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बाजारों में आया फलों का राजा हापुस आम, दो महीने पहले बाजार में पहुंचा, कीमत सिर्फ इतने रुपये

महाराष्ट्र में बेमौसम बारिश से इस साल फसलों के साथ साथ बागवानी को भी बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ हैं. तो वहीं बदलते वातावरण के कारण कई जिलों में आम के फलों पर करपा रोग के प्रकोप से भरी नुकसान किसानों को झेलना पड़ा हैं. जिसके चलते किसानों का कहना था कि इस साल उत्पादन में भारी कमी आ सकती हैं. इस बार बाज़ारों में देरी से आम पहुचेंगे. लेकिन अब आम का राजा हापुस की आवक वाशी के एपीएमसी बाजार में आना शुरू हो गया हैं.

हर साल फरवरी के महीने में वाशी के एपीएमसी बाजार में कोंकण से हापुस आम की आवक आना शुरू होती थी. लेकीन इस साल दिसंबर के तीसरे सप्ताह में देवगढ़ के हापुस आम अब वाशी के एपीएमसी बाजार में पहुंच रहा हैं. तो अब उपभोक्ताओं को हापुस आम की मिठास का स्वाद चखने के लिए लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा, हापुस की तीन बड़ी पेटियां बाजार में आ चुकी हैं.व्यापारी 2,000 रुपये से 5,000 रुपये प्रति बॉक्स की दर मिलने की उम्मीद कर रहे हैं.

लाॅकडाउन में आम उत्पादको हुआ था भारी नुकसान

एपीएमसी बाजार में हर साल फरवरी के महीने में हापुस आमों की आवक शुरू हो जाती हैं,उसके बाद आम का मोसम मार्च, अप्रैल और मई में और भी आवक आना तेज होता हैं.लेकीन कोरोना की वजह से इस साल आम के सीजन में आम की आवक नही पहुँच पाई थी.इसके बाद लॉकडाउन की घोषणा की गई थी, लाॅकडाउन के कारण आम के आवक में गिरावट आ गई थीं.और इस कारण हापुस आम सीजन बर्बाद हो गया और किसानों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा था.तो वही अब बेमौसम बारिश के कारण करीब 80 फीसदी आम के बाग हुए बर्बाद

आम की पहली खेप पहुची वाशी के एपीएमसी बाजार में

हापुस का मुख्य सीजन भले ही अभी नहीं आया हो लेकिन हापुस आम बाजार में आ चुका हैं कोंकण से यह पहली खेप है क्योंकि अरविंद वाके, वाकेवाड़ी देवगढ़ गांव से हापुस के तीन बक्से वाशी में एपीएमसी बाजार में आ चुके हैं फल बाजार के व्यपारियो का कहना हैं कि इस आम की औसत कीमत 2,000 रुपये से 5,000 रुपये होने की उम्मीद लगाई हैं.

हापुस आम की क्या हैं खासियत

हापुस आम को अंग्रेजी में अल्फांसो आम भी कहा जाता हैं.इसका वजन 150 से 300 ग्राम के बीच होता है. इसमें मिठास, स्वाद और सुगंध में दूसरे किस्म के आम से पूरी तरह अलग होता है इसकी सबसे बड़ी खासियत यह होती है.वो है इसका टिका रहना यानि पकने के एक सप्ताह बाद भी आम खराब नहीं होता है इसके कारण ही इसको निर्यात करने में ज्यादा परेशानी नहीं होती है और निर्यात होने वाले आम में सबसे अधिक अल्फांसो ही है.इसकी कीमत की बात करे तो ये अन्य आम से काफी महंगा बिकता हैं.वही इस आम को जीआई टैग भी मिल चुका है. आपको बता दें कि किसी क्षेत्र विशेष के उत्पादों की पहचान को जियोग्रॉफिल इंडीकेशन सर्टिफिकेशन दिया जाता है.

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