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‘धर्मपरिवर्तन पूर्ण रूप से होना चाहिए बंद’, RSS की सालाना बैठक में बोले सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले

कर्नाटक के धारवाड़ में 3 दिनों से चल रही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की सालाना अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की बैठक का शनिवार को आखिरी दिन है. इस तीन दिवसीय बैठक में महंगाई समेत मौजूदा कई ज्वलंत विषयों पर चर्चा हुई. महंगाई- पेट्रोल और डीजल के बढ़ते मूल्य का विषय भी उठा. संघ से जुड़े कुछ संगठनों ने ये विषय उठाए. बैठक में इस बात पर चर्चा हुई कि अब नॉन कन्वेंशनल एनर्जी/ ऊर्जा के वैकल्पिक सोर्सेज के उपयोग पर जोर देना होगा. इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने की आवश्यकता है. हालांकि बैठक में ये कहा गया कि ये सरकार का विषय है उसपर सरकार काम करेगी.

RSS सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने बैठक के दौरान कहा कि संघ पर्यावरण की रक्षा करने के लिए दृढ़संकल्प है, लेकिन सिर्फ दिवाली में पटाखों पर संपूर्ण बैन समस्या का निदान नहीं है. उन्होंने प्रश्न खड़ा किया कि दूसरों देशों में भी उत्सव के समय आतिशबाजी सामान्य बात होती है. जैसे अमेरिका जैसे देश में भी राष्ट्रीय दिवस पर न्यूयॉर्क में पटाखे फोड़े जाते है. इसलिए पटाखों पर प्रतिबंध संबंधी फैसला संबंधित मंत्रालय और पर्यावरणविदों के मशविरे पर होना चाहिए. होसबोले ने कहा कि पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध से लाखों लोग रोजगार विहीन होते हैं, लाखों लोगों का धन इसमें बेकार हो जाता है, उन सभी से बातचीत करनी चाहिए और आतिशबाजी पर पाबंदी के लिए व्यापक नजरिए की जरूरत है.

मोहन भागवत ने जनसंख्या नीति लागू करने पर दिया जोर

इसके अलावा होसबोले ने कहा कि संघ का हमेशा से यह मत रहा है कि धर्मपरिवर्तन पूर्ण रूप से बंद होना चाहिए. उन्होंने कहा कि कोई स्वेच्छा से फैसला ले तो बात अलग होती है लेकिन ऐसा होता नहीं है. लिहाजा धर्मपरिवर्तन करने वाले डबल बेनिफिट कैसे ले सकते हैं. उन्होंने कहा कि अब तक 10 से ज्यादा राज्यों की सरकारों ने एन्टी कन्वर्जन बिल लाए हैं. ये सभी सरकारें बीजेपी की नहीं रही हैं, बल्कि हिमाचल प्रदेश की वीरभद्र सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार ने काफी पहले ये बिल पास किया. अरुणाचल प्रदेश की कांग्रेस ने एन्टी कन्वर्जन बिल पास किया.

संघ की तीन दिवसीय बैठक में आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत ने अपने भाषण में जनसंख्या नीति लागू करने पर जोर दिया. भागवत ने इसके लिए इंसेंटिव और डिसइन्सेंटिव की पॉलिसी लागू करने पर बल दिया. जो पॉलिसी को माने उसको इसका फायदा मिले और जो नहीं माने, उसे कुछ चीजों से वंचित करने संबंधी कानून होना चाहिए. भागवत ने कहा कि सबको बराबर मौका मिले, उसके लिए जनसंख्या नियंत्रण जरूरी है क्योंकि नेचुरल रिसोर्स लिमिटेड है लिहाजा इसको ध्यान में रखकर पॉलिसी बनना आवश्यक हो गया है.

बैठक में देशभर से 350 लोगों ने लिया हिस्सा

दो साल बाद हुई इस बैठक में देशभर के संघ के 350 महत्वपूर्ण लोगों ने हिस्सा लिया. बैठक में संघ के निमित कार्यक्रमों के अलावा इस साल मार्च की अखिल भारतीय प्रतिनिधि मंडल बैठक में तय किए गए तमाम मुद्दों का संज्ञान भी लिया गया कि आखिरकार जो लक्ष्य तय किये गए थे वो अब कहां तक पहुंचा है. बैठक में इस बात पर संतोष जताया गया कि आरएसएस का विस्तार कार्यक्रम उचित और सही दिशा में चल रहा है.

दत्तात्रेय होसबोले ने कहा कि कोरोना काल में आरएसएस की शाखाओं की संख्या बहुत ज्यादा घट गई थी और रोज की शाखाओं की संख्या महज 8-10 हजार रह गई थी. अब वो बढ़कर फिर 34 हजार हो गई है. उन्होंने बताया, “रोज लगने वाली शाखाओं की संख्या 34 हजार, साप्ताहिक लगने वाली शाखाओं की 12 हजार 780 और पाक्षिक और मासिक शाखाओं की संख्या 7 हजार 900 हो गई हैं, यानी कुल मिलाकर 54 हजार 382 हो गई हैं. देश के 910 जिलों में से 560 जिलों में संघ की 5 ज्यादा नियमित शाखाएं लगनी शुरू हो चुकी हैं.”

100 साल पूरा होने पर तय किए गए लक्ष्य

साल 2025 में संघ की स्थापना का 100 वर्ष पूरा होने वाला है. इसको लेकर आरएसएस ने कुछ लक्ष्य तय किए हैं, उसमें सबसे खास है 2 वर्ष के लिए नए पूर्णकालिक प्रचारकों या कार्यकर्ता की नियुक्ति का. संघ ऐसे पूर्णकालिक कार्यकर्ताओं को अपने साथ जोड़ने जा रहा है, जो साल 2022 से 2025 के बीच कम से कम 2 साल लगातार सेवा दे सके. संघ ने योजना बनाई है कि 100 साल पूरे होने पर चलाए जाने वाले कार्यक्रम के लिए प्रत्येक खंड स्तर तक एक पूर्णकालिक कार्यकर्ता नियुक्त किया जाय, समग्रता में इनकी संख्या लगभग 6,000 होगी.

100 साल पूरे होने के क्रम में चलने वाले विभिन्न कार्यक्रमों के अलावा आजादी की 75वीं वर्षगांठ पर अमृत महोत्सव कार्यक्रम, गुरु तेगबहादुर के 400वें वर्ष पूरे होने पर मनाए जाने वाले प्रकाश वर्ष, छुआछूत, कन्या भ्रूणहत्या, कुटुंब प्रबोधन और पर्यावरण जागृति जैसे तमाम सामाजिक परिवर्तन के कार्यक्रम के अलावा कोरोना से प्रभावित समाज को संबल देने के भी कई कार्यक्रम चलाने का निर्णय हुआ है. बांग्लादेश में हिंदुओ पर हुए अत्याचार पर प्रस्ताव पास कर भारत सरकार और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों से इस विषय को उठाने और हस्तक्षेप की मांग भी की गई.

इस क्रम में पीएम मोदी की रोम में पोप जॉन फंसिस के साथ घंटों चली मुलाकात पर दत्तात्रेय होसबोले ने सिर्फ इतना भर कहा कि ये दो देशों या राष्ट्रों के प्रमुखों की मीटिंग है और इसे महज इसी रूप में देखा जाना चाहिए. 28 अक्टूबर से शुरू हुई संघ की दीवाली बैठक का आज आखिरी दिन है.

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