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पी चिंदबरम ने लड़कियों के लिए शादी की उम्र 21 साल करने का किया समर्थन, कहा- दोनों में नहीं हो कोई भेदभाव

पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता पी चिंदबरम ने लड़कियों के लिए शादी की उम्र 21 साल करने का समर्थन किया है. शनिवार को पी चिंदबरम ने ट्वीट कर कहा कि लड़कियों की शादी की उम्र 21 साल करने की समझदारी पर बहस चल रही है और इसे वैसा ही बनाना चाहिए जैसा ये लड़कों के लिए है. साथ ही कहा कि इस पर मेरा विचार है कि शादी की उम्र 21 साल लड़कियों और लड़कों के लिए समान होनी चाहिए.

बुधवार को केंद्र सरकार ने लड़कियों की शादी की कानूनी उम्र 21 साल करने का फैसला किया और केंद्रीय कैबिनेट ने पुरुषों और महिलाओं की शादी की कानूनी उम्र एक समान करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी. अब इसे कानूनी शक्ल देने के लिए मौजूदा कानून में संशोधन किया जाएगा. इसके लिए केंद्र सरकार संसद में प्रस्ताव पेश करेगी.

सबसे खास बात ये है कि अगर ये कानून बना तो ये नियम सभी धर्मों पर लागू होगा. फैसले के पीछे सोच ये है कि अगर सरकार ने शादी की न्यूनतम उम्र को बढ़ाया तो इससे कई बदलाव आएंगे जो परिवार लड़की की 18 साल उम्र होते ही उसकी शादी के बारे में सोचने लगते हैं, वो ऐसा नहीं करेंगे. लोगों की सोच के साथ ही महिलाओं की सेहत भी बेहतर होगी. करोड़ों लड़कियों की जिंदगी बदलेगी और भारत की आने वाली पीढ़ियां सुधर जाएंगी, क्योंकि इस फैसले का आधार व्यापक है.

पीएम मोदी ने जया जेटली के नेतृत्व में एक टास्क फोर्स का किया था गठन

पीएम मोदी ने जून 2020 में ही जया जेटली के नेतृत्व में एक टास्क फोर्स का गठन कर दिया था, जिसने शादी की उम्र बढ़ाने के हर पहलू पर विचार किया और अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंपी. टास्क फोर्स ने अपनी रिपोर्ट में केंद्र सरकार को कानून में बदलाव की सिफारिश की. अपनी रिपोर्ट में टास्क फोर्स ने बताया कि पहले बच्चे को जन्म देते समय महिलाओं की उम्र कम से कम 21 वर्ष होनी चाहिए. इससे ना सिर्फ महिलाओं का स्वास्थ्य अच्छा रहेगा बल्कि स्वस्थ शिशु का भी जन्म होगा.

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