उत्तर प्रदेशसीतापुर

संसदीय परंपराओं का पालन करे भाजपा: नरेन्द्र वर्मा

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सीतापुर। उत्तर प्रदेश विधानसभा उपाध्यक्ष पद के चुनाव में समाजवादी पार्टी ने सीतापुर के महमूदाबाद से विधायक नरेंद्र वर्मा को प्रत्याशी बनाया है। श्री वर्मा समाजवादी पार्टी के दिग्गज नेता माने जाते हैं। जिले से वे एकमात्र सपा के विधायक हैं। लखनऊ विश्वविद्यालय से एमए श्री वर्मा ने वैसे तो शुरूवाती दौर में सीतापुर के बिसवां क्षेत्र से गन्ना किसानों की राजनीति में अपना कदम रखा था, उसके बाद वे महमूदाबाद के ब्लॉक प्रमुख भी रहे। परन्तु 1989/90 में राम मंदिर आंदोलन एवं भारतीय जनता युवा मोर्चा से राजनीति में वे आगे बढ़े।

नरेंद्र वर्मा पहली बार रामलहर में 1991 में बीजेपी से विधायक चुने गए थे। समाजवादी पार्टी द्वारा उन्हें प्रत्याशी बनाए जाने पर हिन्दुस्थान समाचार एजेंसी से बातचीत में पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व का आभार व्यक्त करते हुए श्री वर्मा ने कहा कि मुझ जैसे छोटे कार्यकर्ता पर पार्टी ने जो विश्वास व्यक्त किया है, इसके लिए धन्यवाद।

वर्मा ने कहा कि वैसे तो यह पद परंपरागत रूप से उत्तर प्रदेश में सबसे बड़े विपक्ष दल को मिलता रहा है। समाजवादी पार्टी लोकतांत्रिक मूल्यों में विश्वास रखती है। उन्होंने उम्मीद जताते हुए कहा कि मैं विश्वास व्यक्त करता हूं कि वर्तमान में सत्ताधारी दल इस परंपरा का निर्वहन करेंगे। उन्होंने आशंका व्यक्त करते हुए कहा कि सत्ता पक्ष कोई खेल खेले तो अलग बात है, संसदीय परंपरा का विश्वास सत्ताधारी दल को नहीं तोड़ना चाहिए। उन्होंने बताया कि वे रविवार को अपना नामांकन दाखिल करेंगे।

छह बार के विधायक रहें हैं नरेन्द्र वर्मा

नरेंद्र वर्मा 1991 से तीन बार बीजेपी से तथा उसके बाद तीन बार समाजवादी पार्टी से विधायक रहे हैं। सपा सरकार में महमूदाबाद से विधायक होने के नाते उन्हें मंत्री बनने का भी सौभाग्य प्राप्त हुआ था।

महमूदाबाद से पहले भी विधायक रहे डॉ अम्मार रिजवी रह चुके हैं उपाध्यक्ष

सपा ने महमूदाबाद के विधायक नरेंद्र वर्मा को अपना प्रत्याशी घोषित किया है इससे पूर्व महमूदाबाद विधानसभा से ही विधायक रहे डॉक्टर अम्मार रिजवी भी सितंबर 2001 से जनवरी 2002 तक विधानसभा उपाध्यक्ष रह चुके हैं। वह बात अलग है कि तब श्री रिजवी सर्वसम्मति से विधानसभा उपाध्यक्ष निर्वाचित हुए थे।

डॉ अम्मार रिजवी ने हिन्दुस्थान समाचार से बताया कि मैं महमूदाबाद से विधायक रहते विधानसभा का उपाध्यक्ष रह चुका हूं। उपाध्यक्ष का चुनाव सर्वसम्मति से होता रहा है। सामान्यतः यह पद विपक्ष के पास ही होता है, लेकिन बिना सत्तापक्ष की मदद से ऐसा संभव नहीं होता। मुझे तब के मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह ने सर्वसम्मति से विधानसभा उपाध्यक्ष के लिए उम्मीदवार घोषित किया था।

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