मुर्गा बिक्री के लिए एसडीएम दफ्तर से जारी हुए फर्जी पास

- युवक पर लगा फर्जी पास जारी करने का आरोप
हरदोई। लॉकडाउन के दौरान जहां आवश्यक वस्तुओं की आवाजाही को प्रशासन ने प्रतिबंध से बाहर रखा है, वहीं कुछ लोगों द्वारा फर्जी पास बनाकर प्रतिबंधित वस्तुओं की खेप पहुंचाने की कोशिश की गई। मामला बिलग्राम से जुड़ा है। बिलग्राम एसडीएम दफ्तर से मुर्गा काटने और उनको आने जाने और ले जाने को लेकर फर्जी पास जारी कर दिए गए। बताया गया कि पास जारी करने के बदले 3000 से लेकर 5000 तक की वसूली की गई। मामला तब खुला जब मोहम्मद नाजिम को फर्जी पास मिला।
जानकारी के मुताबिक कुछ दिन पहले एसडीएम दफ्तर में राहुल जोशी उर्फ राहुल हिंदुस्तानी नाम का युवक कंप्यूटर ऑपरेटर के तौर पर काम करने के लिए बैठाया गया। बताया गया कि उसी व्यक्ति ने जालसाजी करके मुर्गा बिक्री और वाहन के पास जारी कर दिए गए। रहुला निवासी नाजिम ने बताया कि उसे जानकारी मिली कि रहुला गांव में मुर्गा ले जाने वाले वाहनों का पास जारी किया गया है। इसलिए 26 अप्रैल को वह एसडीएम कार्यालय पहुंचा और पास जारी करने के लिए प्रार्थना पत्र दिया। वहां मौजूद राहुल जोशी ने कहा की एसडीएम साहब से बात करके मैं पास जारी करा दूंगा।
नाजिम का कहना है कि उसे 3000 पहले मांगे गए, कम कराने के नाम पर 500 कम कर दिए गए उसके बाद उसे आवश्यक वस्तु सेवा स्लोगन लिखकर के पास जारी कर दिया गया। जब उसने कहा कि वह मुर्गे का व्यापारी है इस पास से उसका काम नहीं चलेगा तो अगले दिन उसे आवश्यक वस्तुओं के साथ पोल्ट्री फार्म का स्लोगन लिखकर के पास जारी कर दिया गया। नाजिम का कहना है जब वह पास लेकर गया तो लोगों ने बताया कि यह पास फर्जी है तो एसडीएम दफ्तर से जानकारी ली तो पता चला कि जारी किया गया पास नकली है और उस पर एसडीएम के हस्ताक्षर नहीं हैं। मामले पर नाजिम ने प्रार्थना पत्र देकर जालसाजी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
मामले पर पर्दा डालते रहे एसडीएम
मामले में गौर करने वाली बात तो यह है कि फर्जी पास जारी करने में कहीं एसडीएम दफ्तर की मिलीभगत तो नहीं थी। मामले पर एसडीएम कपिल देव यादव देर शाम तक करवाई के बजाय पर्दा डालने की कोशिश करते रहे। नाजिम के प्रार्थना पत्र दिए जाने के बाद भी रिपोर्ट दर्ज कराने को लेकर कसमकस का माहौल बना रहा। हालांकि एसडीएम का कहना है कि पास फर्जी है लेकिन रिपोर्ट कब दर्ज होगी? और पास जारी करने वाले के खिलाफ क्या कार्रवाई होगी? इस पर वह बोलने से कतराते रहे।
कहां से मिली है एसडीएम की गोलमोहर?
गौर करने वाली बात यह है कि एसडीएम दफ्तर की मोहर आखिर दफ्तर के अलावा ऐसे लोगों के पास कैसे पहुंच गई जो इसके अधिकारी ही नहीं हैं । बताया गया कि राजस्व विभाग के नाम से बड़ी संख्या में फर्जी पास जारी किए गए हैं। अब सवाल यह है कि आखिर पास के पीछे जो लेनदेन का खेल है। उसके पीछे कौन है। यह जांच का विषय है।