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Smile : जानिए मुस्कुराने के फायदे व क्या कहते हैं शोध

‘मुस्कुराने की आदत ना सिर्फ मुस्कुराने वाले व्यक्ति के शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य को फायदा पहुंचाती है बल्कि उसके आसपास के वातावरण को भी खुशनुमा बनाती है.

यही नहीं ऐसे लोग जो ज्यादा मुस्कुराते हैं उनके साथ ज्यादा समय बिताने वाले व्यक्ति भी अपेक्षाकृत ज्यादा खुश रहते हैं.’ यह सिर्फ कहावत नहीं है बल्कि इस बात को विज्ञान भी मानता है वहीं तथा कई शोधों में इस बात की पुष्टि भी हो चुकी है.

ज्यादा से ज्यादा लोगों को खुश और स्वस्थ रहने के लिए मुस्कुराने को अपनी आदत्त में शामिल करने के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से हर साल अक्टूबर माह के पहले शुक्रवार को वर्ल्ड स्माइल डे मनाया जाता है.

मुस्कुराने के लाभ : ज्यादा से ज्यादा मुस्कुराएं और स्वस्थ रहेंदरअसल मुस्कुराने में चेहरे की 43 मांसपेशियों कार्य करती हैं. जिसका लाभ समग्र स्वास्थ्य को मिलता है. जानकार बताते हैं कि हंसने और मुस्कुराने के कई शारीरिक और मनोवैज्ञानिक लाभ होते हैं.

दरअसल जब हम मुस्कुराते हैं तो शरीर में शरीर तीन प्रकार के हार्मोन (डोपामाइन, एंडोर्फिन और सेरोटोनिन )का स्राव व निर्माण तेज हो जाता जिन्हे फ़ील गुड़ हार्मोन भी कहा जाता है. इससे ना सिर्फ तनाव कम होता है , मूड अच्छा होता है, शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली भी मजबूत होती है, रक्तचाप बेहतर रहता है, बढ़ती आयु का प्रभाव कम दिखता है तथा मानसिक स्वास्थ्य को भी कई तरह के लाभ मिलते हैं. इनके अलावा भी मुस्कुराने से स्वास्थ्य को कई अन्य तरह के फायदे भी मिलते हैं.

स्वास्थ्य के लिए बेहतरीन फ़ायदों के अलावा लोगों की मुस्कुराने की आदत उनके आसपास रहने वाले लोगों के लिए काफी फायदेमंद होती है . दरअसल कई मनोवैज्ञानिक विश्लेषणों में इस बात का उल्लेख किया गया है कि हंसी संक्रामक होती है.

या इसे ऐसे भी कहा जा सकता है कि जब कोई व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को देख कर मुस्कुराता है तो दूसरा व्यक्ति भी उसके व्यवहार को प्रतिबिंबित करता है और मुस्कुराने लगता है. ऐसे में मुस्कुराहट लोगों के बीच संबंध को मजबूत बनाने का भी कार्य करती है. साथ ही इससे परिवार, ऑफिस या अन्य स्थानों का माहौल खुशनुमा बना रहता है .

जो लोगों के मन में तनाव व अवसाद को कम कर खुशी बढ़ाने में मदद करता है.

लोगों के व्यवहार पर हो रहे कई शोधों में इस बात का उल्लेख मिलता है कि वर्तमान समय में अलग-अलग कारणों से लोगों में स्वाभाविक खुशी महसूस करने की क्षमता में कमी आ रही है. बल्कि उनमें तनाव, चिंता या अवसाद जैसी समस्याओं के मामले ज्यादा देखने में आने लगे हैं जो उन्हे ज्यादा मुस्कुराने से रोकती हैं.

इस बात की पुष्टि मनोवैज्ञानिक तथा मनोचिकित्सक भी करते हैं. ऐसे में वर्ल्ड स्माइल डे लोगों को ज्यादा मुस्कुराने को अपनी आदत में शामिल करने के लिए प्रेरित करता है .

गौरतलब है कि वर्ष 1963 में, वॉर्सेस्टर, मैसाचुसेट्स के एक ग्राफिक कलाकार और विज्ञापन विशेषज्ञ हार्वे बॉल ने वर्तमान में काफी ज्यादा प्रचलित स्माइली आइकन का चित्र मुस्कुराते चेहरे के प्रतीक के रूप में डिजाइन किया था. लोगों की मुस्कुराहट के प्रतीक के रूप में तथा उन्हे मुस्कुराने के लिए कारण देने के उद्देश्य से बनाया गया

प्रतीकात्मक स्माइली लोगों में काफी प्रचलित होने लगा. उसके बाद हार्वे ने ही अक्टूबर के पहले शुक्रवार को स्माइल डे के रूप में मनाए जाने की बात कही थी. लेकिन इसे पहली बार वर्ष 1999 हार्वे के गृह नगर में अक्टूबर के पहले शुक्रवार को मनाया गया था.

बाद में वर्ष 2001 में हार्वे के निधन के पश्चात हार्वे बॉल वर्ल्ड फाउंडेशन द्वारा हार्वे को सम्मानित करने लिए तथा उनकी याद में, हर साल इस आयोजन को मनाए जाने की परंपरा शुरू की गई.

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