लखनऊ: एक तरफ मौत तो दूसरी तरफ जान बचाने की जद्दोजहद, मदुरै हादसे के प्रत्यक्षदर्शियों ने सुनाई दास्तां
लखनऊ। सुबह 5:15 बज रहे थे उस वक्त ट्रेन में सब सो रहे थे। मदुरै रेलवे स्टेशन के यार्ड में ट्रेन खड़ी थी इसी बीच गैस लिकेज से ट्रेन में आग लग गई। कोई कुछ समझ पाता कि कोच में धुआं भर गया लोगों के दम घुटने लगा यात्री चिल्लाने,भागने लगें। कोई खिड़की पकड़कर चिल्ला रहा था, तो कोई दरवाजा पीट रहा था। जिंदा रहने के लिए जो किया जा सकता था, वह किया। बस एक तरफ सामने मौत खड़ी थी दूसरी ओर जिदंगी बचाने का संर्घष चल रहा था।
लखनऊ से रामेश्वरम जा रही पर्यटक ट्रेन में शनिवार की सुबह जिन यात्रियों ने पूरी घटना अपनी आंखों से देखी। उनको हर मिनट लग रहा था कि मौत सामने घूम रही है। लग रहा था अब मर जायेंगे,ईश्वर का शुक्र रहा जिनकी नई जिंदगी मिली । रविवार को एयरवेज से चेन्नई से लखनऊ पहुंचे यात्रियों ने आप बीती बताते सिसक पड़े। कहा मंजर के वो पांच मिनट जीवन में नहीं भूल पायेंगे।
लखीमपुर-खीरी की कमला देवी वर्मा ने बताया कि हम सो रहे थे सुबह सवा पांच का समय था दरवाजे खिड़कियां अंदर से बंद थे। जब कोच में धुआं और आग फैलने लगी तो हम लोग दरवाजे की ओर भागे। हम तो बच गए लेकिन साथ लाया सारा सामान जलकर राख हो गया। सीतापुर की सुशीला सिंह ने बताया कि मैं बीच वाली सीट पर थी आग लगी तो हम लोग दरवाजे के पास पहुंचे। दरवाजा लॉक था और खुल नहीं रहा था। लोग घबरा गए लेकिन फिर किसी तरह दरवाजा खोलकर बाहर निकले, चलती ट्रेन के दौरान कूदने पर काफी चोटें आई है।
सीतापुर के शिवप्रताप सिंह चौहान के बताया कि उनके कोच के अंदर काफी धुआं और आग थी। किसी तरह चार लोगों को लादकर बाहर निकाल लिया, लेकिन अपनी पत्नी मिथिलेश कुमारी और बहनोई शत्रुदमन सिंह को नहीं निकाल पाया। इस हादसे में दोनों की मौत हो गई।
गोमतीनगर में रहने वाली सीता सिंह ने बताया कि मेरी जब आंख खुली तो डिब्बे में अंधरे के साथ आग की लपटे उठ रही थी। हम लोग भागे तो गेट में ताला पड़ा था। तभी कुछ लोगों ने लोहे की राड से ताला तोड़ दिया और हम लोग कूद कर नीचे आए। थोड़ी देर बाद ही गैस सिलिंडर फट गया। इस दौरान हमारी ट्रेन की बगल में खड़ी दूसरी ट्रेन में भी आग लग गई।
हरदोई की किरन गुप्ता ने बताया कि काफी तेजी से धुआं आया और देखते ही देखते अंधेरा हो गया डिब्बे के अन्दर कुछ दिखाई नही दे रहा था। किसी तरह दरवाजे पर पहुंची और जान बचाने के लिए कूद गई। लोगों के बीच चीख पुकार मची थी।राम मनोहर वर्मा ने बताया कि हम सो रहे थे। जैसे ही हमने चीखें सुनीं तो बाहर भागने की कोशिश की लेकिन दरवाजा बंद था। मैं ठीक से सांस भी नहीं ले पा रहा था। अंदर बस भगवान का नाम ले रहा था किस्मत अच्छी थी कि हम बच गये।