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अखिलेश के एक और करीबी के यहां IT डिपार्टमेंट की रेड, बेनामी संपत्ति के सबूत मिले; टैक्स चोरी की आशंका

उत्तर प्रदेश में होने वाले चुनाव से पहले आयकर विभाग एक्शन में है और वह राज्य में लगातार अवैध धन को लेकर छापेमारी कर रहा है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक आयकर विभाग ने जिन कारोबारियों के वहां छापा मारा है, वह समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के करीबी बताए जा रहे हैं. लिहाजा छापेमारी को लेकर राज्य में सियासी बयानबाजी भी शुरू हो गई है. बुधवार को आगरा में शहर के चार नामी जूता कारोबारियों के यहां आयकर विभाग की जांच शाखा को छापेमारी में संपत्ति के दस्तावेजों का बड़ा जखीरा मिला. आयकर विभाग को जमीन की खरीद के साथ ही लीज पर दिए जाने के कागजात मिले हैं. आयकर अब इन दस्तावेजों के जरिए वास्तविक टैक्स का आंकलन करेगा.

जानकारी के मुताबिक आयकर विभाग की टीमों ने बुधवार सुबह आगरा, दिल्ली और नोएडा में स्थित इन कारोबारियों की 15 ठिकानों पर छापेमारी की और इसके बाद तलाशी ली. आयकर विभाग की जांच रात भर चलती रही. वहीं जांच के लिए एक एक अतिरिक्त टीम तैयार रखा गया था. आयकर विभाग की टीम ने कारोबारियों के सभी इकाइयों में उत्पादन की बैलेंस शीट तैयार कर ली है और बताया जा रहा कि कारोबारियों ने टैक्स की चोरी की है और आयकर विभाग अब इसका आंकलन कर रहा है. असल में जूता व्यापारियों के प्रतिष्ठान, कार्यालय, फैक्ट्री, आवास व अन्य परिसर में करीब 36 घंटे तक तलाशी के बाद भी आयकर विभाग कुछ आधिकारिक तौर पर नहीं बोल रहा है. जबकि मीडिया के जरिए जो खबरें आ रही हैं. उसके मुताबिक आयकर विभाग को कारोबारियों के वहां पर टैक्स चोरी के मामले मिले हैं. कहा जा रहा है कि समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के इन कारोबारियों के साथ नजदीकी संबंध भी हैं. जिसके बाद राज्य में छापेमारी को लेकर सियासत भी शुरू हो गई है.

प्रॉफिट दिखाया कम

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक कारोबारियों के बारे में आयकर विभाग का कहना है उन्होंने अपने मुनाफे को काफी कम दियाया है. ताकि टैक्स ना देना पड़े. वहीं विभाग को क्लेम किए गए खर्चों पर संदेह है. लिहाजा इसकी जांच पड़ताल की जा रही है और विभाग का कहना है कि ब्योरे का मिलान आयकर रिटर्न से किया जाएगा.

बैंक लॉकर की जांच

जानकारी के मुताबिक विभागीय टीमों ने नोवा शूज, टारा आरए इनोवेशंस, ओम एक्सपोर्ट्स से संबंधित लॉकरों की जांच की. उम्मीद है कि निवेश से जुड़े दस्तावेज उनमें मिल सकते हैं. आयकर विभाग को आशंका है कि सीएसआर के नाम पर यहां-वहां फंड डायवर्ट किया गया है

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