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यूपी विधानसभा चुनाव में छोटे दल पार लगाएंगे नैया, आइये जानते हैं कौन सा दल किसके साथ? 

उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव अगले साल होने हैं. इस समय उत्तर प्रदेश में सियासी सरगर्मियां जोरो पर हैं. गठबंधन बनाने-बिगाड़ने का दौर चल रहा है. ऐसे में छोटे और जाति आधारित दलों की पूछ बढ़ गई है. सत्तारूढ़ बीजेपी और मुख्य विपक्षी समाजवादी पार्टी का जोर अधिक से अधिक दलों को अपनी ओर करने पर है. बसपा और कांग्रेस इस दिशा में कम सक्रिय हैं. आइए नजर डालते हैं कि अभी उत्तर प्रदेश में कौन-कौन से गठबंधन आकार ले रहे हैं.

कौन-कौन है बीजेपी के साथ?

पहले बात करते हैं सत्तारूढ़ बीजेपी की. उत्तर प्रदेश में बीजेपी का अपना दल (सोनेलाल) से पुराना गठबंधन है. इसकी नेता अनुप्रिया पटेल केंद्र में मंत्री हैं. वो नरेंद्र मोदी की पहली सरकार में भी मंत्री थीं. अपना दल (सोनेलाल) को मुख्यतौर पर कुर्मी जाति की पार्टी माना जाता है. जिसका पूर्वी उत्तर प्रदेश और कुछ अन्य जिलों में अच्छी आबादी है. अपना दल ने 2017 का चुनाव बीजेपी के साथ मिलकर 11 सीटों पर लड़ा था. उसे 9 सीटों पर जीत मिली थी. उत्तर प्रदेश में यादव के बाद कुर्मी पिछड़ा वर्ग का सबसे बड़े वोट बैंक हैं. सीटों के आधार पर अपना दल (सोनेलाल) कांग्रेस से बड़ी पार्टी है.

बीजेपी का निषाद पार्टी से भी समझौता है. केवट (मल्लाह), बिंद और नोनिया जैसी पिछड़ी जातियों के प्रतिनिधित्व का दावा करने वाली निषाद पार्टी का आधार भी पूर्वांचल में ही है. गोरखपुर लोकसभा सीट पर 2018 में हुए उपचुनाव में मिली हार के बाद बीजेपी ने निषाद पार्टी से गठबंधन किया था. बीजेपी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में निषाद पार्टी के प्रमुख संजय निषाद के बेटे प्रवीन कुमार निषाद को संत कबीर नगर से टिकट दिया था. वो जीते भी. बीजेपी ने संजय निषाद को विधान परिषद भेजा है. बीजेपी और निषाद पार्टी ने 2022 के चुनाव के लिए अभी सीट बंटवारे पर कोई घोषणा नहीं की है.

ओमप्रकाश राजभर ने 20 अक्तूबर को जब सपा के साथ गठबंधन की घोषणा की तो बीजेपी ने भी 7 छोटे दलों के सहयोग और समर्थन की घोषणा की. ये दल हैं केवट रामधनी बिन्द की भारतीय मानव समाज पार्टी, चन्द्रमा वनवासी की मुसहर आन्दोलन मंच (गरीब पार्टी), बाबू लाल राजभर की शोषित समाज पार्टी,  कृष्णगोपाल सिंह कश्यप की मानवहित पार्टी, भीम राजभर की भारतीय सुहेलदेव जनता पार्टी,  चन्दन सिंह चौहान की पृथ्वीराज जनशक्ति पार्टी और महेंद्र प्रजापति की भारतीय समता समाज पार्टी. ये सभी जाति आधारित संगठन हैं. इनमें से कुछ जातियों के अन्य बडे दल भी हैं.

कौन कौन है समाजवादी पार्टी के साथ? 

सपा ने 2017 का चुनाव कांग्रेस के साथ मिलकर लड़ा था. उसे बुरी तरह से हार मिली थी. अब सपा ने कहा है कि वह अब बड़े दलों के साथ गठबंधन नहीं करेगी. इसी को ध्यान में रखते हुए सपा आगे बढ़ रही है. सपा ने अबतक ओमप्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) और महान दल से हाथ मिलाया है. उसने प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (प्रसपा) और कुछ छोटे दलों के साथ भी समझौते की बात कही है. प्रसपा सपा प्रमुख अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल सिंह यादव की पार्टी है.

ओमप्रकाश राजभर की सुभासपा का आधार भी पिछड़ी जातियों में ही है. इसे ध्यान में रखकर सपा ने उससे समझौता किया है. सुभासपा ने पिछला चुनाव बीजेपी के साथ लड़ा था. उसे 8 में 4 सीटों पर जीत मिली थी. उसे 0.70 फीसदी वोट मिले थे. सपा का दूसरा बड़ा सहयोगी है, महान दल. इसकी स्थापना केशव देव मौर्य ने 2008 में बसपा छोड़कर किया था. इसका आधार कुशवाहा, शाक्य, मौर्य, सैनी (माली) जैसी पिछड़ी जातियों में माना जाता है. महान दल का प्रभाव पश्चिम यूपी के कुछ जिलों में है.

महान दल ने 2008 के बाद सभी लोकसभा और विधानसभा चुनाव लड़े. लेकिन उसे जीत नसीब नहीं हुई. महान दल ने 2012 का चुनाव 14 सीटों पर लड़ा था. लेकिन सभी सीटों पर उसकी जमानत जब्त हो गई थी. महान दल को 96 हजार 87 वोट मिले थे. वहीं 2017 का चुनाव महान दल ने 74 सीटों पर लड़ा. इनमें से 71 सीटों पर उसकी जमानत जब्त हो गई थी. महान दल पर 6 लाख 83 हजार 808 मतदाताओं ने भरोसा जताया था. सपा इनके अलावा ओमप्रकाश राजभर के भागीदारी मोर्चे के कुछ और दलों से भी तालमेल कर सकती है.

कांग्रेस और बसपा ने अभी तक किसी से समझौता नहीं किया है. बसपा ने अकेले ही चुनाव लड़ने की घोषणा की है. वहीं ऐसी खबरें हैं कि कांग्रेस समझौते के लिए पश्चिम यूपी में प्रभाव रखने वाली रालोद के साथ बातचीत कर रही है. हालांकि सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने पहले ही कह रखा है कि उसका रालोद से गठबंधन है. वहीं रालोद ने अपना घोषणापत्र तो जारी कर दिया है. लेकिन गठबंधन किसके साथ करेगा, यह नहीं बताया है.

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