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मजदूरों को सिर्फ भगवान के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता: शिवपाल

लखनऊ। प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने केंद्र व प्रदेश सरकार से विभिन्न शहरों में रह रहे प्रदेश के मजदूरों व कामगारों को केंद्र में रखकर सकारात्मक निर्णय लेने का आग्रह किया है। शिवपाल ने रविवार को ट्वीट कर कहा कि, कोटा से छात्रों की वापसी सराहनीय है, लेकिन प्रदेश सरकार को अपनी आजीविका को लेकर अनिश्चितता, भय और भूख के मंझधार में फंसे देश के विभिन्न शहरों में रह रहे प्रदेश के मजदूरों व कामगारों के बारे में भी सोचना चाहिए। मजदूरों को सिर्फ भगवान के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता।

इसी क्रम में एक और ट्वीट में शिवपाल ने कहा कि, केन्द्र व प्रदेश सरकार या तो देश के विभिन्न शहरों में रह रहे मजदूरों व कामगारों की सुरक्षित वापसी सुनुश्चित करें या उन्हें बेहतर सुविधा वाले स्थानों में शिफ्ट किया जाए, जहां उनके लिए भोजन व स्वास्थ्य सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित हो सके।

इसके पूर्व शिवपाल ने लॉकडाउन के दौरान गरीब परिवारों को न्यूनतम बेरोजगारी भत्ता दिए जाने की मांग की थी। शिवपाल ने बुधवार को ट्वीट कर कहा था कि जब तक प्रदेश का गरीब लॉकडाउन के दौरान खुद को असुरक्षित और वंचित समझेगा तब तक लॉकडाउन को सफल नहीं बनाया जा सकता।

मुंबई और सूरत की सड़कों पर मजदूरों के निकलने पर शिवपाल ने सवाल खड़े किए थे। उन्होंने ट्वीट कर कहा था कि मुंबई और सूरत की सड़कों पर उमड़ी मजदूरों की भारी भीड़ को देखकर ऐसा लगता है कि गरीब और वंचित तबका कोरोना की वंचना (ठगी) का शिकार हो गया है। लॉकडाउन की सफलता निश्चय ही समाज के वंचित तबके की न्यूनतम जरूरतों की आपूर्ति की सुनिश्चितता व उनके सहयोग से ही संभव है।

इससे पहले शिवपाल ने अपने कार्यकर्ताओं से आह्वान किया था कि आज इस संकट की घड़ी में हमें राष्ट्र के प्रति कर्तव्यों का निर्वहन करना चाहिए और जाति, सम्प्रदाय, भाषा व भौगोलिक सीमाओं से ऊपर उठकर कोरोना के विरुद्ध निर्णायक लड़ाई का संकल्प लेना चाहिए। अगर हम साम्प्रदायिक आधार पर बटेंगे तो न सिर्फ कोरोना के खिलाफ लड़ाई कमजोर होगी अपितु यह देश भी कमजोर होगा।

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