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CM शिवराज का ऐलान- शहीद पैरा कमांडो जितेंद्र के बच्चों की पढ़ाई मुफ्त, सरकारी नौकरी और 1 करोड़ सम्मान निधि

तमिलनाडु हेलिकॉप्टर हादसे में शहीद पैरा कमांडो जितेंद्र कुमार वर्मा (Martyr Para Commando Jitendra Kumar Verma) का शव रविवार को मध्यप्रदेश के सीहोर जिले में पैतृक गांव धामंदा पहुंच गया. सीएम शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Chouhan) भी शहीद के अंतिम दर्शन करने के लिए पहुंचे. इस दौरान सीएम ने ऐलान किया कि शहीद जितेंद्र के बच्चों की पूरी पढ़ाई का खर्चा सरकार उठाएगी. इसके अलावा 1 करोड़ रुपए मुआवजा और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाएगी.

सीएम शिवराज ने कहा कि एक सरकारी स्कूल का नाम जितेंद्र कुमार के नाम पर रखा जाएगा और गांव में उनकी एक मूर्ति भी स्थापित की जाएगी. शहीद के सम्मान में भोपाल से लेकर सीहोर तक जगह-जगह लोगों ने सड़क किनारे खड़े होकर फूल बरसाए. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान रविवार दोपहर शहीद को श्रद्धांजलि देने धामंदा गांव पहुंचे. उन्होंने यहां दिवंगत नायक जितेंद्र वर्मा के परिवार को राज्य सरकार की ओर से एक करोड़ रुपए की सम्मान निधि देने का ऐलान किया है. साथ ही उन्होंने परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने के साथ ही अमर शहीद जितेंद्र वर्मा के नाम से स्कूल का नामकरण करने की भी घोषणा की.

गांव की गलियां पोस्टर से पटीं

तमिलनाडु के कुन्नूर में बुधवार को हुए हेलिकॉप्टर क्रैश में जनरल बिपिन रावत सहित 13 लोगों का निधन हो गया था. हादसे में सीहोर जिले के धामंदा गांव के 31 साल के पैरा कमांडो जितेंद्र वर्मा की भी मृत्यु हो गई थी. एसपी मयंक अवस्थी ने बताया कि अंत्येष्टि स्थल तक पहुंचने के लिए दो मार्ग बनाए गए. इस बीच पैरा कमांडो के घर के बाहर बैरिकेडिंग कर दी गई है, ताकि वहां पर भीड़ नहीं हो.

देश सेवा में अपनी जान देने वाले नायक जितेंद्र के निधन से पूरा गांव दुखी है. शहीद की अंतिम यात्रा की तैयारी में हर ग्रामीण जुटा हुआ था. क्षेत्र के समाजसेवी दीपक जायसवाल ने बताया कि देश सेवा करते शहीद हुए जवान को सभी ने नम आंखों से विदाई दी. उनकी अंतिम यात्रा में गेंदे, गुलाब सहित अन्य प्रकार के फूलों की बारिश की गई. एक क्विंटल से ज्यादा फूल बरसाकर ग्रामीण अपने सपूत को श्रद्धांजलि दी.

गांव के लोगों ने कहा- हमें अपने बेटे पर गर्व है

ग्रामीणों का कहना है कि हादसे की सूचना के बाद से ही हमारी आंखें बस उसी ओर देख रही थीं, जिस रास्ते हमारे वीर बेटे की पार्थिव देह गांव आएगी. दोपहर में अपने बेटे को तिरंगे में लिपटा देख आंखें तो झलकी, लेकिन गर्व भी था. यहां गली-गली में जितेंद्र को श्रद्धांजलि देने वाले पोस्टर भी लगाए हैं. अपने लाल को अंतिम विदाई देने के लिए गुलाब-गेंदे सहित अन्य प्रकार के फूलों की व्यवस्था की गई है. घरों की छतों से लेकर गांव की गलियां तक में तिरंगा लहरा रहा है.

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