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सम्मान देना ही श्रमिक दिवस मनाने की सार्थकता: अवधेश सिंह

जयंती पर याद किए गए जनतंत्र योद्धा मधुलिमये

मधु लिमये
मधु लिमये

गोंडा। श्रमिक दिवस के दिन शहीद श्रमिकों को श्रद्धांजलि दी गयी। जनतंत्र योद्धा मधु लिमये को श्रद्धासुमन अर्पित कर उन्हें नमन किया गया। श्रमिकों द्वारा कड़ी मेहनत का सम्मान करने के साथ ही श्रमिकों के हितों के लिये संघर्ष करने वालों को सम्मान देना ही श्रमिक दिवस मनाने की सार्थकता प्रदान करता है।

उक्त विचार ब्यक्त करते हुए भारतीय राष्ट्रीय क्षत्रिय कल्याण परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अवधेश सिंह ने विश्व श्रमिक दिवस व स्वतंत्रता संघर्ष, समाजवादी संघर्ष व संसदीय जनतंत्र के योद्धा स्व. मधु लिमये की जयंती पर कहा कि सिद्धान्तनिष्ठ, सदाचार व शिष्टाचार के श्रेष्ठतम प्रतीक मन, बचन व कर्म के आदर्श के महानायक मधुलिमये ने कमजोर लोगों के हितों के संघर्ष में अपना पूर्ण जीवन समर्पित कर दिया।

उन्होंने अपने कर्माे से श्रमिक दिवस की सार्थकता सिद्ध की। उन्होंने कहा कि लिमये जी अच्छे लेखक भी थे। उन्होंने मराठी में 11, हिंदी में 19 व अंग्रेजी में 37 छोटी बड़ी किताबे लिखी। जीवन सादगी से जिये। 4 बार सांसद रहने के बाद भी उनके पास अपनी गाड़ी तक नही थी। दिल्ली में वो बस व टैम्पो से यात्रा किया करते थे।

परिषद के अध्यक्ष अवधेश सिंह ने बताया विश्व श्रमिक दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन भी मेल किया। ज्ञापन में प्रमुख रूप से श्रमिकों, कर्मचारियों के भत्ते काटने के निर्णय निर्णय पर पुनर्विचार करने, बैंक डिफॉल्टरों जिनका करोड़ों करोड़ राइट-आफ किया गया है, उनके चल अचल संपत्ति की नीलामी कर समस्त देय की वसूली, एवं दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष जफरुल इस्लाम द्वारा अरब देशों का हवाला देकर राष्ट्र विरोधी बयान दिया गया, उसे संज्ञान लेकर उनको पद से बर्खास्तगी सहित अन्य प्रभावी कार्यवाही कराई जाए। अवधेश सिंह ने बताया कि लाक डाउन का पूर्णतया पालन करते हुए फिजीकल डिस्टेन्स बनाये रख कर प्रतीकात्मक एक श्रमिक को सहयोग व सम्मान भी प्रदान किया गया।

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