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कोरोना संकट के बीच फलफूल रहा भ्रष्टाचार: अखिलेश यादव

लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए लाॅकडाउन में नागरिक हर सरकारी निर्देश का पालन कर रहे हैं। अब इसमें ढील दिए जाने का निर्णय टीम-इलेवन को करना है। मशहूर शायर जनाब वसीम बरेलवी ने उनसे वार्ता के क्रम में आज के हालात पर एक मौजूं शेर कहा है-“हजार चाहोगे फिर जिंदगी न बोलेगी! घरों से निकले तो दरवाजा मौत खोलेगी।” महिलाओं की अस्मिता एवं गरिमा पर भाजपा राज में घर के अन्दर भी सुरक्षा नहीं है घर के दरवाजे के बाहर भी उनका सम्मान और जीवन संकट में है।

लेकिन संकट की इस घड़ी में भाजपा सरकार जिस तरह नागरिकों के जीवन की सुरक्षा के प्रति उदासीनता बरत रही है वह संवेदनशून्य और निंदनीय कृत्य है। लाॅकडाउन की कथित सख्ती के बावजूद टीम-इलेवन को यह नहीं नज़र आता है कि अपराधों में वृद्धि क्यों हो रही है? बलात्कार और हत्याओं पर रोक क्यों नहीं लग रही है? शराब की तस्करी बढ़ रही है और इसमें कई भाजपा नेता भी संलिप्त पाए गए हैं।

कोरोना संकट का फायदा लेकर उच्चस्तर पर भ्रष्टाचार फलफूल रहा है। भाजपा के मेयर और विधायक ही अपनी सरकार पर तमाम अनियमितताओं के आरोप लगा रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग में भ्रष्टाचार की शिकायतों पर कोई कार्यवाही नहीं हो रही है। दवा, मास्क और सैनिटाइजर के साथ रैपिड टेस्ट किट की खरीद में जबर्दस्त घोटाले के दोषियों पर कड़ी कार्यवाही के बजाय लीपापोती होती दिखाई दे रही है।

समाजवादी सरकार में महिलाओं के विरूद्ध अपराधों की रोकथाम के लिए 1090 वूमेन पावर लाइन सेवा चालू की थी जिससे बड़ी संख्या में अपराधों पर रोक लगी थी। लेकिन भाजपा सरकार ने इसको निष्प्रभावी बना दिया जिसके फलस्वरूप 25 मार्च 2020 से 24 अप्रैल 2020 के बीच 1090 सेवा पर 2,59,800 शिकायतें दर्ज हुई। इससे पूर्व 23 फरवरी 2020 से 24 मार्च 2020 के बीच 2,18,000 शिकायतें मिली थी।

लाॅकडाउन के एक माह में 41800 शिकायतों का अधिक मिलना भाजपा के सुराज के दावे की पोल खोलता है। घरेलू हिंसा के केस भी बड़ी तादाद में आने लगे हैं। यह प्रदेश के लिए शर्मनाक स्थिति है। लाॅकडाउन में सुरक्षित जिंदगी का विकल्प तय करना भी राज्य सरकार का काम है। मुख्यमंत्री जी बताएं कि सत्ता सम्हालते ही उन्होंने अपराधियों के जेल में या प्रदेश से बाहर चले जाने का जो बड़बोला बयान दिया था, वह क्या उनकी तुकबंदी थी? आंकड़े तो बताते हैं कि अपराधी निर्भीक होकर जेल से भी अपना धंधा चला रहे हैं।

लाॅकडाउन में स्थिति और भयावह हो गयी है। जनता की जिंदगी कुंआ और खाईं के बीच फंस गई है। भाजपा सरकार हर मोर्चे पर पूरी तरह विफल साबित हो चुकी है। उस जनता का भरोसा दिन प्रतिदिन टूट रहा है। सरकारों का यह दायित्व है कि जनता को ज्यादा से ज्यादा सुविधाएं उपलब्ध कराये न कि उनके मन में डर पैदा कर प्रशासन मनमानी पर उतारू हो जाये। लोकतंत्र में कल्याणकारी राज की व्यवस्था होनी चाहिए। भाजपा राज का चेहरा डरावना क्यों लगता है?

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