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कोरोना का कहर आख़िर कब तक ?

लोकेश त्रिपाठी


अमेठी – पर्यावरणविद् डॉ अर्जुन प्रसाद पाण्डेय का कहना है कि कोरोना वायरस अभी तक वैज्ञानिकों एवं शोधकर्ताओं के समझ के बाहर हो गया है। कोरोना का कहर कब तक चेलेगा, यह कहना मुश्किल है। कोरोना वायरस प्लेग, हैजा, स्पेनिश फ़्लू, स्वाइन फ़्लू से सर्वथा भिन्न है । इस वायरस को पैदा करने वाले चीन ने कभी सोचा भी नहीं था कि इससे सबसे ज्यादा मार उसे ही झेलनी पड़ेगी।

मानव कल्याण हेतु प्रकृति से छेड़छाड़ के बजाय इससे प्रेम करने की जरूरत है| भारत अपनी भौगोलिक स्थिति के कारण अमरीका, ब्रिटेन, इटली, चीन, स्पेन, फ्रांस की तुलना में कोरोना से कम प्रभावित है। यहाँ की आध्यात्मिक सोच एवं संस्कृति के कारण लोगों में इम्यूनिटी पावर सर्वाधिक है। फिर भी छुआछूत का रोग होने के कारण संक्रमण से बचने की जरूरत है।

1918 से 1920 के बीच स्पेनिश फ्लू की वजह से भारत देश के कऱोडों लोग मौत में मुँह में जा चुके हैं। बुजुगों एवं गर्भवती महिलाओं की भांति युवा पीढ़ी को भी ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत है। यदि कोरोना का कहर ज्यादा दिन तक चला तो भारत आर्थिक तंगी का शिकार होगा| यह गंभीर चिंता का विषय है।

भारत सरकार एवं प्रदेश सरकार को चाहिए कि जिस प्रकार से सारी दुनिया में फंसे लोगों को भारत में लाने की व्यवस्था की, उसी तरह से देश के औद्योगिक नगरों में फंसे श्रमिकों एवं प्रवासियों को घर वापसी की स्पेशल व्यवस्था करें। अन्यथा भारत आर्थिक संकट की मार से नहीं बच पाएगा। आज आवश्यकता इस बात की है कि भारत के लोग चीनी सामानों का बहिष्कार करें और स्थानीय स्तर पर जनमानस जागरूकता बढ़ाए। भारत का नैतिक बल ही कोरोना के कहर से बचा सकता है।

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