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बंगाल के लोगों के लिए बड़ी खुशखबरी, UNESCO ने दुर्गा पूजा को दिया हेरिटेज का दर्जा

श्चिम बंगाल के लोगों ने बुधवार को दिन बड़ी खबर लेकर आया है. संयुक्त राष्ट्र संघ की सांस्कृतिक ईकाई UNESCO ने बंगाल की दुर्गा पूजा को मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची में शामिल करने का ऐलान किया है. इससे बंगाल के लोगों में खुशी लहर दौड़ गयी है. बता दें कि बंगाल में दुर्गा पूजा बहुत ही धूमधाम से मनाई जाती है और दुर्गा पूजा बंगाल की संस्कृति के साथ जुड़ा हुआ है. बंगाल सरकार ने यूनेस्को से दुर्गा पूजा को विरासत का दर्जा देने की फरियाद की थी. यूनेस्को ने इसकी मंजूरी दे दी है. इससे बंगाल की दुर्गा पूजा को विश्व स्तर पर मान्यता मिल गयी है.

प्राप्त जानकारी के अनुसार 13 से 18 दिसंबर 2021 तक पेरिस, फ्रांस में आयोजित होने वाली अपनी अंतर सरकारी समिति के 16 वें सत्र के दौरान कोलकाता में दुर्गा पूजा को यूनेस्को की मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची में शामिल किया गया है.

दुर्गा पूजा को सांस्कृतिक विरासत की सूची में किया गया शामिल

यूनेस्को के 2003 के अमूर्त सांस्कृतिक विरासत में कोलकाता के दुर्गा पूजा को शामिल करने के नामांकन को कई राज्य दलों द्वारा समर्थित किया गया था. धर्म, लिंग और आर्थिक तबके की बाधाओं को पार करते हुए इसके सर्व-समावेशी दृष्टिकोण के लिए इसकी विशेष रूप से प्रशंसा की गई है.

दुर्गा पूजा के दौरान गली-गली में होती है मां दुर्गा की पूजा

बता दें कि दुर्गा पूजा के दौरान बंगाल की राजधानी कोलकाता (Kolkata) के मध्य से शुरू कर पूर्व से लेकर पश्चिम तक और उत्तर से लेकर दक्षिण तक हर गली-चौराहे और सड़कों पर सोमवार सुबह से ही माइक्रोफोन और लाउडस्पीकर पर एक ही मंत्र .. या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता, नमस्तसयई नमस्तयसई नमस्तस्यई नमो नमः. गूंजता रहता है. बंगाल के जिले-जिले में दुर्गा पूजा (Durga Puja) के पंडाल (Pandal) बनाए जाते हैं. पूजा पंडाल अलग-अलग थीम पर बनाए जाते हैं. इन थीम में किसान आंदोलन से लेकर एनआरसी के भव्य पंडाल बनाए जाते हैं. बंगाल में थीम को लेकर पूजा पंडाल बनाने की परंपरा है. दुर्गा पूजा के दौरान पूरा बंगाल बदल जाता है और हर जगह मां दुर्गा की पूजा की गूंज उठती है. बंगाल सरकार की ओर से प्रत्येक साल दुर्गा पूजा कार्निवल का भी आयोजन किया जाता है.

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