दिल्ली-हरियाणा के सिंघु बॉर्डर से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है. आंदोलन पर बैठे किसानों के मंच के पास एक युवक की बड़ी ही बेरहमी से हत्या करने के बाद उसका एक हाथ काटकर शव को सुबह बैरिकेड से लटका दिया गया है. इतना ही नहीं युवक के शव को 100 मीटर तक घसीटा भी गया है और उसके शरीर पर धारदार हथियार से हमले के निशान भी हैं. जानकारी के मुताबिक यह घटना गुरुवार रात हुई है. वहीं, जब शुक्रवार की सुबह आंदोलनकारियों के मुख्य मंच के पास युवक का शव लटका दिखा तो हड़कंप मच गया. घटना के बाद आंदोलनकारियों की भीड़ घटना स्थल पर जुट गई है.
किसानों ने जमकर किया हंगामा
एक हाथ कटा शव मिलने से आंदोलनकारियों की भीड़ घटना स्थल पर जुटी हुई है. वहीं, आंदोलनकारियों ने पहले कुंडली थाना पुलिस को भी मौके पर नहीं आने दिया था. घटना के बाद से ही किसान जमकर हंगामा कर रहे हैं. वहीं आरोप है कि धरना स्थल पर ही कुछ लोगों ने घटना को अंजाम दिया है. शव की अभी तक पहचान नहीं हो सकी है. पुलिस ने शव को सामान्य अस्पताल में भिजवा दिया है.
निहंगों ने लगाया आरोप
व्यक्ति के शव के मिलने के बाद से ही वहां पर निहंगों ने हंगामा कर दिया है. निहंग सिखों का आरोप है कि युवक को साजिश के तहत यहां भेजा गया था. इसके लिए उसे 30 हजार रुपए दिए गए थे. युवक ने यहां पवित्र गुरु ग्रंथ साहिब का अंग भंग किया है. निहंगों को इसका पता चला तो उसे पकड़ लिया गया था. और फिर घसीटते हुए निहंगों के पंडाल के पास लाया गया. उनका कहना है कि युवक को घसीटने से लेकर पूछताछ करने तक का वीडियो तैयार किया गया है.
बताया यह भी जा रहा है कि किसानों के मंच पर युवक के शव को लटकाने के बाद कुछ लोग उसे नीचे उतारने भी नहीं दे रहे थे. मौके पर पहुंची पुलिस ने शव को नीचे उतारा और उसे सिविल अस्पताल भेजा गया. युवक का शव मिलने के बाद सिंघु बॉर्डर पर हंगामा भी शुरू हो गया.
26 नवंबर से धरने पर बैठे हैं किसान
बता दें कि, नए कृषि कानूनों के खिलाफ बीते साल 26 नवंबर से हजारों की तादाद में किसान दिल्ली और हरियाणा की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं. कृषि कानूनों को रद्द कराने पर अड़े किसान इस मुद्दे पर सरकार के साथ आर-पार की लड़ाई का ऐलान कर चुके हैं. किसान फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी देने के लिए एक नया कानून लाने की मांग कर रहे हैं.
इन विवादास्पद कानूनों पर बने गतिरोध को लेकर हुई किसानों और सरकार के बीच कई दौर की वार्ता बेनतीजा रही है. किसानों ने सरकार से जल्द उनकी मांगें मानने की अपील की है. वहीं सरकार की तरफ से यह साफ कर दिया गया है कि कानून वापस नहीं होगा, लेकिन संशोधन संभव है.