महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष के चुनाव को लेकर सीएम उद्धव ठाकरे को लिखे अपने पत्र में राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने तीखे शब्दों में अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. पत्र में उन्होंने लिखा है कि, ‘आपके धमकी भरे शब्दों को पढ़कर मैं दु:खी और निराश हुआ. मैं संविधान का रक्षक हूं. मुझे सभी संवैधानिक बातों को ध्यान में रखते हुए फैसला करना होता है. आप मुझ पर दबाव नहीं डाल सकते.’
राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव प्रक्रिया के नियमों में बदलाव किए जाने पर सवाल उठाया था और उसे असंवैधानिक बताया था. इसके बाद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने राज्यपाल को एक पत्र लिखा था. इस पत्र में उन्होंने लिखा था कि, ‘आपको विधानमंडल के कामकाज में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है. बेवजह आप इस पचड़े में ना पड़ें.’ राज्यपाल को पत्र की भाषा असंयमित और धमकियों से भरी लगी.
मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नाम राज्यपाल कोश्यारी का पत्र
राज्यपाल ने अपने पत्र में लिखा है कि, ‘आपने विधानसभा अध्यक्ष पद का चुनाव करवाने के लिए 10 से 11 महीने का समय लिया. महाराष्ट्र विधानसभा के नियम छह और सात में संशोधन किया गया है. ऐसे सुधारों को संवैधानिक दृष्टि से परखना आवश्यक है. मैंने विधानमंडल की कार्यपद्धतियों और कामकाज पर सवाल नहीं उठाया है. ना ही इसके विशेष अधिकार पर कोई सवाल खड़ा किया है. लेकिन प्रक्रियाओं से जुड़ी बातों पर सहमति देने के लिए मुझ पर दबाव नहीं डाला जा सकता.
संविधान के अनुच्छेद 208 में दिए गए सिद्धांतों के अनुसार असंवैधानिक और अवैधानिक तरीके से राज्यपाल की सर्वोच्च संस्था की अवहेलना करने वाले और उसकी प्रतिष्ठा को आंच पहुंचाने वाले आपके पत्र की असंयमित और धमकियों से भरी भाषा को पढ़ कर मैं दु:खी और निराश हुआ हूं.’
मैं संविधान का रक्षक
भाषा का टोन ठीक नहीं है. उसे पढ़ कर दु:ख हुआ. ऐसा कहते हुए जो डेडलाइन दी गई, उस पर भी राज्यपाल ने अपनी नाराजगी जताई. 5 बजे सूचना दी गई और 6 बजे तक जवाब देने को कहा गया. राज्यपाल ने कहा कि, ‘किसी भी फैसले के लिए इस तरह का दबाव डालना सही नहीं है. मैं संविधान का रक्षक हूं. मुझे जो भी निर्णय लेना है वो योग्य होना चाहिए. सभी बातों का ध्यान रखते हुए मुझे फैसले लेने होते हैं. इसके लिए मुझ पर आप किसी तरह का दबाव नहीं डाल सकते.’
प्रक्रिया के नियमों में बदलाव असंवैधानिक
मुख्यमंत्री के पत्र में संविधान के अनुच्छेद 208 का जिक्र किया गया था. कहा गया था कि अनुच्छेद 208 के तहत दिए अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए विधानसभा के अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया के नियमों में फेरबदल किया गया है. लेकिन राज्यपाल ने तर्क दिया है कि, ‘इसी अनुच्छेद में यह भी जिक्र किया गया है कि विधिमंडल द्वारा लिया गया निर्णय संविधान सम्मत होना चाहिए. प्राथमिक रूप से देखने पर मुझे प्रक्रिया के नियमों में बदलाव असंवैधानिक लगा है. इसलिए मैंने नियमों के इस बदलाव पर अपनी सहमति नहीं दी.