दिल्ली में प्रदूषण से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर बताया है कि न्यायालय द्वारा सुझाए गए वर्क फ्रॉम होम को लागू करने के बजाय यह सरकारी अधिकारियों के लिए दिल्ली में वाहन पूलिंग प्रणाली को लागू करेगा. केंद्र ने बताया है कि पूलिंग का आदेश 16 नवंबर को जारी कर दिया गया है. साथ ही ये भी कहा गया है कि केंद्र सरकार के कर्मचारी बहुत कम संख्या में आते है.
सरकार ने हलफनामे में कहा कि केंद्र सरकार के कर्मचारियों द्वारा इस्तेमाल होने वाली गाड़ियां की संख्या सड़क पर चलने वाली कुल गाड़ियों का बहुत कम अनुपात है, इसलिए उसे रोकने से वायु गुणवत्ता पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ेगा.
प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से पहले, वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, पंजाब राज्यों के साथ अपनी बैठक में AQI को नीचे लाने के लिए 10 तत्काल उपायों पर निर्णय लिया है.
1- एनसीआर में सभी शिक्षण संस्थान अगले आदेश तक बंद रहेंगे. केवल ऑनलाइन कक्षाओं की अनुमति है.
2- एनसीआर में कम से कम 50% सरकारी कर्मचारी घर से काम करेंगे और निजी प्रतिष्ठानों को भी 21 नवंबर तक ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा.
3- गैर जरूरी सामान ले जाने वाले ट्रकों को एनसीआर में प्रवेश नहीं करने दिया जाएगा.
4- दिल्ली/एनसीआर में डीजल जनरेटर पर प्रतिबंध रहेगा.
5- रेलवे, मेट्रो हवाई अड्डे या राष्ट्रीय सुरक्षा/रक्षा संबंधी कार्यों को छोड़कर निर्माण गतिविधियों पर प्रतिबंध होगा.
6- सड़क पर निर्माण सामग्री को ढेर करने के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों/संगठनों पर भारी जुर्माना लगाना.
7- अधिक से अधिक संख्या में वाटर स्प्रिंकलर, एंटी-स्मॉग गन तैनात करें.
8- फ्यूल ईंधन का उपयोग करने वाले उद्योगों को केवल तभी चलने की अनुमति होगी जब वे गैस का उपयोग करते हैं, या उन्हें बंद करने की आवश्यकता होगी.
9- दिल्ली के 300 किमी के दायरे में 11 थर्मल प्लांटों में से 6 को 30 नवंबर तक काम करना बंद करना होगा.
10- 10 वर्ष से अधिक (डीजल) और 15 वर्ष से अधिक (पेट्रोल) पुरानी गाड़ियां सड़क पर नहीं आनी चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले सोमवार को केंद्र सरकार को निर्देश दिया था कि वह प्रदूषण संकट पर आपात बैठक बुलाए और स्थिति से निपटने के लिए मंगलवार तक जरूरी कदम उठाने पर निर्णय करे. कोर्ट ने कहा था कि ‘‘तथ्य अब सामने आ गया है’’ और किसानों द्वारा पराली जलाए जाने पर किसी वैज्ञानिक और तथ्यात्मक आधार के बिना ही ‘हल्ला’ मचाया जा रहा है. केंद्र के हलफनामे का हवाला देते हुए, इसने कहा कि 75 प्रतिशत वायु प्रदूषण तीन कारकों- उद्योग, धूल और परिवहन के कारण होता है.