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बर्मा बॉर्डर तक पहुंचने के लिए रेलवे ने बनाया दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे ट्रैक, 8 पहाड़ियों को चीरकर पहुंचेगी ट्रेन

भारतीय रेल पैसेंजर सेवा के साथ-साथ फ्रेट कॉरिडोर और गुड्स ट्रेन की आवाजाही के लिए जानी जाती है. लेकिन इन सब के साथ-साथ भारतीय रेल सामरिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण स्थानों पर भी अपनी पहुंच बना रही है. पहाड़ों का सीना चीरते हुए उन जगहों तक पहुंच रही है जहां से दुश्मन भारत की ओर घुसने की नाकामयाब कोशिश कर सकता है.

इसी श्रेणी में भारतीय रेल मणिपुर के जीरीगाम से इंफाल के बीच नोनी जिले में दुनिया का सबसे ऊंचा पियर ब्रिज बनाने का काम कर रही है. यह ब्रिज दुनिया का सबसे ऊंचा पियर ब्रिज है जो 2023 में पूरी तरीके से बनकर तैयार हो जाएगा.

इस ब्रिज में क्या है खास?

एनएफआर के इस पियर ब्रिज के चीफ इंजीनियर संदीप शर्मा ने बताया कि यह ब्रिज रेलवे ने उन्नत तकनीक का प्रयोग कर बनाया है. 703 मीटर लम्बे इस ब्रिज में 9 सपोर्टिंग पिलर बनाया गया है. इसे बनाने में 11780 मिट्रिक टन स्टील का प्रयोग किया गया है.

कुतुब मीनार से दोगुनी ऊंचाई

जीरीबाम इम्फाल के 111 किलोमीटर लम्बे रूट पर नोनी जिले में बनने वाले इस पुल की ऊंचाई 141 मीटर है. दुनिया में इसके बाद बेलग्रेड में एक पुल बन रहा है जिसका स्थान इस पुल के बाद आता है.

अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर से पास है ब्रिज

इंफाल की अगर बात करें तो रेलवे कनेक्टिविटी अभी यहां पर नहीं है. मणिपुर में जीरीबाम तक रेलवे कनेक्टिविटी है. जीरीबाम से लेकर इंफाल के बीच का रास्ता अगर आप कार से तय करते हैं तब कम से कम 10 घंटे का समय लगता है लेकिन इस रेलवे ट्रैक के शुरू हो जाने से महज 111 किलोमीटर की दूरी लगभग 2 से ढाई घंटे में पूरी हो जाएगी. इस ट्रैक के बनने से बर्मा का जो बॉर्डर है वह रेलवे नेटवर्क के दायरे में बहुत ही करीब चला जाएगा इससे आने वाले दिनों में सामरिक दृष्टिकोण से क्षेत्र का महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाएगा. रेलवे के लिहाज से अगर कोई सैन्य साजो-सामान लाना अथवा ले जाना है तो इस रूट से आसानी से लाया जा सकता है.

बता दें कि नार्थ ईस्ट के इलाकों से ट्रेन बॉर्डर पार करने की तैयारी में है. जिन देशों में ट्रेन ट्रैक बिछाने की योजना है, उनमें नेपाल, बर्मा, भूटान और बंगलादेश शामिल है. बंगलादेश को जोड़ेने वाला ट्रैक हल्दीबाड़ी पूरा हो चुका है. इससे महिमाशाली-अगरतला को जोड़ा जाएगा. बिहार में जोगबनी से बिराटनगर को जोड़ने का काम शुरू हो चुका है. भूटान के हशिमारा बॉर्डर पर भी ट्रैक का काम चल रहा है.

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