उत्तर प्रदेशलखनऊ

प्राकृतिक ‘बांस’से निर्मित डिजाइनर प्रोडक्ट्स से अपने घर को बनाईये खूबसूरत

लखनऊ: अपने घर के इंटीरियर को और भी खूबसूरती देने के लिए अब राजधानी में प्रांकृतिक बांस ‘बैंबू’ के आकर्षक प्रोडक्ट्स आप आसानी से उचित दामों पर खरीद सकते हैं। डालीबाग स्थित नवीन खादी भवन में श्री योगेश्वर डिवाइन लाइफ हर्बल्स संस्थान के ग्रीन गोल्ड इकोस्टोर का पहला आउटलेट खुल चुका है। इस शोरूम में आपको अपने घर की खूबसूरती बढ़ाने के लिए कई सारे प्रोडक्ट्स मिलेंगे। इन प्रोडक्ट्स की डिजाइन आपको इनकी खरीदारी करने पर मजबूर कर देगी। आकर्षक डिजाइन के मोबाइल स्टैंड, टेबल कुर्सी, सोफासेट डलिया, बोतल, फाइल कवर, फोटो सीनरी भी आपके मन को भा जाएगी।

श्री योगेश्वर डिवाइन लाइफ हर्बल्स संस्थान की इस पहल का शुभारंभ खादी बोर्ड के मुख्य कार्यपालक अधिकारी और अपर मुख्य सचिव सूचना डॉ नवनीत सहगल ने किया। उन्होंने आउटलेट का शुभारंभ करते हुए कहा कि बांस के उत्पाद न केवल घरों को सूबसूरत और यूनीक बनाने में मदद करेंगे बल्कि यह हमारे जीवन से प्लास्टिक के उत्पादों को कम करने में भी सहायक बनेंगे। डालीबाग स्थित नवीन खादी भवन के प्रथम तल पर बने खादी प्लाजा में प्रथम दृष्टया बैंबू के उत्पाद इतने आकर्षक रूप में राजधानी के आम लोगों के लिए उपलब्ध होंगे। इस शोरूम में भारतवर्ष की इस कला का विहंगम दृश्य सबको अपना बना लेगा। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ नवनीत सहगल रहे तथा शोरूम के संचालक श्रीमती रेखा सिंह, डॉ रीनू मौर्य एवम डॉ अंशुल चंद्रा जी के साथ कई गणमान्य नागरिक मौके पर उपस्थित रहे।

गौरतलब है कि श्री योगेश्वर डिवाइन लाइफ हर्बल्स संस्थान, एक गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) है। इसकी स्थापना आयुर्वेद को हर घर तक पहुंचाने के मिशन के साथ की गई थी। भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग और ‘हरा सोना’ नाम से विश्व में विख्यात बांस का इतिहास जितना पुराना है, दैनिक जीवन में इसका इस्तेमाल उतना ही महत्वपूर्ण है। बांस में ग्रामीण भारत के लोगों को आर्थिक रूप से समृद्ध बनाने की क्षमता है। इन्हीं सब बातों को आत्मसात करते हुए श्री योगेश्वर डिवाइन लाइफ हर्बल्स संस्थान अपना नया वेंचर डिवाइन लाइफ बैंबू लेकर आया है। जिसके अंतर्गत पहला आउट्लेट ग्रीन गोल्ड इकोस्टोर लखनऊ के नवीन खादी भवन में खुला है।

श्री योगेश्वर डिवाइन हर्बल लाइफ की संस्थापक श्रीमती रेखा सिंह योगा एवं नेचुरोपैथी में स्नात्कोत्तर है और सी.एस.आई.आर. से एरोमेटिक एवं मेडिसिनल पाठ्यक्रम का विशेष अध्ययन किया है। उन्होंने सोशल एक्टविस्ट डॉ रीनू मौर्या और डॉ अंशुल चंद्रा जो कि फ़ॉरेस्ट पेथोलोज़ी, फ़ॉरेस्ट रीसर्च इंस्टिट्यूट देहरादून से पीचडी की है, उनके साथ मिलकर अब डिवाइन लाइफ बैम्बू की शुरुआत की है। संस्था का लक्ष्य स्थायी बांस सामग्री से निर्मित उत्पादों की एक शून्य-अपशिष्ट श्रेणी को विकसित करना और बेचना है । यह पर्यावरण के अनुकूल है, जिससे पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखा जा सके और समुदाय को वापस दिया जा सके।

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