उत्तर प्रदेशलखनऊ

पूर्व सांसद डीपी यादव पर अपहरण, रंगदारी के आरोपों में केस दर्ज, कुछ दिनों पहले हत्या के मामले में हुए थे बरी

यूपी पुलिस ने पूर्व सांसद डी पी यादव के खिलाफ अपहरण, जालसाजी और जबरन वसूली के आरोप में मामला दर्ज किया है. यह जानकारी आज पुलिस अधिकारियों की तरफ से दी गई है. इससे कुछ दिन पहले ही उत्तराखंड हाई कोर्ट ने पूर्व सांसद डीपी यादव को हत्या के एक मामले में बरी कर दिया था. पुलिस का कहना है कि सीजेएम अदालत के निर्देश पर शनिवार को डीपी यादव, ठाकुरद्वारा के पूर्व विधायक विजय यादव और चार अन्य के खिलाफ सिविल लाइंस थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई थी.

सिविल लाइंस के निरीक्षक रवींद्र प्रताप सिंह ने कहा कि सांसद के खिलाफ दिल्ली रोड के रहने वाले अनिल तोमर ने FIR दर्ज कराई है. पुलिस अधिकारी के मुताबिक अनिल तोमर ने आरोप लगाया है कि डीपी यादव, विजय यादव और चार अन्य व्यक्तियों ने उनका सिविल लाइंस क्षेत्र से ‘अपहरण’ किया था. साथ ही रिहा करने के बदले 10 करोड़ रुपये की मांग की थी. फिरौती नहीं मिलने पर उन्हें जान से मारने की धमकी भी दी थी. पुलिस अधिकारी ने कहा कि सभी के खिलाफ आईपीसी की धारा 420, 467, 364 और 384 के तहत मामला दर्ज किया गया है.

हत्या मामले में बरी हुए थे डीपी यादव

पुलिस अधिकारी का कहना है कि मामले की जांच शुरू कर दी गई है. अगर शिकायत सही पाई जाती है तो आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा. बात दें कि पिछले बुधवार को उत्तराखंड हाई कोर्ट ने गाजियाबाद के विधायक महेंद्र सिंह भाटी की हत्या के मामले में डीपी यादव को बरी कर दिया था. इसके साथ ही देहरादून की सीबीआई अदालत के आदेश को खारिज कर दिया था. पूर्व सांसद डी पी यादव के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं मिलने की वजह से हाई कोर्ट ने उनकी रिहाई का आदेश दिया था. इस मामले में उन्हें पहले अंतरिम जमानत मिली थी. बता दें कि 13 सितंबर 1992 की शाम को उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले में दादरी रेलवे क्रॉसिंग पर विधायक भाटी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.

1992 में हुई थी दादरी के पूर्व विधायक महेंद्र भाटी हत्या

CBI कोर्ट ने छह साल पहले डीपी यादव को दादरी के विधायक रहे महेंद्र भाटी की हत्या के मामले में दोषी करार देकर आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई थी. इस मामले में नैनीताल हाई कोर्ट में लगातार सुनवाई चल रही थी. भाटी मर्डर केस के मुख्य आरोपी डीपी यादव को हाई कोर्ट ने ठोस सबूत न होने की वजह से बरी कर दिया था. डीपी यादव साल 1992 के दादरी के पूर्व विधायक महेंद्र भाटी हत्याकांड के मुख्य आरोपी थे और महेंद्र भाटी के बेटे ने आजीवन कारावास की सजा को बढ़ाने की मांग की थी. उधर, CBI ने भी डीपी यादव को IPC की धारा 120 B के तहत मुजरिम करार दिया था, जिसको हाई कोर्ट ने नहीं माना.

इनपुट-भाषा

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