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किसान आंदोलन को राजधानी की सीमा से बाहर बनाए रखने के लिए दिल्ली पुलिस ने साल भर में खर्च किए 7 करोड़ से भी ज्यादा

किसानों के हितों के लिए बनाए गए तीनों कानून वापिस लेने की जिद पर अड़े किसानों को दिल्ली की सीमाओं पर ही काबू करने के लिए करोड़ों रुपए सरकारी फंड खर्च करना पड़ा. एक अदद इस कोशिश में कि किसी भी कीमत पर आंदोलनकारी किसानों के कदम राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की सीमा को न लांघ सकें. यह अलग बात है कि इतनी मोटी रकम खर्च करने के बाद भी दिल्ली की सड़कों पर मगर, किसानों की ट्रैक्टर रैली में पहुंचे कुछ हुड़दंगियों-असामाजिक तत्वों ने जी-भर के मनमानी कर ही ली. मनमानी ही नहीं कर ली अपितु रैली में घुस आए असामाजिक तत्वों ने खून-खराबे तक को अंजाम दे डाला.

गंभीर यह है कि 7 करोड़ से ज्यादा रकम खर्च करने के बाद भी मगर, सरकारी मशीनरी 26 जनवरी 2021 को दिन-दहाड़े दिल्ली की सड़कों पर और लाल किला परिसर में हुए खूनी तांडव को होने से नहीं बचा सकी. दरअसल सात करोड़ रुपए किसान आंदोलन के ऊपर खर्च कर डाले जाने की बात यूं ही आसानी से सामने नहीं आ गई है. इसके लिए बाकायदा देश के सदन में सवाल उठाया गया था. राज्यसभा में इस बाबत सांसद एम. मोहम्मद अब्दुल्ला ने सवाल किया था. पूछा था कि वर्ष 2020 से अब तक दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसान आंदोलन के दौरान प्रदर्शन में कितने किसानों की मौत हुई?

सरकार से इस बाबत पूछा गया था सवाल

सरकार ने मरने वाले किसानों के लिए क्या किसी मुआवजे का इंतजाम किया है? एक और सवाल था कि आंदोलन के दौरान प्रदर्शन स्थलों पर मुहैया कराई गई सुरक्षा पर कितना खर्चा किया गया था? जबकि सांसद कुमार केतकर ने पूछा था कि, “क्या गृह मंत्रालय ने प्रदर्शन कर रहे किसानों के बीच अन्य कारकों सहित पानी की कमी, मौसम की स्थित के कारण हुई मौतों और आत्महत्या संबंधी आंकड़ा जुटाया गया है? संबंधित मंत्रालय ने आय संबधी मुआवजे और नौकरी के अवसरों के रूप में मृतकों के परिवारों को सहायता देने के लिए किसी नीति की घोषणा की है?” इन सभी सवालों के जबाब संबंधित मंत्रालय के मंत्री द्वारा सदन में दिए गए.

सवालों का जबाब देते हुए केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा, “पुलिस ने किसानों के विभिन्न धरना प्रदर्शन स्थलों पर सुरक्षा मुहैया कराने में दिल्ली पुलिस ने खर्चे का ब्योरा मंत्रालय को उपलब्ध कराया है. जिसके मुताबिक दिल्ली पुलिस ने प्रदर्शन शुरू होने से लेकर 20 नवंबर 2021 तक 7 करोड़ 38 लाख 42 हजार 914 रुपए खर्च किए हैं.” इस दौरान हुई किसानों की मौत के आंकड़ों पर मंत्री ने अपने जबाब में कहा, “संविधान की सातवीं अनुसूची के अनुसार पुलिस और लोक व्यवस्था राज्य सरकार के विषय हैं. इस संबंध में सूचना संबंधित राज्य सरकारों द्वारा रखी जाती है. साथ ही इस प्रकार की घटनाओं पर मुआवजे के मामलों पर भी संबंधित राज्य सरकारें ही कार्रवाई करती हैं.”

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