफल होता रहा है।

हालांकि इस पूरी प्रक्रिया में क्रय समिति और अधिकारियों का भी पूर्ण सहयोग उसे प्राप्त होता रहा है परंतु इस पूरे खेल में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका इस संविदा कर्मी गौरव की ही बताई जा रही है। चर्चा तो यह भी है कि मात्र कुछ वर्ष की नौकरी में गौरव द्वारा महंगी लग्जरी गाड़ी भी खरीदी गई और साथ ही बड़ी रकम भी कमाई गई है। विभागीय सूत्रों की माने तो यदि गौरव आय-व्यय एवं संपत्तियों की गहराई से जांच की जाए तो उसकी और के एन तिवारी की सांठगांठ से जुड़े कई और काले कारनामे उजागर हो सकते हैं।

सीएमओ कार्यालय सम्बद्ध हुआ विवादित फार्मासिस्ट

बैंडेज खरीद में हुए घोटाले के खुलासे के बाद केंद्रीय औषधि भंडार के राजकीय कार्यों को विवादित फार्मासिस्ट जे एन तिवारी के स्थान पर बीके श्रीवास्तव को हस्तांतरित करते हुए जे एन तिवारी को सीएमओ कार्यालय मेष संबद्ध कर लिया गया है। चर्चा है कि यह कार्यवाही सिर्फ दिखावे में की गई है एवं अभी भी सीएमओ कार्यालय में संबद्ध किए गए विवादित फार्मासस्ट द्वारा अप्रत्यक्ष रूप से केंद्रीय औषधि भंडार से जुड़े विभिन्न महत्वपूर्ण कार्यों में योगदान किया जा रहा है।

यहां प्रश्न उठता है कि जब उक्त फार्मासिस्ट पर इस प्रकार भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लग रहे हैं तो उसे सीएमओ कार्यालय जैसे महत्वपूर्ण स्थान पर कार्य करने का अवसर क्यों दिया जा रहा है? जिला मुख्यालय के स्थान पर किसी दूरस्थ ग्रामीण सीएचसी से सम्बद्ध क्यों नहीं किया जा रहा?

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