देशबड़ी खबर

चारधाम परियोजना को लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त, मंजूरी को लेकर केंद्र और एनजीओ से अतिरिक्त सुरक्षा उपाय सुझाने को कहा

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने उसके द्वारा देश की रक्षा जरूरतों के लिए हजारों करोड़ रुपए की परियोजना की अनुमति दिए जाने की सूरत में बुधवार को केंद्र और एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) से वैसे अतिरिक्त सुरक्षा उपाय सुझाने को कहा, जिनके कार्यान्वयन की जिम्मेदारी वो महत्वाकांक्षी चारधाम परियोजना (Char Dham Project) को लागू करने वाली एजेंसियों को दे सकता है. शीर्ष अदालत ने कहा कि ये कहने के बजाए कि अतिरिक्त सुरक्षा उपाय किए जाने चाहिए, वो अदालत के आदेश में उन शर्तों को रखना चाहेंगे, जिनका पालन परियोजना की कार्यान्वयन एजेंसियों को करना होगा.

वहीं केंद्र ने कहा कि वो पहले ही विभिन्न अध्ययन कर चुका है, जिसमें क्षेत्रों का भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण भी शामिल है और भूस्खलन की घटनाओं को कम करने के लिए कई कदम उठाए गए हैं. हालांकि केंद्र ने ये भी कहा कि अगर शीर्ष अदालत अतिरिक्त सुरक्षा उपाय करती है तो उसे कोई आपत्ति नहीं होगी. 12,000 करोड़ रुपए की लागत वाली रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण 900 किलोमीटर लंबी चारधाम परियोजना का उद्देश्य उत्तराखंड के चार पवित्र धामों- यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ को हर मौसम में कनेक्टिविटी प्रदान करना है.

900 किलोमीटर लंबी है परियोजना

न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ ने स्पष्ट किया कि उसने विवाद पर अपना मत नहीं बनाया है. साथ ही कहा कि वो जो सवाल पूछ रही है, वो इस मुद्दे पर संबंधित पक्षों से बेहतर प्रतिक्रिया प्राप्त करने के लिए हैं. वहीं सड़क चौड़ाई बढ़ाने के मामले में जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने सुप्रीम कोर्ट में कि ऐसा नहीं ये सेना vs पर्यावरण का मामला है. हाई एल्टिट्यूड के इलाकों में सेना और सिविलियन का जीवन जुड़ा हुआ है. कारगिल से 12 किलोमीटर ऊपर ज़नस्कार में सेना और वहां रहने वालों का गहरा रिश्ता है, सेवा वहां पर असमान्य परिस्तिथियों में खाने का समान पहुंचाती है.

उधर याचिकाकर्ता NGO की ओर से वरिष्ठ वकील कोलिन गोंसाल्वेस ने कहा कि इस प्रॉजेक्ट से वहां के लोगो का जीवन पूरी तरह बदल जाएगा, क्या यह रास्ते हमारी सेना को निर्भीतापूर्वक लोगों की रक्षा करने में सक्षम हैं? वरिष्ठ वकील कोलिन गोंसाल्वेस ने आगे कहा कि ऋषिकेश मन्ना रोड दो लेन की है, वहां पर 47 लैंड स्लाइड हुई, जिसके बाद इसको बंद करना पड़ा. 78 फीसदी कटिंग पूरी होने पर 72 बार लैंड स्लाइड हुई.

Related Articles

Back to top button