
नई दिल्ली। कभी हाथ न आ पाने वाला हिज्बुल मुजाहिदीन का टॉप आतंकी रिजाय नायकू सुरक्षाबलों के संयुक्त अभियान में बुधवार को साउथ कश्मीर के एक गांव में मारा गया। नायकू मंगलवार को अपने परिवार से मिलने आया था और अवंतिपुरा के बेइघबोरा गांव में छिपा हुआ था। यह उसका गृह क्षेत्र था।
32 वर्षीय नायकू का दूसरा नाम जुबैर उल इस्लाम और बिन कासिम भी था और वह कश्मीर में सबसे ज्यादा अनुभवी आतंकी था। 5 जून को रियाज नायकू हिज्बुल मुजाहिदीन में 8 वर्ष पूरे कर लेता, जहां पर कई तो कुछ वर्ष भी पूरे नहीं कर पाते हैं। कई बार वह सुरक्षा बलों के हत्थे चढ़ते चढ़ते रह गया और भागने में कामयाब रहा।
लेकिन, मंगलवार को कश्मीर पुलिस की एंटी मिलिटेंसी यूनिट स्पेशल ऑपरेशंस ग्रुप (एसओजी) को नायकू के मूवमेंट की जानकारी मिली थी। सूचना ये थी कि वह अपने गांव में परिवार और संबंधियों से मिलने के लिए गया है। इसके बाद एसओजी यह पता था कि वहां पर उसका ठिकाना होगा।
जैसा ही अंधेरा हुआ जम्मू कश्मीर पुलिस और 21 राष्ट्रीय रायफल्स के भारी संख्या में जवानों ने गांव के घेर लिया। एक सीनियर पुलिस ऑफिसर ने कहा कि उसके बाद वे सभी जवान नीचे लेटकर आतंकी नायकू के मूवमेंट का इंतजार करने लगे। गोलीबारी बुधवार तड़के शुरू हुई। नायकू एक ऐसे घर में फंसा था जहां से निकलकर बचने का कोई रास्ता नहीं था।
जब गोलीबारी रूकी उसके बाद सुरक्षाबलों ने रियाज नायकू को एक बंकर में देखा, जहां से वह उन सभी के ऊपर फायरिंग कर रहा था। वह और उसके अन्य सहयोगी गोलियों से मारे गए। एक सीनियर जम्मू कश्मीर पुलिस ने हिन्दुस्तान टाइम्स से कहा, यह कश्मीर में सुरक्षाबलों की बड़ी सफलता है। जम्मू कश्मीर के पुलिस प्रमुख दिलबाग सिंह खुद पूरे ऑपरेशन की निगरानी कर रहे थे और कैसे दक्षिण कश्मीर में हिज्बुल मुजाहिदीन की कमर पुलिस तोड़ती है।