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अपनी मांगों को लेकर लाश के साथ धरने पर बैठा परिवार

लोकेश त्रिपाठी


अमेठी। अमेठी जिले में लगातार बढ़ता हुआ अपराधों का ग्राफ आम जनमानस के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। बदमाशों के हौसले बुलंद है जो भी जैसे भी चाह रहे हैं घटना को अंजाम देने में जरा सा भी नहीं हिचक रहे हैं। ऐसे ही 2 मामले एक साथ एक दिन अमेठी जिले में देखने को मिले हैं।

जहां पहले मामले में दबंगों ने एक दलित युवक को घर से घसीटकर लाठी-डंडे और भाले से इस कदर पिटाई की कि उसकी इसके इलाज के दौरान जिला अस्पताल रायबरेली में मृत्यु हो गई ।

मृतक परमानंद की फाइल फोटो

वहीं दूसरी तरफ देर शाम को अमेठी जिले के भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के जिलाध्यक्ष प्रमोद कुमार मिश्रा को अज्ञात बदमाशों ले गोली मारकर हत्या कर दी इस प्रकार कल एक साथ दो हत्याकांड से जनपद दहल गया। जिसकी प्रतिक्रिया आज देखने को मिली।

गांव में तैनात भारी मात्रा में पुलिस बल

दरअसल आपको बता दें की अमेठी जिले की तिलोई तहसील क्षेत्र के जायस थाना अंतर्गत ग्राम सभा उड़वा के पूरे सुक्खा निवासी परमानंद पुत्र बाबादीन उम्र 35 वर्ष काम से वापस आकर अपने घर में भोजन कर रहे थे। तभी घर के बाहर शोर की आवाज सुनकर निकल पड़े।

इतने में गांव के ही दबंगों के द्वारा उनको खींचकर ताबड़तोड़ हमला कर दिया गया। जिसके चलते वह बुरी तरह से घायल हो गए घायल अवस्था में ही उनको तत्काल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र फुरसतगंज ले जाया गया। जहां से डॉक्टरों ने उनको जिला अस्पताल रायबरेली रेफर कर दिया। परिजनों द्वारा जिला अस्पताल रायबरेली ले जाकर भर्ती कराया गया। जहां पर इलाज के दौरान उनकी मृत्यु हो गई। मृत्यु की खबर सुनते ही गांव तथा इलाके में हड़कंप मच गया।

पोस्टमार्टम के बाद आज देर शाम परमानंद की लाश उनके गांव पहुंची। देखते ही देखते लोगों की भीड़ जमा होनी शुरू हो गई हजारों की संख्या में पुरुष तथा महिलाएं परमानंद के घर पर इकट्ठे हो गए। सूचना पर तिलोई के उपजिलाधिकारी सुनील त्रिवेदी पुलिस क्षेत्राधिकारी अर्पित कपूर तथा थानाध्यक्ष भरत उपाध्याय भारी मात्रा में पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंच गए।

मौके पर मौजूद पुलिस क्षेत्रा अधिकारी अर्पित कपूर एवं थानाध्यक्ष भरत उपाध्याय

लोगों में इस हत्याकांड से आक्रोश था और उनकी अपनी मांग भी थी। मृतक की पत्नी अपने आधा दर्जन बच्चों को लेकर मृतक के पास बैठ गई । साथ में उसके सास-ससुर भी बैठे गांव वालों ने सहायता किया उनका कहना है कि जब तक इस तरह की घटना को अंजाम देने वाले गांव के ही दबंगों को कड़ी से कड़ी सजा नहीं दी जाती है

भारी संख्या में उपस्थित ग्रामीण

और हम लोगों को भरण-पोषण और जीवनयापन के लिए 50 लाख रुपए का अनुदान नहीं दिया जाएगा तब तक हम लोग मृतक का अंतिम संस्कार नहीं करेंगे। प्रशासन के अधिकारियों द्वारा लगातार मनाने की कोशिश की जा रही है। लेकिन अभी तक परिणाम कोई भी नहीं निकल सका है। पीड़ित परिवार के साथ आसपास के दो-तीन गांव के हजारों लोग उनके साथ हैं।

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