उत्तर प्रदेशगोरखपुर

‘योगी बाबा’ बिन इस गांव में दीपावली पर किसी भी घर में नहीं जलता दिया

गोरखपुर: उत्तर प्रदेश का एक गांव है, जहां उनके ‘योगी बाबा’ के बिना दीपावली पर किसी भी घर में दीप नहीं जलता, अगर ‘योगी बाबा’ ना आएं तो वे घरों के आगे ना तो रंगोलियां सजाएंगे और ना ही मीठे पकवान बनेंगे. अपने ‘योगी बाबा’ के बिना इस घर में कोई दिवाली नहीं मनाता. अब आप जानना चाहेंगे कि उनके योगी बाबा आखिर हैं कौन. तो हम बता दें कि वे हैं इस प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ. यह गांव हैं गोरखपुर के कुसम्ही जंगल स्थित वनटांगिया गांव जंगल तिकोनिया नंबर तीन.

 21 वर्ष पहले सीएम योगी ने शुरू की थी यह परंपरा 

मुख्यमंत्री के साथ इस गांव के निवासियों द्वारा दीपावली मनाने की जो परंपरा है, वह कई साल पहले से चली आ रही है. उनकी दिवाली की शुरुआत ही इस बस्ती से होती है और इस पुरानी परंपरा को योगी आज तक निभा रहे हैं. योगी की इस गांव के साथ रिश्ते की शुरुआत साल 1998 में शुरू हुई, जब वह प्रथम बार गोरखपुर के सांसद पद के लिए चुने गए थे. तब यहां पर नक्सली गतिविधियां फैल रही थीं, उन्हें रोकने के लिए सांसद ने गोरखनाथ मंदिर की तरफ से संचालित गुरु गोरक्षनाथ अस्पताल की मोबाइल मेडिकल सेवा को जिम्मेदारी दी. वनटांगिया के लोगों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने की पहल के तहत उन्होंने यहां के बच्चों के लिए स्कूल बनवाया, जो आज भी मौजूद है. साल 2009 से उन्होंने इस समुदाय के साथ दीवाली मनाना शुरू की. इस दीपावली पर वह बच्चों को मिठाई, पटाखे, उपहार आदि देते थे और बस्ती वालों से एक नाता जोड़ लेते थे.

सीएम योगी बने सहारा

योगी ने इन लोगों का हाथ तब थामा जब कोई भी सहारा इनके पास नहीं था. इस समुदाय के पास देश की नागरिकता तक नहीं थी. जंगल में झोपड़ी के अलावा किसी निर्माण की इजाजत नहीं थी. मजदूरी के अलावा आजीविक का कोई अन्य साधन भी नहीं था. लेकिन, जबसे उनके योगी बाबा उनसे जुडे उनकी जिंदगी में दीपावली से दिए रोशन हो गए. सीएम बनते ही योगी ने इस गांव को राजस्व ग्राम का दर्जा दे दिया. इससे ये वनग्राम हर उस सुविधा के हकदार हो गए जो सामान्य नागरिक को मिलती है. इस बार भी उनके आगमन के दिवाली पर सीएम योगी का बस्ती के हर किसी को शिद्दत से इंतजार है. इसके मद्देनजर यहां तैयारियां जोरों पर हैं.

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