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मुजफ्फरनगर रहा उत्तर प्रदेश का सबसे प्रदूषित शहर, देश में रहा दूसरे नंबर पर

मुजफ्फरनगर का वायु गुणवत्ता सूचकांक शुक्रवार शाम को 423 पर रहा, जिससे यह यूपी का सबसे प्रदूषित शहर और देश का दूसरा सबसे प्रदूषित शहर बन गया. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के दैनिक AQI बुलेटिन के अनुसार, पूरे भारत में 153 शहरों की वायु गुणवत्ता का आकलन किया गया, जिसमें मुजफ्फरनगर राज्य का एकमात्र ऐसा शहर है, जिसमें वायु प्रदूषण के ‘गंभीर’ स्तर दर्ज किए गए हैं.

मुजफ्फरनगर के प्रदूषण विभाग ने तापमान में गिरावट और हवा की गति को जिम्मेदार ठहराते हुए दावा किया कि मौसम में बदलाव के कारण हवा की गुणवत्ता खराब हुई है. अधिकारियों ने कहा कि स्थानीय प्रशासन सड़कों और पेड़ों पर पानी छिड़क कर स्मॉग को कम करने के लिए कई उपाय कर रहा है, और निर्माण गतिविधियों और धुएं से निकलने वाली फैक्ट्रियों पर पूर्ण प्रतिबंध सुनिश्चित कर रहा है.

ये रहे सबसे प्रदूषित शहर

शुक्रवार को शाम 4 बजे बोर्ड की वेबसाइट पर प्रकाशित जिलों की सूची के अनुसार, सबसे प्रदूषित शहर बिहार में सीवान 426 के एक्यूआई मूल्य के साथ था. इसके बाद फरीदाबाद और मुजफ्फरनगर (423) और दिल्ली (406) थे. यदि AQI मान 200 और 299 के बीच है, तो बोर्ड वायु गुणवत्ता को ‘खराब’ के रूप में वर्गीकृत करता है. अगर यह 300-400 के बीच है तो बहुत खराब और अगर रीडिंग 400 को पार है तो यह ‘गंभीर’ स्तर होता है. विशेष रूप से, देश भर के सभी जिलों से डेटा हर दिन शाम 4 बजे सीपीसीबी की वेबसाइट पर अपलोड किया जाता है और शनिवार को मुजफ्फरनगर का एक्यूआई 309 दर्ज किया गया था जो अभी भी ‘खराब’ श्रेणी में है. लेकिन हल्की हवा चलने के कारण हवा गुणवत्ता कुछ बेहतर थी.

प्रदूषण कम करने के लिए उठाए गए ये कदम

टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर के मुताबिक मुजफ्फरनगर के प्रदूषण विभाग ने शहर की सड़क के फुटपाथों पर पानी छिड़कने के लिए शनिवार को लगभग 7 पानी के टैंकरों का इस्तेमाल किया गया. निर्माण सामग्री बेचने वाली दुकानों को खुले में पड़ी रेत को ढकने के निर्देश दिए गए और स्मॉग गन का इस्तेमाल किया गया. मुजफ्फरनगर के प्रदूषण विभाग के क्षेत्रीय अधिकारी अंकित सिंह ने बताया, “प्रदूषण के स्तर की जांच के लिए तीन टीमों का गठन किया गया है. अब तक विभिन्न फैक्ट्रियों और गुड़ इकाइयों पर 90 लाख रुपये का जुर्माना लगाया जा चुका है.”

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