ओपिनियन

बांग्लादेश को हिंदू विहीन करने का सुनियोजित षड्यंत्र है, यह हिंसा – सेकुलर गैंग ने साधा मौन

[tta_listen_btn listen_text="खबर सुनें" pause_text="Pause" resume_text="Resume" replay_text="Replay" start_text="Start" stop_text="Stop"]

मृत्युंजय दीक्षित


नवरात्रि के समय बांग्लादेश में एक फर्जी फेसबुक पोस्ट की अफवाहों के बाद वहां पर हिंदू मंदिरों, घरों व व्यावसायिक ठिकानों पर लगातार हमले हो रहे हैं। हिंदू महिलाओं व युवतियों के साथ बलात्कार की दर्दनाक घटनाएं हो रही हैं। सर्वाधिक भयानक हिंसा रंगपुर डिवीजन के पीरगंज उपजिला में एक गांव में हुई। बांग्लादेश हिंदू एकता परिषद ने एक ट्वीट के माध्यम से इसका खुलासा किया। हिंसा के बीच फेनी जिले में हिंदू मंदिरों पर पेट्रोल बम फेकें गये। हिंदू एकता परिषद ने एक वीडियो भी शेयर किया है जिसमें कटटरपंथी इस्लामियों को सड़कों पर तबाही मचाते हुए देखा जा सकता है। लाठियों से लैस उन्मादी भीड़ बड़ी संख्या में एकत्र हो गयी और फिर फेनी जिले में हिंदू मंदिरों पर एक साथ हमला किया। हमलावरों ने जोयकाली , जगन्नाथबाड़ी, कालीबाड़ी मंदिर और गाजीगंज आश्रम जैसे मंदिरों पर हमला किया।

अब तक प्राप्त समाचारों के अनुसार बांग्लादेश में घटित हिंसा में 160 से भी अधिक दुर्गा पंडालों को जेहादी भीड़ ने तहस- नहस कर दिया।15 से अधिक मंदिरों और दो सौ से अधिक हिंदू परिवारों के घर लूट लिये गये या फिर उनमें आग लगा दी गयी है। अभी हिंसा का दौर जारी है और न जाने कब तक चलता रहेगा। विगत चार दशकों से बांग्लादेश में हिंदुओ के खिलाफ हिंसा का एक सेट पैटर्न है। वहां दुर्गा पूजा के अवसर पर हर बार इस तरह की अफवाह उड़ाई जाती है कि हिंदुओं ने इस्लाम धर्म का अपमान किया और फिर हिन्दुओं पर हमले शुरू हो जाते हैं।

बांग्लादेश में हिंदुओं पर हिंसा बिलकुल तालिबानी तर्ज पर हो रही है तथा यह पूरी तरह से सुनियोजित षड़यंत्र है बांग्लादेश को भी हिंदू विहीन कर दिया जाये और तालिबानी राज स्थापित किया जाये। बांग्लादेश का सबसे बड़ा कटटर जेहादी संगठन है जमात- ए- इस्लामी और वही हिंदुओं को चुनचुन कर मार रहा है उसका उद्देश्य बिल्कुल साफ है बांग्लादेश को हिंदू विहीन करना। सुनियोजित तरीके से हिंदू मंदिरों , धर्मगुरूओं और संस्थाओं पर हमले हो रहे और हिंदुओं पर हर प्रकार से अत्याचार लगातार हो रहे है। विभाजन के समय पूर्वी पाकिस्तान में हिंदुओं की लगभग 22 प्रतिशत थी जो अब तेजी से घटकर 2010 की जनगणना में 8.54 प्रतिशत तक आ गयी है।

ढाका ट्रिब्यून की एक रिपोर्ट के अनुसार हिंदुओं के लिए 2021 सबसे खतरनाक रहा है। इस वर्ष अब तक हिंदू समुदाय को घरां और मंदिरों पर 1678 हमलों का शिकार कार होना पड़ा है । हिंदुओं को अपने धर्म के पालन और जीवन यापन करने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। बांग्लादेश में कार्यररत कुछ संस्थाओं का कहना है कि बांग्लादेश में पीडित हिंदू समाज की संख्या में और अधिक वृद्धि हो सकती है क्योंकि मीडिया में केवल कुछ बड़ी घटनाएं ही सामने आ पाती हैं लेकिन दूर दराज के गांवों या जहां पर संचार नेटवर्क की समस्या है वहां के समाचार नहीं प्राप्त हो पाते हैं।

आश्चर्य की बात है बांग्ला देश में हो रहे हिन्दू नरसंहार पर मानवाधिकारों की बात करने वाला पश्चिम जगत और भारत का सेक्युलर समाज दोनों मौन हैं । नोआखली के इस्कान मंदिर के दो पुजारी समेत 5 पुजारियां की हत्या कर दी गयी लेकिन मानवाधिकार और अल्पसंख्यकों के अधिकारों की बात करने वाले देशों ने भी चुप्पी साध रखी है। भारत में विरोधी दलों के सभी नेता भारत में अल्पसंख्यकों को खतरे की बात करते हैं और पष्चिमी देश भारत के खिलाफ दुष्प्रचार करने लग जाते हैं लेकिन बांग्लादेश की हिंसा पर चुप हो जाते हैं और तो और संयुक्तराष्ट्र महासभा ने भी चुप्पी साध लेता है।

राजनेताओं की बात करें तो बांग्लादेश की हिंसा पर ममता बनर्जी चुप हो जाती हैं लेकिन देश में किसी भी हिस्से में यदि उनकी वोटबैंक की राजनीति के अनुरूप कोई घटना घटित होती है तो उनकी विकृत बयानबाजियां तुरंत शुरू हो जाती है। भारत के पांच प्रान्तों में विधानसभा चुनाव हैं जिसमें यूपी सबसे अहम है वहां पर सभी विरोधी दलों ने सीएए और एनआरसी को लेकर खूब उत्पात मचाया था लेकिन सब ने चुप्पी साध ली है क्योंकि सपा, बसपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी सहित कई दलों को लगता है कि हिंदुओं के खिलाफ हो रही हिंसा की निंदा की तो मुसलमान उन्हें वोट नहीं करेगा।

बांग्लादेश में हिंदू समाज के साथ घटित हो रही हिंसा पर पुरस्कार वापसी गैंग की भी बोलती बंद हो चुकी है। एक प्रकार से देश का सेकुलर गैंग हिंदू प्रताड़ना पर मौन हो गया है। कोलकाता की सडकों से लेकर देश के अनेक हिस्सों में बांग्लादेश में हो रही हिंसा के खिलाफ कुछ प्रदर्षन हो रहे हैं। अमेरिका में भी बांग्लादेश में हुयी हिन्दू विरोधी हिंसा के खिलाफ प्रदर्षन हो रहे हैं। ये एक हल्की सी आशा जगाते हैं कि कुछ लोग धीरे धीरे बंगाल में हो रहे हिन्दू नरसंहार के विरुद्ध उठ रहे हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button