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सिंघु बॉर्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा की अहम बैठक, शामिल नहीं हुए टिकैत, संसद तक किसान करेंगे ट्रैक्टर मार्च

दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) की अहम बैठक चल रही है. इस बैठक में किसान नेता राकेश टिकैत शामिल नहीं हुए हैं. हालांकि, उनके बैठक में नहीं होने के कारणों की जानकारी नहीं दी गई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Pm Narendra Modi) के तीनों नए कृषि कानूनों को वापस लिए जाने के ऐलान के बाद भी किसान दिल्‍ली बार्डर के धरनास्‍थलों पर डटे हैं. किसान नेताओं का कहना है कि सभी जायज मांगें पूरी होने तक आंदोलन जारी रहेगा.

संसद तक ट्रैक्टर मार्च के कार्यक्रम में भी कोई बदलाव नहीं है. 22 नवंबर को होने वाली लखनऊ किसान महापंचायत को सफल बनाने की अपील की जा रही है. संयुक्त किसान मोर्चा (SMK) की बैठक सिंघु (दिल्ली-हरियाणा) सीमा पर चल रही है. किसान नेताओं का कहना है कि बैठक में एमएसपी, जान गंवाने वाले किसानों को मुआवजा, किसानों के खिलाफ दर्ज मामले और उनकी अगली कार्ययोजना पर चर्चा की जाएगी.

संसद तक किसान करेंगे ट्रैक्टर मार्च

संयुक्त किसान मोर्चा का कहना है कि सभी मांगें पूरी होने तक आंदोलन चलता रहेगा. 22 नवंबर को लखनऊ किसान महापंचायत को सफल बनाएं. 29 नवंबर को शुरू होने वाले संसद तक ट्रैक्टर मार्च के कार्यक्रम में कोई बदलाव नहीं किया गया है. बैठक के बाद संयुक्त किसान मोर्चा की 3 बजे सिंघु बॉर्डर पर प्रेस कॉन्फ्रेंस होगी.

सोमवार को लखनऊ में किसान महापंचायत

तीन विवादास्पद कृषि कानूनों की वापसी समेत विभिन्न मांगों को लेकर एक वर्ष से अधिक समय से आंदोलन कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने लखनऊ में सोमवार को किसान महापंचायत बुलाई है, जिसमें एसकेएम आगे की रणनीति पर विचार करेगा. तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने की केंद्र की घोषणा के बावजूद किसान नेताओं का कहना है कि जब तक सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी देने वाला कानून नहीं बनाती तथा लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा ‘टेनी’ को बर्खास्त नहीं करती, तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा.

भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने सोमवार को लखनऊ के इको गार्डन में आयोजित होने वाली किसान महापंचायत के लिए किसानों से यहां आने की अपील की है. उन्होंने ‘चलो लखनऊ-चलो लखनऊ’ नारे के साथ रविवार को ट्वीट किया, ‘‘सरकार द्वारा जिन कृषि सुधारों की बात की जा रही है, वे नकली एवं बनावटी हैं. इन सुधारों से किसानों की बदहाली रुकने वाली नहीं है. कृषि एवं किसानों के लिए न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य को कानून बनाना सबसे बड़ा सुधार होगा.”

… तब तक किसानों का आंदोलन जारी रहेगा

इस संदर्भ में भाकियू की प्रदेश इकाई के उपाध्यक्ष हरनाम सिंह वर्मा ने रविवार को कहा, ”प्रधानमंत्री ने तीन कानूनों को वापस लेने की घोषणा जरूर कर दी है, लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि वह न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को लेकर कब कानून बनाएंगे.” वर्मा ने कहा कि जब तक एमएसपी को कानून बनाने और अजय कुमार को बर्खास्त करने के लिए कदम नहीं उठाया जाता, तब तक आंदोलन जारी रहेगा.”

उन्होंने कहा कि किसान महापंचायत में और भी कई बिंदुओं पर चर्चा होगी, जैसे कि भाजपा ने कहा था कि सरकार बनने के बाद किसानों को गन्‍ना मूल्‍य का भुगतान 14 दिन के भीतर किया जाएगा, लेकिन यह व्यवस्था आज तक लागू नहीं हो सकी और साढ़े चार वर्ष में गन्‍ना मूल्‍य में मात्र 25 रुपये की वृद्धि की गई है. उन्होंने कहा कि एसकेएम महापंचायत में आगे के कार्यक्रमों के बारे में फैसला लेगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को तीन कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की घोषणा करते हुए कहा था कि इसके लिए संसद के आगामी सत्र में विधेयक लाया जाएगा.

गौरतलब है कि तीन अक्टूबर को लखीमपुर खीरी के तिकुनिया क्षेत्र में किसानों के प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा में चार किसानों समेत आठ लोगों की मौत हुई थी. किसानों का आरोप है कि अजय कुमार मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा ने शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे किसानों पर अपनी गाड़ी चढ़ा दी और इस दौरान गोलियां चलाई गईं. इस मामले में मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा समेत दर्जनभर से ज्यादा आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है.

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